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Lohri festival 2023 लोहड़ी त्यौहार का महत्व और इतिहास

पंजाब का सबसे लोकप्रिय त्यौहार लोहड़ी दक्षिण एशिया के पंजाबी धर्म के लोग हर वर्ष मनाते हैं. यह माना जाता है कि यह सर्दियों में उस दिन मनाया जाता है. जिस दिन साल का सबसे छोटा दिन और रात साल की सबसे बड़ी रात होती है. यह एक आलाव जलाकर नृत्य और दुल्हा बत्ती के प्रशंसा गायन से किसानी त्यौहार के रूप में मनाया Rituals and customs on the day of Lohri जाता है.यह पंजाबियों का त्यौहार है.लेकिन इसे भारत के उत्तरी राज्यों में रहने वाले लोग भी मनाते हैं. जैसे हरियाणा और हिमाचल प्रदेश. अन्य त्योहार की तरह ही बहुत सारी खुशी और उळास के साथ भारत में ये त्यौहार मनाया जाता Importance and history of Lohri है.

Importance and history of Lohri festival
लोहड़ी पर्व का महत्व और इतिहास
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Published : Jan 5, 2023, 2:09 PM IST

रायपुर / हैदराबाद : यह माना जाता है कि नाम लोहड़ी शब्द “लोई” (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था. हालांकि, कुछ मानते है कि यह शब्द “लोह” (चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण) से उत्पन्न हुआ Lohri festival 2023 था. लोहड़ी का त्योहार मनाने का एक और विश्वास है, कि लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के नाम पर हुआ. लोग मानते है कि होलिका की बहन बच गयी थी, हालांकि होलिका खुद आग में जल कर मर गई.इस त्योहार मनाने का एक और कारण है कि लोहड़ी शब्द तिलोरही (तिल का और रोरही एक संयोजन) से उत्पन्न हुआ Importance and history of Lohri था.

किसान नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में लोहड़ी मनाते हैं. यह ऐसा त्यौहार है जो, एक ही स्थान पर परिवार के सभी सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों को एक साथ लाता है. इस दिन लोग मिलते है और एक-दूसरे को मिठाई बॉटकर आनंद लेते हैं. Lohri festival 2023

लोहड़ी का महत्व और परंपरा : यह सबसे प्रसिद्ध फसल कटाई का त्योहार है. जो किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है. लोग इस दिन आलाव जलाते हैं. गाना गाते है और उसके चारों ओर नाचते हैं. आलाव के चारों ओर गाते और नाचते समय आग में कुछ रेवड़ी, टॉफी, तिल के बीज, पॉपकॉर्न, गुड अन्य चीज़ें भी डालते हैं.यह भारत के प्रांतो में अलग अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे आंध्र प्रदेश मे भोगी, असम मे मेघ बिहू, यूपी बिहार और कर्नाटक मे मकर संक्रांति, तमिलनाडू में पोंगल . शाम को एक पूजा समारोह रखा जाता है. जिसमें लोग अग्नि की पूजा करते है . आलाव के चारों ओर परिक्रमा करते हैं. भविष्य की समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. लोग स्वादिष्ट भोजन खाने का आनंद लेते हैं, जैसे मक्के की रोटी, सरसों का साग, तिल, गुड़, गज्जक, मूंगफली, पॉपकॉर्न खाते हैं. नाच गाकर लोहड़ी के प्रसाद का आनंद लेते हैं.Importance and history of Lohri

