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Bhai Dooj after Holi festival क्यों होली के बाद मनाया जाता है भाईदूज - चित्रगुप्त की भी पूजा

देशभर में होली के दूसरे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है.इस वर्ष यह पर्व 9 मार्च 2023 को मनाया जाएगा. होली भाई दूज का पर्व बहन भाई के प्रेम का प्रतीक है.

Bhai Dooj after Holi festival
क्यों होली के बाद मनाया जाता है भाईदूज
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Published : Feb 23, 2023, 6:34 PM IST

रायपुर : होली भाईदूज के दिन भाई के साथ चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है.बहनों के समर्पण और भाईयों के संकल्प से इस पर्व को मनाया जाता है. जिस प्रकार दीपावली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की जाती है. ठीक उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली भाईदूज की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन बहनें अपने भाईयों की पूजा करके उसे संकट से बचाने की प्रार्थना करती हैं.

कैसे करें होली भाईदूज के दिन पूजा : भाईदूज के दिन पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु एवं गणेश की पूजा शुभ फलदायी मानी गई है. ज्योतिषियों के मुताबिक भाईदूज वाले दिन गोबर के दूज बनाने और फिर पूजन की परंपरा हैं. इनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. भाई के शत्रु एवं बाधा का नाश करने के लिए मनोकामना मांगती हैं. कई जगहों पर भाई को चौकी पर बिठाकर बहनें उनके माथे पर तिलक लगाती है. आरती उतारकर उनकी पूजा करती हैं.

क्यों कहा जाता है भ्रातृ द्वितीया : फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के बाद यानी अगले दिवस होली या धुरेड़ी खेली जाती है. होली पर्व के बाद आने वाले दिन ही भाई दूज के पर्व को मनाया जाता है. ये दिन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है. इसी दिन को हम भाई दूज या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जानते हैं.

ये भी पढ़ें- भक्त प्रहलाद की कथा और होलिका दहन का नाता

विशेष सूचना : इस लेख में दी गई किसी भी तरह की जानकारी सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी ईटीवी भारत की नहीं है. सूचना कई माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों, धार्मिक कार्यक्रमों से संकलित करके आप तक पहुंचाई जा रही है. हमारा उद्देश्य अपने पाठकों तक सिर्फ सूचना पहुंचाना है. पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही अपने स्वविवेक से काम लें.

रायपुर : होली भाईदूज के दिन भाई के साथ चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है.बहनों के समर्पण और भाईयों के संकल्प से इस पर्व को मनाया जाता है. जिस प्रकार दीपावली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की जाती है. ठीक उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली भाईदूज की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन बहनें अपने भाईयों की पूजा करके उसे संकट से बचाने की प्रार्थना करती हैं.

कैसे करें होली भाईदूज के दिन पूजा : भाईदूज के दिन पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु एवं गणेश की पूजा शुभ फलदायी मानी गई है. ज्योतिषियों के मुताबिक भाईदूज वाले दिन गोबर के दूज बनाने और फिर पूजन की परंपरा हैं. इनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. भाई के शत्रु एवं बाधा का नाश करने के लिए मनोकामना मांगती हैं. कई जगहों पर भाई को चौकी पर बिठाकर बहनें उनके माथे पर तिलक लगाती है. आरती उतारकर उनकी पूजा करती हैं.

क्यों कहा जाता है भ्रातृ द्वितीया : फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के बाद यानी अगले दिवस होली या धुरेड़ी खेली जाती है. होली पर्व के बाद आने वाले दिन ही भाई दूज के पर्व को मनाया जाता है. ये दिन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है. इसी दिन को हम भाई दूज या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जानते हैं.

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विशेष सूचना : इस लेख में दी गई किसी भी तरह की जानकारी सामग्री, गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी ईटीवी भारत की नहीं है. सूचना कई माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों, धार्मिक कार्यक्रमों से संकलित करके आप तक पहुंचाई जा रही है. हमारा उद्देश्य अपने पाठकों तक सिर्फ सूचना पहुंचाना है. पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही अपने स्वविवेक से काम लें.

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