रायपुर: समिति ने यह निर्णय लेने से पहले ही तीन कॉलेज का निरीक्षण कर इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर लेखा की जांच की थी. जिसके बाद बांकी राज्यों से कंपेयर किया गया. उसके बाद प्रत्येक व्यक्ति की औसत आय का भी ध्यान रखा गया. जिसके बाद समिति ने अंतिम निर्णय लिया. छत्तीसगढ़ में तीन निजी मेडिकल कॉलेज हैं. जिसमें बालाजी और रिम्स रायपुर में संचालित है. तीसरा मेडिकल कॉलेज शंकराचार्य भिलाई में संचालित हो रहा है. यहां पर एमबीबीएस की पढ़ाई प्राइवेट स्तर पर कराई जाती है.
"25 प्रतिशत इजाफा बड़ी बात नहीं": इस विषय को लेकर जब आईएमसी रायपुर के अध्यक्ष राकेश गुप्ता से बात की गई. तो उन्होंने अपना समर्थन इस निर्णय पर दिया. उन्होंने कहा कि "अन्य राज्यों में निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत ज्यादा अधिक है. उसके कंपेयर में छत्तीसगढ़ में निजी मेडिकल कॉलेज की फीस बहुत ही कम ली जा रही है. जिस वजह से 25 प्रतिशत का इजाफा होना कोई बहुत ज्यादा बड़ी बात नहीं है."
"नॉर्मल फैमिली के लिए अफोर्ड कर पाना मुश्किल": ईटीवी भारत की टीम ने नीट की तैयारी कर रहे कुछ बच्चों से इस विषय पर बातचीत की और उनका फीडबैक लिया. बातचीत के दौरान रागिनी नाम की छात्रा का कहना है कि "प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 25 परसेंट जो फीस बढ़ाई गई है. उसके अगेंस्ट में हूं. इसे मैं डिसएग्री करती हूं. यदि 25 परसेंट फीस बढ़ाने की जगह कम कर दी जाती तो शायद हम स्टूडेंट्स को और फायदा होता. मेडिकल कॉलेज की फीस वैसे भी बहुत ज्यादा होती है. जो कि एक नॉर्मल फैमिली को अफोर्ड कर पाना बहुत मुश्किल होता है. ऐसी स्थिति में 25% का बढ़ाना सही नहीं है मैं इस के सपोर्ट में नहीं हूं."
"प्राइवेट कॉलेज की फीस एक करोड़ से ज्यादा": नीट की तैयारी कर रही छात्रा हर्षिता चौधरी का कहना है कि "प्राइवेट कॉलेज में 25 प्रतिशत फीस बढ़ी है मैं उसे डिसएग्री करती हूं. अगर यह 25 प्रतिशत की जगह 10 से 20 प्रतिशत भी फीस कम हो जाता तो नार्मल फैमिली के लिए अच्छा होता है. फैमिली वाले अपने बच्चे को प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाने के लिए प्रिपेयर हो जाते हैं. वैसे भी प्राइवेट कॉलेज की फीस एक करोड़ से ज्यादा ही चली जाती है. अगर 25% बढ़ता है तो उसमें 5 लाख की बढ़ोतरी होती हैं. जो कि गवर्नमेंट कॉलेज के कम्पेयर में बहुत ही ज्यादा है. गवर्नमेंट कॉलेज में इससे बहुत कम फीस में एमबीबीएस की पढ़ाई प्लस इंटर्नशिप और ट्रेनिंग भी पूरी कर ली जाती है."
"निजी कॉलेज की फीस 70 से 80 लाख सालाना": नीट की तैयारी कर रहे छात्र लक्ष्य से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि "हर वह बच्चा चाहे वह क्लास सेवंथ में हो 10th में हो या इलेवंथ में है जो नेट क्रैक करने का सोचता है. उसके लिए डॉक्टर बनना सबसे बड़ा लक्ष्य होता है. उसके लिए यह बहुत बड़ा सपना भी होता है. वह चाहता है कि नीट क्रैक करके उसे सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिले और बहुत अच्छा डॉक्टर बनने पर कभी-कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि परसेंट में कुछ कमी आ जाती है. जिस वजह से उसे प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेना. ऐसे ऐसे में निजी मेडिकल कॉलेज की फीस वैसे भी 70 से 80 लाख के बीच सालाना होती है."
25 फीसदी बढ़ा तो 1 करोड़ से ऊपर चली जाएगी फीस: लक्ष्य ने आगे बताया कि "अब यदि उसमें 25% बढ़ा दिया जाएगा तो वह 1 करोड़ से ऊपर चली जाती है. मिडिल क्लास वर्क वर्क क्लास के परिवारों के लिए साल में एक करोड़ रुपए देना पॉसिबल नहीं होता है. इस टाइम पर उस बच्चे को अपना कैरियर ब्लॉक करना पड़ सकता है जिस वजह से वह उसके सपने टूटने जैसा होगा. इसके लिए मैं डिसएग्री करता हूं इस 25% में सरकारी मेडिकल कॉलेज में पूरे 5 साल एमबीबीएस का पढ़ाई हो सकता है मैं दोबारा रिपीट करना चाहूंगा कि मैं इस निर्णय के खिलाफ हूं."
ज्यादातर छात्र निर्णय से नाखुश: छात्रों से बातचीत करने पर केवल एक ही बात सबसे ज्यादा सुनाई दी. वो ये कि यह है कि ज्यादातर छात्र इस निर्णय के खिलाफ हैं. छात्रों के मुताबिक निजी मेडिकल कॉलेज में फीस वैसे भी बहुत ज्यादा है. सामान्य परिवार के लिए उतनी ही फीस अफोर्ड कर पाना वर्तमान में भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में 25% का इजाफा होने से सालाना एक करोड़ से ज्यादा की फीस अफोर्ड कर पाना और भी मुश्किल हो जाएगा. 25 प्रतिशत से भी कम राशि में सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के 4 साल और 1 साल इंटर्नशिप के पूरे कर लिए जाते हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई के 4 साल में एक साल का ही करोड़ फीस लेगा तो सामान्य परिवार उसमें कैसे अपने बच्चों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर पाएंगे.