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Nagpanchami 2022 : सांपों को पकड़ना या करतब दिखाना है गैरकानूनी

नागपंचमी (NagPanchami 2022) के दिन अक्सर सड़क किनारे, मंदिरों के आसपास और कॉलोनियों में कुछ लोग सांपों को दिखाकर लोगों से पूजा पाठ करवाते हैं. इन लोगों के समुदाय को सपेरा कहा जाता है. लेकिन ये कम लोगों को पता है कि सांपों को पकड़ना या उनके करतब दिखाना गैर कानूनी (illegal for snake charmers to perform the tricks of snakes in Nagpanchami) है.

Serpenting Snakes Wildlife Protection
सांपों को पकड़ना या करतब दिखाना है गैरकानूनी
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Published : Aug 1, 2022, 5:00 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 5:16 PM IST

रायपुर : अपनी बीन (NagPanchami 2022)की धुन पर सांपों को नचाने वाले सपेरे अब कम नजर आते (Nag panchami 2022 Date)हैं. इसकी वजह है सांपों को पकड़ने पर लगाई गई कानूनी रोक. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सांपों को पकड़ना अपराध की श्रेणी में आता (Serpenting Snakes Wildlife Protection ) है. ऐसे में अब इन सपेरों ने दूसरी राह निकाल ली है. अब सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें सपेरे सांप पकड़ते हुए और उसका खेल दिखाते नजर आ रहे हैं. अब सपेरों के इस खेल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है. लेकिन सांपों के लिए मुसीबत दोगुनी बढ़ गई है.

कौन हैं सपेरे : देश के कुछ खास कबीले सैकड़ों साल तक सांप पकड़कर अपना पेट पालते रहे हैं. इन्हीं को सपेरा भी कहा जाता है. भगवान शिव की उपासना करने वाले सपेरे अब मुश्किल में हैं. 1991 में सांपों को नचाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अब सांपों को रखना भी कानूनन अपराध है. इसका कारण सांपों पर बढ़ता अत्याचार था.

कब नजर आते हैं सपेरे : सांप को पकड़ने पर रोक लगने के बाद भी नागपंचमी के अवसर पर इन्हें देखा जा सकता है. शिव मंदिरों के आसपास यह नजर आते हैं. अंधविश्वास के कारण लोग सांप का दर्शन करना चाहते हैं. नागपंचमी के बाद वन विभाग के डर से इन सांपों को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता है, लेकिन तब तक सांप अधमरा हो चुका होता है और शिकार करने में अक्षम हो जाता (illegal for snake charmers to perform the tricks of snakes in Nagpanchami) है.

सपेरों की क्या है समस्या : सपेरों का कहना है कि ''मजबूरी के चलते यह काम कर रहे हैं. सरकार ने सांप पकड़ने पर तो रोक लगा दी लेकिन रोजगार के लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की. सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पा रहा.''

सांप पालना और नचाना अपराध : प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑफ एनिमल एक्ट के तहत किसी को भी सांप पालने का अधिकार नहीं है. जो लोग सांप रखते हैं, वो उन्हें बंधक बनाकर रख रहे हैं. इसके साथ ही मदारी सांप का जहर खत्म करने के लिए उसकी जहरीली दाढ़ (दांत) को तोड़ देता है. इसके बाद सांप खुद की किसी से रक्षा नहीं कर पाता और वह जंगल में छोड़ दिया जाए तो कुछ खा भी नहीं सकता. यह अपराध की श्रेणी में आता है. इसके दोषी को 25 हजार जुर्माना और दो साल तक की सजा हो सकती (नागपंचमी 2022) है.

ये भी पढ़ें- जानिए 80 साल पुरानी कुश्ती का इतिहास ?

कैसे बच सकते हैं सांप और अन्य वन्यजीव : सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से सांपों समेत वन्यजीवों को बचाया जा सकता है.

  • सांपों के साथ स्टंट करने व सोशल मीडिया पर डालने पर कड़ी सजा का किया जाए प्रावधान
  • सांप का विष निकालना गैर जमानती अपराध माना जाए.
  • सांप पाल कर रोजगार चलाने वाले इन सपेरों को राज्य सरकार किसी अन्य रोजगार या स्वरोजगार से जोड़े. जिससे उनका और उनके परिवार का जीवन यापन हो .
  • बच्चों को स्कूल शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रयास किए जाएं.
  • नाच गाने के नाम पर, विदेशों में लेकर जाने वाली संस्थाओं और होटल माफिया का रेगुलेशन होना चाहिए, जिससे कला का पैसा लोक कलाकारों के हिस्से में जाए.

