रायपुर: अक्टूबर की शुरुआत होने के साथ कोरोना के मरीजों की संख्या कम होने लगी है. राजधानी के लोगों ने अब राहत की सांस ली है, लेकिन जिले में मौत की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया है.
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प्रदेश में 30 सितंबर तक कोरोना और को-मोर्बिडिटी की वजह 957 लोगों ने जान गंवाई थी और अक्टूबर में अब तक इनकी संख्या 1260 तक पहुंच चुकी है. अधिकारियों का तर्क है कि मौतों की संख्या बढ़ने की वजह पुराने मामलों की जानकारी सामने आना है. अगस्त के बाद सितंबर माह कोरोना के लिए पीक था और इस दौरान 3 से 4 हजार तक मरीज हर रोज सामने आते थे, लेकिन अक्टूबर की शुरुआत में यह संख्या घटकर 2 हजार के बीच सिमटकर रह गई है.
को-मोर्बिडिटी की वजह से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान
कोरोना के मरीजों की संख्या में कमी आना एक अच्छा संकेत माना जा रहा है, लेकिन मौतों की बढ़ती संख्या से चिंता बढ़ रही है. अक्टूबर के बीते 12 दिनों में करीब 300 लोगों की मौत के आंकड़े सामने आए हैं. इनमें कई मौतों की जानकारी जिलों की ओर से दी गई है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले रोजाना 16 से 17 लोगों की मौत हो रही थी, मगर अब मौत की संख्या 7 से 8 के बीच सिमट कर रह गई है और पुराने केस जोड़ेने की वजह से कुल संख्या में वृद्धि हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केवल कोरोना की वजह से होने वाली मौतों की संख्या की तुलना में को-मोर्बिडिटी की वजह से जान गंवाने वाले की संख्या ज्यादा है. इसकी वजह इलाज में देरी को माना जा रहा है. अधिकारियों का मत है कि गंभीर बीमारी के इलाज के लिए जब तक लोग अस्पताल तक पहुंचते हैं, देर हो जाती है.
मौत के आंकड़ों में रायपुर अव्वल
अब तक सबसे ज्यादा मौतें रायपुर जिले में हुई है और इनकी संख्या 500 के करीब पहुंच चुकी है. सबसे कम मौतों के आंकड़े नारायणपुर और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के नाम हैं, यहां अब तक एक-एक मौत हुई है. मौत के मामले में दूसरे नंबर पर दुर्ग और तीसरे नंबर पर रायगढ़ जिला है. अक्टूबर के बीते 12 दिनों में प्रदेश में कोरोना के करीब 30 हजार मरीजों का पता चला है. इस माह सबसे ज्यादा मरीज 9 अक्टूबर की 2,958 मिले थे. जिलों के हिसाब से हॉटस्पॉट बन चुके रायपुर में सामने आने वाले मरीजों की संख्या भी आधे से कम हो चुकी है और कई दूसरे जिलों में अब रायपुर से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं.