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क्या है हिट एंड रन कानून, जानिए पहले और अब में अंतर ? - हिट एंड रन कानून

Hit And Run Law हिट एंड रन कानून को लेकर पूरे देश सहित प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है. वाहन चालक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. बस और ट्रकों के पहिए थम गए हैं. लोगों को इससे खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन ज्यादातर लोगों को इस कानून के बारे में पूरी जानकारी नहीं है.ईटीवी भारत ने इस बारे में एक्सपर्ट से जाना कि ये कानून किस तरह से ड्राइवर्स के लिए फायदेमंद है.

hit and run law
क्या है हिट एंड रन कानून
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 2, 2024, 7:48 PM IST

क्या है हिट एंड रन कानून ?

रायपुर : हिट एंड रन का मतलब है लापरवाही पूर्वक तेज गति से वाहन चलाते हुए किसी व्यक्ति या संपत्ति कोई नुकसान पहुंचाना और फिर मौके से भाग जाना. इस घटना के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है ,तो ऐसा करने वालों के लिए कानून में सजा का प्रावधान है. हिट एंड रन के मामले को लेकर कानून के जानकार एनडी मानिकपुरी का कहना है कि इस नए कानून के अंतर्गत जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन राशि का अभी उल्लेख नहीं किया गया है.

पहले और अब में क्या है फर्क ? : मानिकपुरी ने बताया कि भारत सरकार ने भारतीय दंड संहिता को संशोधित करते हुए भारतीय न्याय संहिता लाया है. पहले 511 धारा थी, वर्तमान में 358 धारा है. जिसमें से भारत सरकार ने कुछ अनुपयोगी धाराओं को समाप्त या संशोधित किया है. इसमें 304 (A) वाहन दुर्घटना वाली धारा भी शामिल है. उसमें पहले यदि कोई लापरवाही पूर्वक वाहन चलाता है और गैर इरादतन मामले में यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उसमें 2 साल की सजा और संज्ञेय अपराध थी. ये जमानती धारा थी.

घटना के बाद पुलिस या कोर्ट को देनी होगी जानकारी : एनडी मानिकपुरी ने बताया कि वर्तमान में धारा 106 प्रावधान को दो भाग में डिवाइड किया गया है. पहले जो 304 (A) की स्थिति में यदि दुर्घटना होती है उसमें किसी की मृत्यु हो जाती है. आपका इरादा गैर इरादतन रहा हो तो उसमें 1 साल की सजा का प्रावधान और जुर्माना था. जो संज्ञेय अपराध और जमानती धारा थी.लेकिन अब उसी में एक और उपधारा 106 (2) जोड़ी गई है.जिसके बाद यदि वाहन चलाने से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो आपको पुलिस स्टेशन में बताना होगा. या फिर जेएमएफसी या फिर फर्स्ट क्लास जुडिशल मजिस्ट्रेट दोनों जगह आपको सूचना देनी होगी. वर्तमान में धारा 106 (2) में संज्ञेय अपराध के साथ-साथ गैर जमानती धारा हो जाएगी.


किन पर लागू होगा कानून ? : हिट एंड रन कानून सिर्फ ड्राइवर ही नहीं बल्कि हर प्रकार के व्हीकल चलने वाले पर लागू होगा. फिर चाहे दुर्घटना टू व्हीलर, फोर व्हीलर या फिर कोई ओर वाहन चालक हो. ऐसी स्थिति में दिक्कत ये होगी कि यदि कोई घटना घटित होने के बाद यदि कोई घटना स्थल पर रुकता है या फिर सूचना देने जाता है तो उसके साथ भी कोई अनहोनी हो सकती है उसे लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है.

पुलिस कैसे अपराध करेगी दर्ज : इस कानून में दूसरी तकनीकी दिक्कत यह है कि यदि 106 में कोई घटना हुई है, तो वह 106(1) हुई है या फिर 106(2 )में हुई है यह कैसे डिफाइन होगा. अधिकतर मामला पुलिस 106 (2) ही लगाएगी .106 (2) लगाकर गैर जमानती धारा में एफआईआर दर्ज करेगी. यह सिर्फ ट्रक बस ड्राइवर के लिए नहीं बल्कि सभी प्रकार के वाहन चालकों के लिए है.यदि ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस जान बूझकर 106(2) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करती है, तो वह गैर जमानती धारा हो जाएगी और उसे बेल लेना पड़ेगा.

वाहन चालक को देना होगा जुर्माना : वही इंश्योरेंस की स्थिति में किस तरह की व्यवस्था है, इस पर एनडी मानिकपुरी ने बताया कि यदि क्षतिपूर्ति की बात आती है तो वह पैसा इंश्योरेंस कंपनी देती है. लेकिन यदि इन मामलों में कोर्ट किसी को दोषी पता है और सजा देता है. वह सजा इस व्यक्ति को काटनी होगी. साथ ही जुर्माने की राशि भी उसी को भरनी होगी. इसमें 106(2 ) में सीधा-सीधा कहा गया है कि इसमें आपको 10 साल तक की सजा हो सकती है. यह गैर जमानती धारा है. इसके लिए आपको कोर्ट से जमानत लेनी होगी.

