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Raipur kausilya mata mandir : कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप, जानिए इतिहास

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Published : Oct 7, 2022, 3:56 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 5:36 PM IST

रायपुर के चंदखुरी में स्थित माता कौशिल्या का मंदिर है. इस स्थान को कौशल्या की जन्मस्थली भी कहा जाता है. भगवान राम का ननिहाल के नाम से भी अपनी पहचान रखता है. यह मंदिर प्राचीन होने के साथ ही ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण सोमकालीन राजाओं के शासनकाल में लगभग 8वीं शताब्दी में कराया गया था. Raipur latest news

कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप

रायपुर : कौशल्या माता के इस मंदिर में माता कौशिल्या भगवान राम को अपने गोद में लेकर बैठी हुई है. इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के बाद मंदिर का स्वरूप अब पूरी तरह से बदल गया है. यहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी घूमने आते हैं. माता कौशल्या के इस मंदिर के प्रांगण में पिछले 4 सालों से पितर पक्ष में पितर महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है.

कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप

क्या है चंदखुरी का इतिहास : माता कौशिल्या का यह मंदिर राजधानी रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर महानदी के तट पर बसा हुआ है. प्राचीन नगरी आरंग है. महाभारत काल में दानवीर मोरध्वज की राजधानी के रूप में विख्यात थी.रामायण काल में आरंग कोसल नरेश राजा भानुमंत की राजधानी हुआ करती थी. माता कौशल्या का यह मंदिर चारों ओर से तालाबों से घिरा हुआ है. पर्यटन की दृष्टि से इसको विकसित करने के उद्देश्य से चारों ओर लाइटिंग की गई है. अलग-अलग झांकियां भी रखी गई है. यह मनमोहक और आकर्षक है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि माता कौशल्या राम को अपनी गोद में लेकर बैठी हुई है. जिसमें माता का सिर छोटा है और भगवान श्रीराम का सिर बड़ा दिखाई देता (History of Kaushilya Mata Temple) है.

कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप, जानिए इतिहास
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप

किसने कराया था मंदिर का निर्माण : माता कौशिल्या की जन्मस्थली चंदखुरी का यह मंदिर इकलौता और अनोखा मंदिर माना जाता (Kaushilya Mata Temple at Chandkhuri) है. माता कौशिल्या के इस मंदिर को लेकर इतिहासकार और पुरातत्वविद डॉक्टर हेमू यदु का कहना है कि "लगभग आठवीं शताब्दी में सोमकालीन राजाओं के शासनकाल में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. बीते कुछ सालों पहले सरकार ने इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया है. जिसके बाद से पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. यह मंदिर आज अपने नए कलेवर में देखने को मिल रहा है. इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है. यह माता कौशिल्या की जन्मस्थली है. उनके पिता का नाम राजा भानुमंत था. जो दक्षिण कोसल के राजा हुआ करते थे और उनकी पुत्री का नाम भानुमति था. कोसल की बेटी होने के कारण शादी होने के बाद उनका नाम कौशल्या पड़ा."

भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन
भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन
भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन
भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन

पर्यटकों को मंदिर में मिल रही सुविधाएं : भगवान राम के ननिहाल और माता कौशिल्या की जन्मस्थली का भ्रमण करने आये कुछ पर्यटकों से हमने बात कि तो उन्होंने बताया कि "यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है इस मंदिर की सुंदरता और भव्यता को निखारने के लिए शासन प्रशासन के द्वारा इसे विकसित किया गया है. जिसके बाद से पर्यटकों की संख्या भी दिनों दिन बढ़ती जा रही है. पहले यह मंदिर जंगल झाड़ियों के बीच में हुआ करता था और कम पर्यटक पहुंचते थे. नए सिरे से मंदिर का जीर्णोद्धार होने के बाद से लगातार पर्यटक माता कौशिल्या का इस मंदिर का दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. जीर्णोद्धार होने के बाद इस मंदिर के चारों तरफ सुंदर लाइटिंग और झांकियों को भी सजाया गया है. जो मनमोहक और काफी सुंदर है."Raipur latest news


रायपुर : कौशल्या माता के इस मंदिर में माता कौशिल्या भगवान राम को अपने गोद में लेकर बैठी हुई है. इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के बाद मंदिर का स्वरूप अब पूरी तरह से बदल गया है. यहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी घूमने आते हैं. माता कौशल्या के इस मंदिर के प्रांगण में पिछले 4 सालों से पितर पक्ष में पितर महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है.

कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप

क्या है चंदखुरी का इतिहास : माता कौशिल्या का यह मंदिर राजधानी रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर महानदी के तट पर बसा हुआ है. प्राचीन नगरी आरंग है. महाभारत काल में दानवीर मोरध्वज की राजधानी के रूप में विख्यात थी.रामायण काल में आरंग कोसल नरेश राजा भानुमंत की राजधानी हुआ करती थी. माता कौशल्या का यह मंदिर चारों ओर से तालाबों से घिरा हुआ है. पर्यटन की दृष्टि से इसको विकसित करने के उद्देश्य से चारों ओर लाइटिंग की गई है. अलग-अलग झांकियां भी रखी गई है. यह मनमोहक और आकर्षक है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि माता कौशल्या राम को अपनी गोद में लेकर बैठी हुई है. जिसमें माता का सिर छोटा है और भगवान श्रीराम का सिर बड़ा दिखाई देता (History of Kaushilya Mata Temple) है.

कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप, जानिए इतिहास
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप
कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरूप

किसने कराया था मंदिर का निर्माण : माता कौशिल्या की जन्मस्थली चंदखुरी का यह मंदिर इकलौता और अनोखा मंदिर माना जाता (Kaushilya Mata Temple at Chandkhuri) है. माता कौशिल्या के इस मंदिर को लेकर इतिहासकार और पुरातत्वविद डॉक्टर हेमू यदु का कहना है कि "लगभग आठवीं शताब्दी में सोमकालीन राजाओं के शासनकाल में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. बीते कुछ सालों पहले सरकार ने इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया है. जिसके बाद से पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. यह मंदिर आज अपने नए कलेवर में देखने को मिल रहा है. इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है. यह माता कौशिल्या की जन्मस्थली है. उनके पिता का नाम राजा भानुमंत था. जो दक्षिण कोसल के राजा हुआ करते थे और उनकी पुत्री का नाम भानुमति था. कोसल की बेटी होने के कारण शादी होने के बाद उनका नाम कौशल्या पड़ा."

भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन
भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन
भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन
भगवान राम की बाल लीलाओं का प्रदर्शन

पर्यटकों को मंदिर में मिल रही सुविधाएं : भगवान राम के ननिहाल और माता कौशिल्या की जन्मस्थली का भ्रमण करने आये कुछ पर्यटकों से हमने बात कि तो उन्होंने बताया कि "यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है इस मंदिर की सुंदरता और भव्यता को निखारने के लिए शासन प्रशासन के द्वारा इसे विकसित किया गया है. जिसके बाद से पर्यटकों की संख्या भी दिनों दिन बढ़ती जा रही है. पहले यह मंदिर जंगल झाड़ियों के बीच में हुआ करता था और कम पर्यटक पहुंचते थे. नए सिरे से मंदिर का जीर्णोद्धार होने के बाद से लगातार पर्यटक माता कौशिल्या का इस मंदिर का दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. जीर्णोद्धार होने के बाद इस मंदिर के चारों तरफ सुंदर लाइटिंग और झांकियों को भी सजाया गया है. जो मनमोहक और काफी सुंदर है."Raipur latest news


Last Updated : Oct 7, 2022, 5:36 PM IST
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