ETV Bharat / state

इस फूल के बिना अधूरी है मां लक्ष्मी की पूजा, दिवाली पर बढ़ जाती है डिमांड

दिवाली में लक्ष्मी माता की पूजा पर सबसे ज्यादा कमल के फूल का महत्व होता है, इसके बिना लक्ष्मी माता की पूजा अधूरी मानी जाती है. वहीं किसानों को कमल का फूल उगाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.

दिवाली पर कमल के फूल का महत्व
author img

By

Published : Oct 25, 2019, 5:25 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 7:09 PM IST

रायपुर:दीपावली यानी रोशनी और खुशियों का त्योहार. दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी की पूजा दीयों, मिठाइयों के साथ-साथ कमल के फूल के बिना अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि दिवाली पर कमल के फूलों की मांग बढ़ जाती है.

दिवाली पर कमल के फूल का महत्व

कमल का फूल उगाने में किसानों को लगभग 6 महीने का वक्त लगता है. किसान रात-दिन मेहनत कर कमल का फूल उगाते हैं, जिससे दिवाली पर पूजा के लिए लोगों को आसानी से मिल सके. किसान साल भर दीपावली का इंतजार करते हैं, जिससे उनके घर भी लक्ष्मी आ सकें यानी आमदनी हो सके. कीचड़ में कमल खिला कर वे अपनी दिवाली रोशन करने की कोशिश करते हैं.

दो बार होती है कमल की खेती
वो कहते हैं कि पूरे साल में कमल की खेती सिर्फ दो बार ही की जाती है, लेकिन दिवाली के समय उन्हें खेती का थोड़ा लाभ होता है, क्योंकि कमल से पूजा करने की परंपरा की वजह से उनकी जेब थोड़ी भर जाती है.


बारिश के दौरान होता है कमल की फसलों का नुकसान
कमल की खेती करने वाले किसान का कहना है कि हर साल बारिश के कारण कमल के खेती में काफी नुकसान होता है. उस पर से देर से आए मानसून ने किसान की खेती को और ज्यादा प्रभावित किया है. वह कहते हैं कि अभी भी बीच-बीच में हो रही बारिश के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.


फूल तैयार करने में लगते हैं 6 महीने

किसानों के मुताबिक यहां तकरीबन 5 एकड़ जमीन पर कमल की खेती की जाती है किसान का परिवार इसी पर निर्भर रहता है. दिवाली उनके लिए सबसे बड़ा पर्व है क्योंकि इस पर में ही कमल की सबसे ज्यादा बिक्री होती है, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो पाता है.

कीट पहुंचाते हैं सबसे ज्यादा नुकसान
कमल के पौधों पर कीटों का सबसे ज्यादा डर होता है, जिससे निपटने में काफी खर्च किसानों को उठाना पड़ता है. किसान बताते हैं कि 1 एकड़ में तकरीबन 10 हजार की दवाई लग जाती है, जिससे इनकम से ज्यादा तो कीटनाशक दवाई में लग जाता है. यही वजह है कि छोटे किसान कमल की खेती का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.

रायपुर:दीपावली यानी रोशनी और खुशियों का त्योहार. दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी की पूजा दीयों, मिठाइयों के साथ-साथ कमल के फूल के बिना अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि दिवाली पर कमल के फूलों की मांग बढ़ जाती है.

दिवाली पर कमल के फूल का महत्व

कमल का फूल उगाने में किसानों को लगभग 6 महीने का वक्त लगता है. किसान रात-दिन मेहनत कर कमल का फूल उगाते हैं, जिससे दिवाली पर पूजा के लिए लोगों को आसानी से मिल सके. किसान साल भर दीपावली का इंतजार करते हैं, जिससे उनके घर भी लक्ष्मी आ सकें यानी आमदनी हो सके. कीचड़ में कमल खिला कर वे अपनी दिवाली रोशन करने की कोशिश करते हैं.

दो बार होती है कमल की खेती
वो कहते हैं कि पूरे साल में कमल की खेती सिर्फ दो बार ही की जाती है, लेकिन दिवाली के समय उन्हें खेती का थोड़ा लाभ होता है, क्योंकि कमल से पूजा करने की परंपरा की वजह से उनकी जेब थोड़ी भर जाती है.


