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आइफा के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने दिया इस्तीफा - राजा राम त्रिपाठी

अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राजा राम त्रिपाठी ने इसके लिए सरकार की नीतियों और किसान संगठनों के रवैये को जिम्मेदार ठहराया है.

Rajaram Tripathi
राजाराम त्रिपाठी
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Published : Feb 19, 2020, 9:02 AM IST

Updated : Feb 19, 2020, 9:12 AM IST

रायपुर: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने केंद्र सरकार की नीतियों और किसान संघों के रवैये से तंग आकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

आइफा के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी का इस्तीफा

उन्होंने अपने त्यागपत्र में केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि 'केंद्र सरकार की ओर से पेश बजट 2020-21 में कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया है और इससे भी ज्यादा, इसे लेकर किसान संगठनों के रवैये से मुझे बहुत दुख हुआ है.'

किसानों को महासंघ का नहीं मिल रहा लाभ

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि 'अखिल भारतीय किसान महासंघ का जिस उद्देश्य के लिए गठन किया गया था वह उससे भटका हुआ नजर आ रहा है. इस संगठन का उद्देश्य देशभर में अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों के लिए काम कर रहे संगठनों को एक मंच पर लाना था. ताकि किसानों की मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया जा सके, लेकिन आज हालत ये है कि ज्यादातर संगठन प्रमुख अपनी राजनीतिक स्वार्थ के चलते सरकार का खुलकर विरोध करने से कतरा रहे हैं. ऐसे में इस महासंघ का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है.'

उन्होंने कहा कि 'किसान संगठनों का आइफा को लेकर गंभीर न होना इसके गठन को विफल बनाता है.' वहीं उन्होंने कहा कि 'संगठन के रवैये से ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय संयोजक के रूप में मेरी कोई आवश्यकता नहीं है.'

बता दें कि राजाराम त्रिपाठी कोंडागांव के रहने वाले हैं और उन्होंने जैविक कृषि को लेकर देशभर में अलग नाम बनाया है.

रायपुर: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी ने केंद्र सरकार की नीतियों और किसान संघों के रवैये से तंग आकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

आइफा के राष्ट्रीय संयोजक राजाराम त्रिपाठी का इस्तीफा

उन्होंने अपने त्यागपत्र में केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि 'केंद्र सरकार की ओर से पेश बजट 2020-21 में कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया है और इससे भी ज्यादा, इसे लेकर किसान संगठनों के रवैये से मुझे बहुत दुख हुआ है.'

किसानों को महासंघ का नहीं मिल रहा लाभ

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि 'अखिल भारतीय किसान महासंघ का जिस उद्देश्य के लिए गठन किया गया था वह उससे भटका हुआ नजर आ रहा है. इस संगठन का उद्देश्य देशभर में अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों के लिए काम कर रहे संगठनों को एक मंच पर लाना था. ताकि किसानों की मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया जा सके, लेकिन आज हालत ये है कि ज्यादातर संगठन प्रमुख अपनी राजनीतिक स्वार्थ के चलते सरकार का खुलकर विरोध करने से कतरा रहे हैं. ऐसे में इस महासंघ का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है.'

उन्होंने कहा कि 'किसान संगठनों का आइफा को लेकर गंभीर न होना इसके गठन को विफल बनाता है.' वहीं उन्होंने कहा कि 'संगठन के रवैये से ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय संयोजक के रूप में मेरी कोई आवश्यकता नहीं है.'

बता दें कि राजाराम त्रिपाठी कोंडागांव के रहने वाले हैं और उन्होंने जैविक कृषि को लेकर देशभर में अलग नाम बनाया है.

Last Updated : Feb 19, 2020, 9:12 AM IST
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