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stars of science  अपनी सोच से दुनिया बदलने वाले भारतीय वैज्ञानिक

हमारे देश ने आज कई उपलब्धियां हासिल कर ली हैं. उसी में से एक उपलब्धि है विश्व पटल के नक्शे पर अंतरिक्ष शोध में खुद को स्थापित करना. ये मुमकिन हो पाया है भारत के उन दूरदर्शी वैज्ञानिकों की बदौलत जिनकी सोच ने भारत को दुनिया में पहचान दिलाई.आज हम ऐसे ही कुछ वैज्ञानिकों के बारे में जानेंगे.

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Published : Aug 9, 2022, 5:25 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:37 AM IST

stars of science
अपनी सोच से दुनिया बदलने वाले भारतीय वैज्ञानिक

पूरे विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में दुनियाभर में आज कई मुकाम हासिल कर लिए गए हैं. विज्ञान को आगे ले जाने में हम भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका को नजर अंदाज नहीं कर सकते. सीमित संसाधनों में ही भारतीय वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया जो किसी और देश के लिए नामुमकिन था. आज हम चांद और मंगल जैसे ग्रहों पर पहुंच चुके हैं.आगे भी नई ऊंचाईयां छूने के लिए भारत तैयार है. आजादी की इस 75वीं वर्षगांठ में हम ऐसे ही 4 वैज्ञानिकों (4 Indian scientists) के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिनकी सोच ने दुनिया का नजरिया बदल दिया.

1- मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम : बात जब उन Indian scientists की होती है, जिन्होंने दुनिया बदल दी तो उसमें निश्चित रूप से सबसे पहले नंबर पर एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) का ही नाम आता है, जिन्हें हम मिसाइल मैन के नाम से भी जानते हैं. भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO) में 1962 में शामिल होने वाले कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह SLV-III प्रक्षेपास्त्र को बनाने का गौरव तो हासिल किया ही, साथ ही रोहिणी उपग्रह को 1980 में पृथ्वी की कक्षा के नजदीक स्थापित करने में भी सफलता पाई थी. स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन करने का श्रेय और स्वदेशी तकनीकों से अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों को बनाने का भी श्रेय जाता है। उनकी मेहनत का ही यह नतीजा रहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब में शामिल हो गया.

2- विक्रम साराभाई : विक्रम अंबालाल साराभाई (Vikram Sarabhai) भी great Indian scientists में से एक रहे हैं, क्योंकि भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखने का श्रेय इन्हीं को जाता है। शायद इसलिए इन्हें भारत के अंतरिक्ष इतिहास का जनक भी कहा जाता है. न्यूक्लियर एनर्जी ( nuclear energy) के साथ electronics और अन्य क्षेत्रों में योगदान देने के साथ विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष और शोध से जुड़े करीब 40 संस्थान शुरू करवाये थे. ये मूल रूप से गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले थे. बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थाान में इन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ सीवी रमन के साथ भी काम किया था. 30 दिसंबर, 1971 को केवल 52 वर्ष की उम्र में ही इनका निधन हो गया, मगर अपने जीवनकाल में इन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान सहित कई क्षेत्रों में भारत के विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया.

3- डॉ होमी जहांगीर भाभा : भारत में परमाण ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना भी डॉ होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha) के योगदान के बिना नहीं की जा सकती थी और यही वजह है कि इनकी गिनती उन Indian scientists में होती है, जिन्होंने दुनिया को बदलकर रख दिया. भारत यदि 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण कर पाया तो यह इन्हीं की वजह से संभव हो पाया था और यही कारण है कि इन्हें आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन अटोमिक एनर्जी प्रोग्राम ( Architect of Indian Atomic Energy Program) भी कहा जाता है। जब किसी को nuclear science को लेकर कोई खास जानकारी नहीं थी, तब भाभा ने इस पर काम करना शुरू कर दिया था। यही नहीं, जब उन्होंने nuclear energy से बिजली पैदा किये जाने की बात कही थी तो कोई इसे मान ही नहीं रहा था.

4-सीवी रमन : 1930 में भौतिकी नोबेल पुरस्कार पाकर विज्ञान का नोबेल पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक बनने वाले इस वैज्ञानिक का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन था. प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में सीवी रमन का योगदान अविस्मरणीय रहा है. वाद्य यंत्रों की ध्वनियों पर भी इन्होंने अनुसंधान किया था. इन्होंने 28 फरवरी, 1928 को रमन प्रभाव की खोज की थी. Indian Association for the Cultivation Of Science और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में इन्होंने अपने शोध कार्य को अंजाम दिया था. प्रकाश के क्षेत्र में अपने कार्य के लिए ही इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था, जबकि 1954 में भारत रत्न से उन्हें रमन प्रभाव के लिए सम्मानित किया गया था.

