रायपुर :वेद माता गायत्री को देवी पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी का संयुक्त अवतार माना जाता है. गायत्री माता के एक हाथ में वेद और दूसरे हाथ में कमंडल है. गायत्री माता के पांच मुख और दस भुजाए हैं. उनके चार मुख चारों वेदों के प्रतीक माने जाते हैं. माता का पांचवां मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य कही जाने वाली मां गायत्री की दस भुजाएं भगवान विष्णु का प्रतीक हैं.
गायत्री जयंती का मुहूर्त : पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि 30 मई दोपहर 1:08 से गायत्री जयंती शुरू होगी. यह तिथि 31 मई 2023 बुधवार को दोपहर 1: 46 मिनट तक रहेगी. 31 मई बुधवार के शुभ दिन हस्त नक्षत्र व्यतिपात योग, आनंद योग, कन्या और तुला राशि का सुंदर प्रभाव देखने को मिलेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहा है. यह पावन पर्व हस्त के साथ चित्रा नक्षत्र में भी मनाया जाएगा. इस शुभ दिन विष्कुंभ और सुंदर योग बन रहा है. आज के दिन चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेगा. शाम 6:29 से चंद्रमा का आगमन तुला राशि में होगा."
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गायत्री मंत्र का महत्व : गायत्री मंत्र यजुर्वेद के 36 वें अध्याय का तीसरा मंत्र माना गया है. यह महामंत्र सभी तरह की सिद्धियां प्रदान करने वाला एकमात्र मंत्र है. यह महामंत्र समस्त अभिष्ट कामनाओं को पूर्ण करता है. इस मंत्र के दृष्टा महर्षि विश्वामित्र माने गए हैं. यह महामंत्र षडज स्वर में गाए जाने वाला महामंत्र है. यह महामंत्र सामवेद यजुर्वेद और ऋग्वेद में बारी बारी से पाए जाते हैं. ऐसा माना गया है, गायत्री माता काली और लक्ष्मी का ही स्वरूप है. गायत्री जयंती के दिन सुबह में उठकर स्नान ध्यान योग से निवृत्त होकर गायत्री महामंत्र का पाठ जाप और अनुष्ठान करना चाहिए. इस मंत्र को लिखने से भी कई गुना लाभ मिलता है. यह महामंत्र अनेक सिद्धियों को प्रदान करने वाला मंत्र है.