बारिश के दौरान होता है कमल की फसलों का नुकसान
कमल की खेती करने वाले किसान का कहना है कि हर साल बारिश के कारण कमल के खेती में काफी नुकसान होता है. उस पर से देर से आए मानसून ने किसान की खेती को और ज्यादा प्रभावित किया है. वह कहते हैं कि अभी भी बीच-बीच में हो रही बारिश के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.


फूल तैयार करने में लगते हैं 6 महीने

किसानों के मुताबिक यहां तकरीबन 5 एकड़ जमीन पर कमल की खेती की जाती है किसान का परिवार इसी पर निर्भर रहता है. दिवाली उनके लिए सबसे बड़ा पर्व है क्योंकि इस पर में ही कमल की सबसे ज्यादा बिक्री होती है, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो पाता है.

कीट पहुंचाते हैं सबसे ज्यादा नुकसान
कमल के पौधों पर कीटों का सबसे ज्यादा डर होता है, जिससे निपटने में काफी खर्च किसानों को उठाना पड़ता है. किसान बताते हैं कि 1 एकड़ में तकरीबन 10 हजार की दवाई लग जाती है, जिससे इनकम से ज्यादा तो कीटनाशक दवाई में लग जाता है. यही वजह है कि छोटे किसान कमल की खेती का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.

Intro:दिवाली आते ही बाजार गुलजार होने लगते हैं दिवाली को लेकर किसानों ने लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है इस पर यदि सबसे ज्यादा किसी चीज की डिमांड होती है तो वह कमल का फूल है इसके बिना लक्ष्मी माता की पूजा अधूरी मानी जाती है फुल तैयार करने में किसानों को लगभग 6 माह का वक्त लगता है।

Body:इसके लिए वह वे दिन-रात कड़ी मेहनत कर फुल तैयार करते हैं ताकि लोगों को दिवाली के समय लक्ष्मी पूजा के लिए आसानी से कमल का फूल मिल सके किसान इस पर्व का पूरे साल भर इंतजार करते हैं क्योंकि इसी से उनका घर चलता है और उनकी दिवाली खुशी से मानती है।

साल भर किसान दिवाली के त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं यह ऐसा त्यौहार है जिसके बदौलत गरीब किसान के घरों में दीप जलता है लोग जिस कीचड़ को देखकर अपना मुंह फेर लेते हैं हम उसी कीचड़ में कमल का फूल खिलाते हैं । वह कहते हैं कि पूरे साल में कमल की खेती सिर्फ दो बार ही की जा सकती है लेकिन दीपावली के समय उन्हें खेती का थोड़ा लाभ होता है जिससे उनकी दिवाली खुशी मंगल से मन पाती है।

बारिश के दौरान होता है कमल की फसलों का नुकसान

कमल की खेती करने वाले किसान का कहना है कि हर साल बारिश के कारण कमल के खेती में काफी नुकसान होता है ऊपर से देर से आए मानसून ने किसान की खेती को और ज्यादा प्रभावित किया है। वह कहते हैं कि अभी भी बीच-बीच में हो रही बारिश के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।

Conclusion:कमल के फूल को फूल तैयार करने में किसान को लग जाते हैं 6 महीने

किसानों के मुताबिक यहां तकरीबन 5 एकड़ जमीन पर कमल की खेती की जाती है किसान का परिवार पूरा इसी खेती पर आधारित है दिवाली उनके लिए सबसे बड़ा पर्व है क्योंकि इस पर में ही कमल की सबसे ज्यादा बिक्री होती है जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो पाता है।

कमल के पौधों को कीटो का होता है सबसे ज्यादा डर जिससे निपटने में काफी खर्च किसानों को करना पड़ता है

किसान बताते हैं कि 1 एकड़ में तकरीबन 10000 के दवाई लग जाती है जिससे जितनी इनकम नहीं उससे ज्यादा कीटनाशक दवाई मैं किसान के रुपए खर्च हो जाते हैं इसीलिए छोटे-मोटे किसान कमल की खेती नहीं कर पाते हैं वहीं बड़े किसानों को ज्यादा एकड़ में कमल की खेती करनी पढ़ती है ताकि उनके लिए कुछ बच सके।

बाइट :- संजय ठाकुर (किसान हरा शर्ट)
बाइट :- राज्य किशोर (किसान रेड कॉलर)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Oct 25, 2019, 7:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.