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पंचमी में इस विधि से करें बुद्धिदायिनी, मोक्षदायिनी भगवती स्कंदमाता की पूजा

आज नवरात्र का पांचवां दिन है. नवरात्र के पांचवें दिन भगवती स्कंदमाता की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता की पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है.

maa skandmata
भगवती स्कंदमाता
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Published : Apr 17, 2021, 12:38 AM IST

Updated : Apr 17, 2021, 8:59 AM IST

रायपुर: चैत्र नवरात्र का आज पांचवां दिन है. जिसे पंचमी भी कहा जाता है. नवरात्र के पांचवें दिन भगवती के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकट दूर होते हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.

भगवत स्कंदमाता की पूजा

मां स्कंदमाता की उपासना से मोक्ष के द्वार खुलते हैं. स्कंदमाता पद्मासनी देवी के नाम से भी जानी जाती हैं. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक या इनकी आराधना करने वाला अलौकिक तेज और क्रांति से संपन्न हो जाता है. इनकी पूजा से बुद्धि और प्रखरता बढ़ती है, ज्ञान बढ़ता है. वेदारंभ संस्कार (पढ़ाई की शुरुआत) के लिए भी ये दिन बेहद शुभ माना जाता है.

भगवती स्कंदमाता का रूप

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. जिनमें से दो भुजाओं में कमल है. मां का एक हाथ वरदहस्त (वरमुद्रा में) है और एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) हैं.

इसलिए पड़ा स्कंदमाता नाम

भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं. ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.

मां दुर्गा के नौ रूप

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

मां स्कंदमाता की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

मंत्र:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |

शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

स्तुति:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ऐसे करें पूजा

सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर मां स्कंदमाता की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.

रायपुर: चैत्र नवरात्र का आज पांचवां दिन है. जिसे पंचमी भी कहा जाता है. नवरात्र के पांचवें दिन भगवती के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकट दूर होते हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.

भगवत स्कंदमाता की पूजा

मां स्कंदमाता की उपासना से मोक्ष के द्वार खुलते हैं. स्कंदमाता पद्मासनी देवी के नाम से भी जानी जाती हैं. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक या इनकी आराधना करने वाला अलौकिक तेज और क्रांति से संपन्न हो जाता है. इनकी पूजा से बुद्धि और प्रखरता बढ़ती है, ज्ञान बढ़ता है. वेदारंभ संस्कार (पढ़ाई की शुरुआत) के लिए भी ये दिन बेहद शुभ माना जाता है.

भगवती स्कंदमाता का रूप

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. जिनमें से दो भुजाओं में कमल है. मां का एक हाथ वरदहस्त (वरमुद्रा में) है और एक हाथ में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) हैं.

इसलिए पड़ा स्कंदमाता नाम

भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं. ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है. इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.

मां दुर्गा के नौ रूप

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

मां स्कंदमाता की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

मंत्र:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |

शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

स्तुति:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ऐसे करें पूजा

सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर मां स्कंदमाता की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.

Last Updated : Apr 17, 2021, 8:59 AM IST
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