रायपुर: छत्तीसगढ़ में होलिका के भस्म को एक दूसरे के माथे पर तिलक लगाने की परंपरा है. इसके माध्यम से लोग एक दूसरे का सत्कार करते हैं, अभिवादन करते हैं. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "आयुर्वेद के नजरिए से यह भस्म आरोग्य वर्धक मानी जाती है. इस भस्म को अच्छी तरह से साफ करने के बाद शुद्ध मन से ग्रहण भी करना चाहिए. प्रसाद के रूप में बहुत ही संतुलित मात्रा में अपने शरीर के अनुकूल इस भस्म को लिया जाता है."
नई फसल लगाने से पहले खेत में करें छिड़काव: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "होलाष्टक खत्म होते ही फसलों का पूजन सत्कार कर नई फसलों का अभिवादन किया जाता है. छत्तीसगढ़ में होलिका की भस्म को नई फसल लगाने के पहले पूरे क्षेत्र में बिखेरने की भी परंपरा है. इसके साथ ही होलाष्टक खत्म होते ही एक दूसरे से मांगलिक कार्यों की चर्चा करने का भी समय शुरू हो जाता है. यहां से मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश होता है."
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होसाष्टक समाप्त होते ही कर सकते हैं नए काम: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "होलाष्टक खत्म होते ही नए वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, गैजेट, मोबाइल या घर में उपयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को भी खरीदने की परंपरा रही है. होलाष्टक के बाद ही नई चीजों में निवेश, शेयर, म्युचुअल फंड, स्थाई जमा पूंजी निवेश कर सकते हैं. इसके साथ ही होली का पर्व आपसी दुश्मनी को भूलकर आगे बढ़ने की रही है. होलाष्टक समाप्त होते ही दुश्मनी छोड़कर आपसी संबंधों को सुधारने का मौका मिलता है."
नई ऊर्जा के साथ पढ़ने लिखने में जुट जाते हैं छात्र: पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "विद्यार्थी वर्ग को होलाष्टक के बाद नई ऊर्जा, नई चेतना के साथ पढाई लिखाई में डूबने का मौका मिलता है. यह ऋतु परिवर्तन का समय है. संक्रमण काल का समय है, और नई फसलों के स्वागत का समय है. नई फसलों के स्वागत में छत्तीसगढ़ में लोक गीत गाए जाते हैं. होलाष्टक के खत्म होते ही भूमि, भवन, प्लॉट ऑफिस की रजिस्ट्री कराना शुभ माना गया है. इसके बाद ही कोई लंबित शारीरिक ऑपरेशन, शारीरिक व्याधि को दूर करने के प्रयास शुरू करनी चाहिए."