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रायगढ़: बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से किया था इनकार, प्रशासन के दखल के बाद मिला शव - रुपए के लिए गरीब परिवार पर दबाव

सारंगढ़ इलाके में निजी अस्पताल प्रबंधन पर रुपए न होने की स्थिति में परिजनों को शव नहीं देने के आरोप लगे हैं. पीड़ित परिवार, अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन से ETV भारत ने बातचीत की है. जानकारी मिली है कि बच्चे का शव गारंटर रखकर दिया गया है. लगातार रुपए के लिए गरीब परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है.

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प्रशासन के दखल के बाद मिला शव
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Published : Oct 19, 2020, 5:38 AM IST

Updated : Oct 19, 2020, 10:12 AM IST

रायगढ़: शुक्रवार को सारंगढ़ तहसील के ग्राम जशपुर के 8 वर्षीय बच्चे भुरू सारथी की मौत के बाद निजी अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बना लिया था. बच्चे के इलाज के नाम पर लगभग 48 हजार रुपए के बिल के भुगतान के लिए परिजनों को प्रताड़ित किया जा रहा था. देर रात स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की दखल के बाद बच्चे के शव को परिजनों को सौंपा गया. अस्पताल प्रबंधन अब मानवता भूलकर बच्चे के गरीब माता-पिता से बिल के भुगतान के लिए लगातार दबाव बना रहा है. मामले में ETV भारत ने सभी पक्षों से बात की है.

प्रशासन के दखल के बाद मिला शव

पढ़ें: बेमेतरा: केंद्र के कृषि और श्रम कानून के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी कांग्रेस, विधायक आशीष छाबड़ा ने ली बैठक

क्या है पूरा मामला

परिजनों ने बताया कि बच्चे का इलाज सारंगढ़ स्थित निजी हॉस्पिटल में 10 अक्टूबर से चल रहा था. 16 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे के करीब बच्चे की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से साफ इनकार कर दिया. इलाज के नाम पर बकाया रुपए के भुगतान के लिए दबाव बनाया जाने लगा. अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बनाया है, ऐसी खबर देर शाम स्थानीय प्रशासन को मिली. जिसके बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप करके मामले को निपटाया. बच्चे के शव को परिजनों को सौंपा गया. स्थानीय प्रशासन ने भी मामले में हस्तक्षेप किया. प्रशासन की ओर से कहा गया कि अस्पताल में किसी को गारंटर के तौर छोड़ा जाए, बाद में बिल चुकाया जाए. गरीब परिजनों के पास रुपए नहीं होने की स्थिति में उन्हें अपने ही बच्चे का शव घंटों बाद मिला और देर रात अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद शव को छोड़ा.

पढ़ें: रायगढ़: चंद्रशेखरपुर पंचायत के सामने ग्रामीण कर रहे भूख हड़ताल , समर्थन में उतरी बीजेपी
अस्पताल प्रबंधन का क्या कहना

श्री राधाकृष्ण अस्पताल के संस्थापक डॉ साहू ने बताया कि शव को बंधक बनाने के लिए नहीं रखा गया था. परिजनों ने खुद कहा था कि हमारे पास अभी रुपए नहीं हैं, बिल भुगतान करेंगे तभी शव लेकर जाएंगे, इसलिए शव को रखा गया है. हालांकि ETV भारत को डॉक्टर यह नहीं बता सके कि आखिर देर रात शव को क्यों सौंपा गया, जबकि रुपए का भुगतान तो तब भी नहीं हुआ है. फिलहाल पूरे मामले में प्रशासन अस्पताल प्रबंधन को बचाने का प्रयास करता नजर आ रहा है. अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है.