रायपुर : अपनी बीन (NagPanchami 2022)की धुन पर सांपों को नचाने वाले सपेरे अब कम नजर आते (Nag panchami 2022 Date)हैं. इसकी वजह है सांपों को पकड़ने पर लगाई गई कानूनी रोक. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सांपों को पकड़ना अपराध की श्रेणी में आता (Serpenting Snakes Wildlife Protection ) है. ऐसे में अब इन सपेरों ने दूसरी राह निकाल ली है. अब सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें सपेरे सांप पकड़ते हुए और उसका खेल दिखाते नजर आ रहे हैं. अब सपेरों के इस खेल के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है. लेकिन सांपों के लिए मुसीबत दोगुनी बढ़ गई है.

कौन हैं सपेरे : देश के कुछ खास कबीले सैकड़ों साल तक सांप पकड़कर अपना पेट पालते रहे हैं. इन्हीं को सपेरा भी कहा जाता है. भगवान शिव की उपासना करने वाले सपेरे अब मुश्किल में हैं. 1991 में सांपों को नचाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. अब सांपों को रखना भी कानूनन अपराध है. इसका कारण सांपों पर बढ़ता अत्याचार था.

कब नजर आते हैं सपेरे : सांप को पकड़ने पर रोक लगने के बाद भी नागपंचमी के अवसर पर इन्हें देखा जा सकता है. शिव मंदिरों के आसपास यह नजर आते हैं. अंधविश्वास के कारण लोग सांप का दर्शन करना चाहते हैं. नागपंचमी के बाद वन विभाग के डर से इन सांपों को फिर से जंगल में छोड़ दिया जाता है, लेकिन तब तक सांप अधमरा हो चुका होता है और शिकार करने में अक्षम हो जाता (illegal for snake charmers to perform the tricks of snakes in Nagpanchami) है.

सपेरों की क्या है समस्या : सपेरों का कहना है कि ''मजबूरी के चलते यह काम कर रहे हैं. सरकार ने सांप पकड़ने पर तो रोक लगा दी लेकिन रोजगार के लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की. सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल पा रहा.''

सांप पालना और नचाना अपराध : प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑफ एनिमल एक्ट के तहत किसी को भी सांप पालने का अधिकार नहीं है. जो लोग सांप रखते हैं, वो उन्हें बंधक बनाकर रख रहे हैं. इसके साथ ही मदारी सांप का जहर खत्म करने के लिए उसकी जहरीली दाढ़ (दांत) को तोड़ देता है. इसके बाद सांप खुद की किसी से रक्षा नहीं कर पाता और वह जंगल में छोड़ दिया जाए तो कुछ खा भी नहीं सकता. यह अपराध की श्रेणी में आता है. इसके दोषी को 25 हजार जुर्माना और दो साल तक की सजा हो सकती (नागपंचमी 2022) है.

ये भी पढ़ें- जानिए 80 साल पुरानी कुश्ती का इतिहास ?

कैसे बच सकते हैं सांप और अन्य वन्यजीव : सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से सांपों समेत वन्यजीवों को बचाया जा सकता है.

  • सांपों के साथ स्टंट करने व सोशल मीडिया पर डालने पर कड़ी सजा का किया जाए प्रावधान
  • सांप का विष निकालना गैर जमानती अपराध माना जाए.
  • सांप पाल कर रोजगार चलाने वाले इन सपेरों को राज्य सरकार किसी अन्य रोजगार या स्वरोजगार से जोड़े. जिससे उनका और उनके परिवार का जीवन यापन हो .
  • बच्चों को स्कूल शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रयास किए जाएं.
  • नाच गाने के नाम पर, विदेशों में लेकर जाने वाली संस्थाओं और होटल माफिया का रेगुलेशन होना चाहिए, जिससे कला का पैसा लोक कलाकारों के हिस्से में जाए.
Last Updated : Aug 1, 2022, 5:16 PM IST
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