रायपुर:दीपावली यानी रोशनी और खुशियों का त्योहार. दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी की पूजा दीयों, मिठाइयों के साथ-साथ कमल के फूल के बिना अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि दिवाली पर कमल के फूलों की मांग बढ़ जाती है.
कमल का फूल उगाने में किसानों को लगभग 6 महीने का वक्त लगता है. किसान रात-दिन मेहनत कर कमल का फूल उगाते हैं, जिससे दिवाली पर पूजा के लिए लोगों को आसानी से मिल सके. किसान साल भर दीपावली का इंतजार करते हैं, जिससे उनके घर भी लक्ष्मी आ सकें यानी आमदनी हो सके. कीचड़ में कमल खिला कर वे अपनी दिवाली रोशन करने की कोशिश करते हैं.
दो बार होती है कमल की खेती
वो कहते हैं कि पूरे साल में कमल की खेती सिर्फ दो बार ही की जाती है, लेकिन दिवाली के समय उन्हें खेती का थोड़ा लाभ होता है, क्योंकि कमल से पूजा करने की परंपरा की वजह से उनकी जेब थोड़ी भर जाती है.
बारिश के दौरान होता है कमल की फसलों का नुकसान
कमल की खेती करने वाले किसान का कहना है कि हर साल बारिश के कारण कमल के खेती में काफी नुकसान होता है. उस पर से देर से आए मानसून ने किसान की खेती को और ज्यादा प्रभावित किया है. वह कहते हैं कि अभी भी बीच-बीच में हो रही बारिश के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.
फूल तैयार करने में लगते हैं 6 महीने
किसानों के मुताबिक यहां तकरीबन 5 एकड़ जमीन पर कमल की खेती की जाती है किसान का परिवार इसी पर निर्भर रहता है. दिवाली उनके लिए सबसे बड़ा पर्व है क्योंकि इस पर में ही कमल की सबसे ज्यादा बिक्री होती है, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो पाता है.
कीट पहुंचाते हैं सबसे ज्यादा नुकसान
कमल के पौधों पर कीटों का सबसे ज्यादा डर होता है, जिससे निपटने में काफी खर्च किसानों को उठाना पड़ता है. किसान बताते हैं कि 1 एकड़ में तकरीबन 10 हजार की दवाई लग जाती है, जिससे इनकम से ज्यादा तो कीटनाशक दवाई में लग जाता है. यही वजह है कि छोटे किसान कमल की खेती का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.