प्रशासन का क्या कहना

तहसीलदार भगत ने बताया कि गारंटर रखकर लाश को छोड़ा गया है, परिजनों को पैसा देना पड़ेगा. संबंधित मामले में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर घृतलहरे ने बताया कि उनको मामले की जानकारी नहीं थी, ना ही उनके पास कोई लिखित शिकायत आई है. अगर शिकायत मिलती है, तो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई होगी. वहीं परिजनों ने खुद कहा था कि हमारे पास अभी रुपए नहीं हैं, बिल भुगतान करेंगे, तभी शव लेकर जाएंगे, इसलिए शव को रखा गया है, ऐसी जानकारी मिली है.

रायगढ़: शुक्रवार को सारंगढ़ तहसील के ग्राम जशपुर के 8 वर्षीय बच्चे भुरू सारथी की मौत के बाद निजी अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बना लिया था. बच्चे के इलाज के नाम पर लगभग 48 हजार रुपए के बिल के भुगतान के लिए परिजनों को प्रताड़ित किया जा रहा था. देर रात स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की दखल के बाद बच्चे के शव को परिजनों को सौंपा गया. अस्पताल प्रबंधन अब मानवता भूलकर बच्चे के गरीब माता-पिता से बिल के भुगतान के लिए लगातार दबाव बना रहा है. मामले में ETV भारत ने सभी पक्षों से बात की है.

प्रशासन के दखल के बाद मिला शव

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क्या है पूरा मामला

परिजनों ने बताया कि बच्चे का इलाज सारंगढ़ स्थित निजी हॉस्पिटल में 10 अक्टूबर से चल रहा था. 16 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे के करीब बच्चे की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने शव ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से साफ इनकार कर दिया. इलाज के नाम पर बकाया रुपए के भुगतान के लिए दबाव बनाया जाने लगा. अस्पताल प्रबंधन ने शव को बंधक बनाया है, ऐसी खबर देर शाम स्थानीय प्रशासन को मिली. जिसके बाद प्रशासन ने हस्तक्षेप करके मामले को निपटाया. बच्चे के शव को परिजनों को सौंपा गया. स्थानीय प्रशासन ने भी मामले में हस्तक्षेप किया. प्रशासन की ओर से कहा गया कि अस्पताल में किसी को गारंटर के तौर छोड़ा जाए, बाद में बिल चुकाया जाए. गरीब परिजनों के पास रुपए नहीं होने की स्थिति में उन्हें अपने ही बच्चे का शव घंटों बाद मिला और देर रात अस्पताल प्रबंधन ने प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद शव को छोड़ा.

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अस्पताल प्रबंधन का क्या कहना

श्री राधाकृष्ण अस्पताल के संस्थापक डॉ साहू ने बताया कि शव को बंधक बनाने के लिए नहीं रखा गया था. परिजनों ने खुद कहा था कि हमारे पास अभी रुपए नहीं हैं, बिल भुगतान करेंगे तभी शव लेकर जाएंगे, इसलिए शव को रखा गया है. हालांकि ETV भारत को डॉक्टर यह नहीं बता सके कि आखिर देर रात शव को क्यों सौंपा गया, जबकि रुपए का भुगतान तो तब भी नहीं हुआ है. फिलहाल पूरे मामले में प्रशासन अस्पताल प्रबंधन को बचाने का प्रयास करता नजर आ रहा है. अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है.

प्रशासन का क्या कहना

तहसीलदार भगत ने बताया कि गारंटर रखकर लाश को छोड़ा गया है, परिजनों को पैसा देना पड़ेगा. संबंधित मामले में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर घृतलहरे ने बताया कि उनको मामले की जानकारी नहीं थी, ना ही उनके पास कोई लिखित शिकायत आई है. अगर शिकायत मिलती है, तो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई होगी. वहीं परिजनों ने खुद कहा था कि हमारे पास अभी रुपए नहीं हैं, बिल भुगतान करेंगे, तभी शव लेकर जाएंगे, इसलिए शव को रखा गया है, ऐसी जानकारी मिली है.

Last Updated : Oct 19, 2020, 10:12 AM IST
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