रायपुर/हैदराबाद : वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार पौष सूर्य देव का माह कहलाता है. इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए Paush purnima के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है. पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है. इसलिए सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है.Paush purnima vrat 2023
पौष पूर्णिमा व्रत और पूजन विधि : Paush purnima पर स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है. इस दिन सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है. पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा विधि इस प्रकार है:Paush Purnima fast and worship method
1. पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें.
2. पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करें.
3. स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.
4. स्नान से निवृत्त होकर भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए और उन्हें नैवेद्य अर्पित करना चाहिए.
5. किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए.
6. दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप से देने चाहिए.
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पौष पूर्णिमा में स्नान का महत्व : Paush purnima पर देश के तीर्थ स्थलों पर स्नान और धार्मिक आयोजन होते हैं. पौष पूर्णिमा से तीर्थराज प्रयाग में माघ मेले का आयोजन शुरू होता है.इस धार्मिक उत्सव में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार माघ माह के स्नान का संकल्प पौष पूर्णिमा पर लेना चाहिए. क्योंकि पुरातन काल से नदियों में ही देवता गण प्रमुख अनुष्ठान करते थे. जिसके बाद उनका संकल्प पूरा होता Importance of bath in Paush Purnima था.