ये भी पढ़ें- लोहड़ी में सुख समृद्धि के लिए किजिए ये काम

लोहड़ी के दिन रीति और रिवाज : इस दिन सभी सुन्दर और रंग बिरंगे कपडे़ पहनते हैं. ढोल (एक संगीत यंत्र) की थाप पर भांगड़ा(गिद्दा) करते हैं. लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए नए वित्तीय वर्ष के लिए एक प्रारंभिक रूप का प्रतीक है. यह भारत और विदेश में रहने वाले सभी पॅजाबियों द्वारा हर वर्ष मनाया जाता . लोहड़ी का त्यौहार नविवाहित जोड़े के लिये उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि घर में जन्मे पहले बच्चे के लिये. इस दिन, दुल्हन सभी चीजों से सुसज्जित होती है, जैसे नई चूड़ियां, कपड़े, अच्छी बिंदी, मेंहदी, साड़ी, स्टाइलिश बाल अच्छी तरह नए कपड़े और रंगीन पगड़ी पहने पति के साथ तैयार होती है. इस दिन हर नई दुल्हन को उसकी ससुराल की तरफ से नए कपड़े और गहने सहित बहुत से तोहफे दिये जाते Rituals and customs on day of Lohri हैं.

रायपुर / हैदराबाद : यह माना जाता है कि नाम लोहड़ी शब्द “लोई” (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था. हालांकि, कुछ मानते है कि यह शब्द “लोह” (चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण) से उत्पन्न हुआ Lohri festival 2023 था. लोहड़ी का त्योहार मनाने का एक और विश्वास है, कि लोहड़ी का जन्म होलिका की बहन के नाम पर हुआ. लोग मानते है कि होलिका की बहन बच गयी थी, हालांकि होलिका खुद आग में जल कर मर गई.इस त्योहार मनाने का एक और कारण है कि लोहड़ी शब्द तिलोरही (तिल का और रोरही एक संयोजन) से उत्पन्न हुआ Importance and history of Lohri था.

किसान नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में लोहड़ी मनाते हैं. यह ऐसा त्यौहार है जो, एक ही स्थान पर परिवार के सभी सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों को एक साथ लाता है. इस दिन लोग मिलते है और एक-दूसरे को मिठाई बॉटकर आनंद लेते हैं. Lohri festival 2023

लोहड़ी का महत्व और परंपरा : यह सबसे प्रसिद्ध फसल कटाई का त्योहार है. जो किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है. लोग इस दिन आलाव जलाते हैं. गाना गाते है और उसके चारों ओर नाचते हैं. आलाव के चारों ओर गाते और नाचते समय आग में कुछ रेवड़ी, टॉफी, तिल के बीज, पॉपकॉर्न, गुड अन्य चीज़ें भी डालते हैं.यह भारत के प्रांतो में अलग अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे आंध्र प्रदेश मे भोगी, असम मे मेघ बिहू, यूपी बिहार और कर्नाटक मे मकर संक्रांति, तमिलनाडू में पोंगल . शाम को एक पूजा समारोह रखा जाता है. जिसमें लोग अग्नि की पूजा करते है . आलाव के चारों ओर परिक्रमा करते हैं. भविष्य की समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. लोग स्वादिष्ट भोजन खाने का आनंद लेते हैं, जैसे मक्के की रोटी, सरसों का साग, तिल, गुड़, गज्जक, मूंगफली, पॉपकॉर्न खाते हैं. नाच गाकर लोहड़ी के प्रसाद का आनंद लेते हैं.Importance and history of Lohri

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लोहड़ी के दिन रीति और रिवाज : इस दिन सभी सुन्दर और रंग बिरंगे कपडे़ पहनते हैं. ढोल (एक संगीत यंत्र) की थाप पर भांगड़ा(गिद्दा) करते हैं. लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए नए वित्तीय वर्ष के लिए एक प्रारंभिक रूप का प्रतीक है. यह भारत और विदेश में रहने वाले सभी पॅजाबियों द्वारा हर वर्ष मनाया जाता . लोहड़ी का त्यौहार नविवाहित जोड़े के लिये उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि घर में जन्मे पहले बच्चे के लिये. इस दिन, दुल्हन सभी चीजों से सुसज्जित होती है, जैसे नई चूड़ियां, कपड़े, अच्छी बिंदी, मेंहदी, साड़ी, स्टाइलिश बाल अच्छी तरह नए कपड़े और रंगीन पगड़ी पहने पति के साथ तैयार होती है. इस दिन हर नई दुल्हन को उसकी ससुराल की तरफ से नए कपड़े और गहने सहित बहुत से तोहफे दिये जाते Rituals and customs on day of Lohri हैं.

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