रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार का भू स्वामी और किरायेदार के हित में अहम फैसला आया है. इसकी अधिसूचना आवास एवं पर्यावरण विभाग की ओर से 6 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है. राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम के तहत नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों में प्रत्येक जिले के जो उप जिलाधीश के निम्न श्रेणी का न हो, भाड़ा नियंत्रण के रूप में नियुक्त करता है तथा उनका कार्यक्षेत्र कलेक्टर द्वारा विनिर्दिष्ट रहेगा. यह अधिनियम राज्य शासन की ओर से बनाया गया है.
छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम 2011, जिसमें भू-स्वामी एवं किरायेदार के बीच विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए यह अधिनियम राज्य शासन की ओर से बनाया गया है. जिसमें भू-स्वामी एवं किरायेदार अपने-अपने हक को सुरक्षित रख सके. किसी कारण वश यह अधिनियम दो हिस्सों में बट गया था. पहला की यह अधिनियम 2011 में लागू होते ही नगर-निगम में लागू हो गया. लेकिन राज्य की छोटी जगहों जैसे- राज्य के नगर पालिका, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के लिए राज्य शासन की ओर से कोई अधिसूचना राजपत्र में नहीं होने के कारण वहां के नागरिकों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. वे अपनी जगह और हक के लिए परेशान हो रहे थे. इसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा इसे अब नगर निगम की तरह नगर पालिका, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत में भी लागू करने की अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई है.
छत्तीसगढ़ सरकार का भू-स्वामी और किरायेदार के हित में अहम फैसला - आवास एवं पर्यावरण विभाग
Important decision of Chhattisgarh government छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय से अब भू-स्वामी एवं किरायेदार के बीच विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम-2011 का लाभ नगर निगम की तरह नगर पालिका, नगर पालिका परिषद तथा नगर पंचायत को भी मिलेगा. इस महत्वपूर्ण निर्णय से भू-स्वामी और किरायेदार को अब बड़ी राहत मिलेगी और वे अपने-अपने हक को सुरक्षित रख सकेंगे।
रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार का भू स्वामी और किरायेदार के हित में अहम फैसला आया है. इसकी अधिसूचना आवास एवं पर्यावरण विभाग की ओर से 6 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित कर दी गई है. राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम के तहत नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों में प्रत्येक जिले के जो उप जिलाधीश के निम्न श्रेणी का न हो, भाड़ा नियंत्रण के रूप में नियुक्त करता है तथा उनका कार्यक्षेत्र कलेक्टर द्वारा विनिर्दिष्ट रहेगा. यह अधिनियम राज्य शासन की ओर से बनाया गया है.
छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम 2011, जिसमें भू-स्वामी एवं किरायेदार के बीच विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए यह अधिनियम राज्य शासन की ओर से बनाया गया है. जिसमें भू-स्वामी एवं किरायेदार अपने-अपने हक को सुरक्षित रख सके. किसी कारण वश यह अधिनियम दो हिस्सों में बट गया था. पहला की यह अधिनियम 2011 में लागू होते ही नगर-निगम में लागू हो गया. लेकिन राज्य की छोटी जगहों जैसे- राज्य के नगर पालिका, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के लिए राज्य शासन की ओर से कोई अधिसूचना राजपत्र में नहीं होने के कारण वहां के नागरिकों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. वे अपनी जगह और हक के लिए परेशान हो रहे थे. इसके मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा इसे अब नगर निगम की तरह नगर पालिका, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत में भी लागू करने की अधिसूचना प्रकाशित कर दी गई है.