पहले एक्सीडेंट के बाद थाने से छूट जाते थे लोग : अब तक ऐसे मामलों में थाने से मुचलके के पर लोग छूट जाते थे. बाद में कोर्ट में चालान पेश होता था, जिसमें रेगुलर बेल दिया जाता था. लेकिन संशोधन के बाद वर्तमान में पुलिस सीधे गिरफ्तार करके लाएगी और सीधे जेएमएफसी कोर्ट, सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट से बेल लेना होगा. इसमें दो-तीन या 6 महीने भी लगा सकते हैं. उसके बाद भी बेल होगी या नहीं कहा नहीं जा सकता.

क्या है हिट एंड रन कानून ?

रायपुर : हिट एंड रन का मतलब है लापरवाही पूर्वक तेज गति से वाहन चलाते हुए किसी व्यक्ति या संपत्ति कोई नुकसान पहुंचाना और फिर मौके से भाग जाना. इस घटना के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है ,तो ऐसा करने वालों के लिए कानून में सजा का प्रावधान है. हिट एंड रन के मामले को लेकर कानून के जानकार एनडी मानिकपुरी का कहना है कि इस नए कानून के अंतर्गत जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन राशि का अभी उल्लेख नहीं किया गया है.

पहले और अब में क्या है फर्क ? : मानिकपुरी ने बताया कि भारत सरकार ने भारतीय दंड संहिता को संशोधित करते हुए भारतीय न्याय संहिता लाया है. पहले 511 धारा थी, वर्तमान में 358 धारा है. जिसमें से भारत सरकार ने कुछ अनुपयोगी धाराओं को समाप्त या संशोधित किया है. इसमें 304 (A) वाहन दुर्घटना वाली धारा भी शामिल है. उसमें पहले यदि कोई लापरवाही पूर्वक वाहन चलाता है और गैर इरादतन मामले में यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उसमें 2 साल की सजा और संज्ञेय अपराध थी. ये जमानती धारा थी.

घटना के बाद पुलिस या कोर्ट को देनी होगी जानकारी : एनडी मानिकपुरी ने बताया कि वर्तमान में धारा 106 प्रावधान को दो भाग में डिवाइड किया गया है. पहले जो 304 (A) की स्थिति में यदि दुर्घटना होती है उसमें किसी की मृत्यु हो जाती है. आपका इरादा गैर इरादतन रहा हो तो उसमें 1 साल की सजा का प्रावधान और जुर्माना था. जो संज्ञेय अपराध और जमानती धारा थी.लेकिन अब उसी में एक और उपधारा 106 (2) जोड़ी गई है.जिसके बाद यदि वाहन चलाने से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो आपको पुलिस स्टेशन में बताना होगा. या फिर जेएमएफसी या फिर फर्स्ट क्लास जुडिशल मजिस्ट्रेट दोनों जगह आपको सूचना देनी होगी. वर्तमान में धारा 106 (2) में संज्ञेय अपराध के साथ-साथ गैर जमानती धारा हो जाएगी.


किन पर लागू होगा कानून ? : हिट एंड रन कानून सिर्फ ड्राइवर ही नहीं बल्कि हर प्रकार के व्हीकल चलने वाले पर लागू होगा. फिर चाहे दुर्घटना टू व्हीलर, फोर व्हीलर या फिर कोई ओर वाहन चालक हो. ऐसी स्थिति में दिक्कत ये होगी कि यदि कोई घटना घटित होने के बाद यदि कोई घटना स्थल पर रुकता है या फिर सूचना देने जाता है तो उसके साथ भी कोई अनहोनी हो सकती है उसे लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है.

पुलिस कैसे अपराध करेगी दर्ज : इस कानून में दूसरी तकनीकी दिक्कत यह है कि यदि 106 में कोई घटना हुई है, तो वह 106(1) हुई है या फिर 106(2 )में हुई है यह कैसे डिफाइन होगा. अधिकतर मामला पुलिस 106 (2) ही लगाएगी .106 (2) लगाकर गैर जमानती धारा में एफआईआर दर्ज करेगी. यह सिर्फ ट्रक बस ड्राइवर के लिए नहीं बल्कि सभी प्रकार के वाहन चालकों के लिए है.यदि ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस जान बूझकर 106(2) के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करती है, तो वह गैर जमानती धारा हो जाएगी और उसे बेल लेना पड़ेगा.

वाहन चालक को देना होगा जुर्माना : वही इंश्योरेंस की स्थिति में किस तरह की व्यवस्था है, इस पर एनडी मानिकपुरी ने बताया कि यदि क्षतिपूर्ति की बात आती है तो वह पैसा इंश्योरेंस कंपनी देती है. लेकिन यदि इन मामलों में कोर्ट किसी को दोषी पता है और सजा देता है. वह सजा इस व्यक्ति को काटनी होगी. साथ ही जुर्माने की राशि भी उसी को भरनी होगी. इसमें 106(2 ) में सीधा-सीधा कहा गया है कि इसमें आपको 10 साल तक की सजा हो सकती है. यह गैर जमानती धारा है. इसके लिए आपको कोर्ट से जमानत लेनी होगी.

पहले एक्सीडेंट के बाद थाने से छूट जाते थे लोग : अब तक ऐसे मामलों में थाने से मुचलके के पर लोग छूट जाते थे. बाद में कोर्ट में चालान पेश होता था, जिसमें रेगुलर बेल दिया जाता था. लेकिन संशोधन के बाद वर्तमान में पुलिस सीधे गिरफ्तार करके लाएगी और सीधे जेएमएफसी कोर्ट, सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट से बेल लेना होगा. इसमें दो-तीन या 6 महीने भी लगा सकते हैं. उसके बाद भी बेल होगी या नहीं कहा नहीं जा सकता.

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