रायपुर : आज हम छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से रायपुर लोकसभा सीट पर बात करने जा रहे हैं. इस सीट से वर्तमान में बीजेपी से सुनील सोनी सांसद हैं. जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद दुबे को 3 लाख 48 हजार 238 वोटों से हराया था. उस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सुनील सोनी को 8 लाख 37 हजार 902 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रहे प्रमोद दुबे को 4 लाख 89 हजार 664 वोट मिले थे.
2014 में सत्यनारायण शर्मा बीजेपी के रमेश बैस से हारे : वहीं लोकसभा चुनाव 2014 की बात की जाए ,तो उस दौरान भी बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. बीजेपी से रमेश बैस ने 1 लाख 71 हजार 646 मतों से विजय हासिल की थी. इस चुनाव में कांग्रेस ने सत्यनारायण शर्मा को मैदान में उतारा था. लेकिन वो ये चुनाव हार गए. उस चुनाव में रमेश बैस को 6,54,922 वोट मिले थे, जबकि सत्यनारायण शर्मा को 4,83,276 वोट मिले थे.
रमेश बैस लगातार 23 साल रहे सांसद : रमेश बैस की यह पहली जीत नहीं थी, इसके पहले भी लगातार रमेश बैस रायपुर लोकसभा सीट से जीतते आए थे. वह इस सीट पर लगातार छह बार लोकसभा चुनाव जीत चुके थे. रमेश बैस का रायपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने का दौर राज्य बनने के पहले से शुरू था. वह पहली बार 1996 में रायपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. इसके बाद 1998, 1999, 2004, 2009, और 2014 में हुए लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बने. इस तरह रमेश बैस 1996 से लेकर 2019 तक लगभग 23 साल सांसद रहे.
2004 में रमेश बैस ने दिग्गज नेता को हराया : छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रमेश बैस के खिलाफ कांग्रेस ने श्यामा चरण शुक्ला को मैदान में उतारा था. उस दौरान रमेश बैस 1,29,519 मतों से जीत गए. चुनाव में रमेश बैस को 3,76,029 वोट मिले थे जबकि श्यामा चरण शुक्ला को 2,40,510 वोट हासिल हुए थे.
2009 में भूपेश बघेल हारे : 2009 लोकसभा चुनाव में रमेश बैस के खिलाफ भूपेश बघेल को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा. लेकिन इस बार भी कांग्रेस जीत हासिल नहीं कर सकी. हालांकि इस बार हार का अंतर महज 57,901 वोट रहा. इस चुनाव में रमेश बैस को 3,64,943 वोट मिले थे , जबकि भूपेश बघेल को 3,07,042 वोट हासिल हुए थे. ऐसे में कह सकते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर रही.
उम्मीदवार बदले लेकिन नतीजा वही : इस तरह से कहा जा सकता है रायपुर लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है. ऐसे में इस सीट पर सेंधमारी करना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. कहते हैं लोकसभा चुनाव में केंद्र के मुद्दे हावी होते हैं. लेकिन जिस तरह से रायपुर लोकसभा सीट पर लगातार 1996 से लेकर 2019 तक बीजेपी जीतती आई है. इससे साफ है कि यहां पर ना तो केंद्रीय मुद्दा काम आया है और न हीं स्थानीय मुद्दों का असर दिखा. एक तरफा बीजेपी जीतती रही है.भले ही वोटों का अंतर कम या ज्यादा रहा हो, लेकिन अंत में जीत बीजेपी को ही मिली है. यही वजह है कि इस बार भी लोकसभा चुनाव में रायपुर सीट को लेकर काफी कशमकश की स्थिति है.