पूरे विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में दुनियाभर में आज कई मुकाम हासिल कर लिए गए हैं. विज्ञान को आगे ले जाने में हम भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका को नजर अंदाज नहीं कर सकते. सीमित संसाधनों में ही भारतीय वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया जो किसी और देश के लिए नामुमकिन था. आज हम चांद और मंगल जैसे ग्रहों पर पहुंच चुके हैं.आगे भी नई ऊंचाईयां छूने के लिए भारत तैयार है. आजादी की इस 75वीं वर्षगांठ में हम ऐसे ही 4 वैज्ञानिकों (4 Indian scientists) के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिनकी सोच ने दुनिया का नजरिया बदल दिया.

1- मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम : बात जब उन Indian scientists की होती है, जिन्होंने दुनिया बदल दी तो उसमें निश्चित रूप से सबसे पहले नंबर पर एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) का ही नाम आता है, जिन्हें हम मिसाइल मैन के नाम से भी जानते हैं. भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO) में 1962 में शामिल होने वाले कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह SLV-III प्रक्षेपास्त्र को बनाने का गौरव तो हासिल किया ही, साथ ही रोहिणी उपग्रह को 1980 में पृथ्वी की कक्षा के नजदीक स्थापित करने में भी सफलता पाई थी. स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन करने का श्रेय और स्वदेशी तकनीकों से अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों को बनाने का भी श्रेय जाता है। उनकी मेहनत का ही यह नतीजा रहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब में शामिल हो गया.

2- विक्रम साराभाई : विक्रम अंबालाल साराभाई (Vikram Sarabhai) भी great Indian scientists में से एक रहे हैं, क्योंकि भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखने का श्रेय इन्हीं को जाता है। शायद इसलिए इन्हें भारत के अंतरिक्ष इतिहास का जनक भी कहा जाता है. न्यूक्लियर एनर्जी ( nuclear energy) के साथ electronics और अन्य क्षेत्रों में योगदान देने के साथ विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष और शोध से जुड़े करीब 40 संस्थान शुरू करवाये थे. ये मूल रूप से गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले थे. बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थाान में इन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ सीवी रमन के साथ भी काम किया था. 30 दिसंबर, 1971 को केवल 52 वर्ष की उम्र में ही इनका निधन हो गया, मगर अपने जीवनकाल में इन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान सहित कई क्षेत्रों में भारत के विकास का मार्ग प्रशस्त कर दिया.

3- डॉ होमी जहांगीर भाभा : भारत में परमाण ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना भी डॉ होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha) के योगदान के बिना नहीं की जा सकती थी और यही वजह है कि इनकी गिनती उन Indian scientists में होती है, जिन्होंने दुनिया को बदलकर रख दिया. भारत यदि 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण कर पाया तो यह इन्हीं की वजह से संभव हो पाया था और यही कारण है कि इन्हें आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन अटोमिक एनर्जी प्रोग्राम ( Architect of Indian Atomic Energy Program) भी कहा जाता है। जब किसी को nuclear science को लेकर कोई खास जानकारी नहीं थी, तब भाभा ने इस पर काम करना शुरू कर दिया था। यही नहीं, जब उन्होंने nuclear energy से बिजली पैदा किये जाने की बात कही थी तो कोई इसे मान ही नहीं रहा था.

4-सीवी रमन : 1930 में भौतिकी नोबेल पुरस्कार पाकर विज्ञान का नोबेल पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक बनने वाले इस वैज्ञानिक का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन था. प्रकाश प्रकीर्णन के क्षेत्र में सीवी रमन का योगदान अविस्मरणीय रहा है. वाद्य यंत्रों की ध्वनियों पर भी इन्होंने अनुसंधान किया था. इन्होंने 28 फरवरी, 1928 को रमन प्रभाव की खोज की थी. Indian Association for the Cultivation Of Science और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में इन्होंने अपने शोध कार्य को अंजाम दिया था. प्रकाश के क्षेत्र में अपने कार्य के लिए ही इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था, जबकि 1954 में भारत रत्न से उन्हें रमन प्रभाव के लिए सम्मानित किया गया था.

Last Updated : Aug 13, 2022, 11:37 AM IST
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