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reservation amendment bill in Highcourt :आरक्षण संशोधन विधेयक मामला पहुंचा हाईकोर्ट, राज्यपाल से मांगा गया जवाब

आरक्षण के मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट ने राजभवन को नोटिस भेजा है और 17 फरवरी तक जवाब मांगा गया है. हाई कोर्ट के निर्णय का कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने स्वागत किया है, उन्होंने कहा है कि '' हम उम्मीद करते हैं कि छत्तीसगढ़ के नौजवानों के हितों का ध्यान में रखते हुए सरकार ने जो विधेयक पारित किया है. उस पर राज्यपाल हस्ताक्षर कर उसको मंजूरी दे .हाई कोर्ट के निर्णय से यह साफ हो चुका है कि राज्य सरकार जनता के हित में फैसला लेती है.''

reservation amendment bill in Highcourt
आरक्षण संशोधन विधेयक मामला पहुंचा हाईकोर्ट
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Published : Feb 6, 2023, 6:23 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.जिसमें राज्यपाल को 17 फरवरी तक जवाब पेश करने को कहा गया है.इसके बाद कांग्रेस ने हाईकोर्ट के कदम को सराहनीय बताते हुए एक बार फिर आरक्षण संशोधन बिल पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर अपनी टिप्पणी दी है.रविन्द्र चौबे ने कहा कि ''आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की विधानसभा विशेष सत्र बुलाया था, जो विधेयक पारित कराया वह राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए आज पर्यंत लंबित है. हमने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, सरकार की ओर से भी और कुछ निजी तौर पर भी लोगों ने हाईकोर्ट में मामला लगाया था कि इस आरक्षण के मसले पर राजभवन द्वारा हस्ताक्षर नहीं करने के कारण छत्तीसगढ़ के पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को सीधा नुकसान हो रहा है, नियुक्तियां लगभग थम सा गया है.

17 फरवरी तक देना है जवाब : चौबे ने कहा कि ''इसलिए छत्तीसगढ़ के नौजवानों की उपेक्षा ना हो इसलिए हमने उच्च न्यायालय से इस संदर्भ में निर्देश मांगा है.आज हमें बहुत जान करके खुशी भी हुई है. उच्च न्यायालय ने इस पूरे मसले को संज्ञान में लिया है . राजभवन को स्पष्ट नोटिस जारी किया है और 17 फरवरी तक जवाब देने के लिए निर्देशित किया है. हम उम्मीद करते हैं कि राजभवन अभी भी छत्तीसगढ़ के नौजवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए जो भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार ने विधेयक बना करके फैसला किया है, उसको मंजूरी दे. अन्यथा उच्च न्यायालय से हम लोगों को उम्मीदे हैं अब जवाब जाएगा ,तो उच्च न्यायालय उस संदर्भ में निर्देश जारी करेंगा.''

ये भी पढ़ें- चिकित्सा शिक्षा विभाग में भर्ती के लिए पीएससी ने जारी किया नोटिफिकेशन

सरकार की जगी उम्मीद : रविंद्र चौबे ने कहा कि ''उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कपिल सिब्बल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यही हम लोगों की सोच भी है कि जिससे पूरे प्रदेश का वेलफेयर निर्भर करता है. जिसमें जनकल्याणकारी बातें हैं. लोगों को सीधे नौजवानों के भविष्य से जुड़ा मसला है. उसको राजभवन को इतने समय तक नहीं रुकना चाहिए. इसीलिए हम लोग उच्च न्यायालय गए हैं.आज उच्च न्यायालय के द्वारा नोटिस मिलने के बाद हमें उम्मीद जगी है.यह निश्चित रूप से ऐसा मामला है कि उच्च न्यायालय ने हमारे अपील पर संज्ञान लेते हुए राजभवन को नोटिस जारी किया है. इससे प्रदेश की जनता को भरोसा हो गया है कि आने वाले समय में सरकार के द्वारा जो लिया गया निर्णय है उसके पक्ष में ही उच्च न्यायालय से हमको रास्ता मिलेगा.''

रायपुर : छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.जिसमें राज्यपाल को 17 फरवरी तक जवाब पेश करने को कहा गया है.इसके बाद कांग्रेस ने हाईकोर्ट के कदम को सराहनीय बताते हुए एक बार फिर आरक्षण संशोधन बिल पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर अपनी टिप्पणी दी है.रविन्द्र चौबे ने कहा कि ''आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की विधानसभा विशेष सत्र बुलाया था, जो विधेयक पारित कराया वह राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए आज पर्यंत लंबित है. हमने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, सरकार की ओर से भी और कुछ निजी तौर पर भी लोगों ने हाईकोर्ट में मामला लगाया था कि इस आरक्षण के मसले पर राजभवन द्वारा हस्ताक्षर नहीं करने के कारण छत्तीसगढ़ के पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को सीधा नुकसान हो रहा है, नियुक्तियां लगभग थम सा गया है.

17 फरवरी तक देना है जवाब : चौबे ने कहा कि ''इसलिए छत्तीसगढ़ के नौजवानों की उपेक्षा ना हो इसलिए हमने उच्च न्यायालय से इस संदर्भ में निर्देश मांगा है.आज हमें बहुत जान करके खुशी भी हुई है. उच्च न्यायालय ने इस पूरे मसले को संज्ञान में लिया है . राजभवन को स्पष्ट नोटिस जारी किया है और 17 फरवरी तक जवाब देने के लिए निर्देशित किया है. हम उम्मीद करते हैं कि राजभवन अभी भी छत्तीसगढ़ के नौजवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए जो भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार ने विधेयक बना करके फैसला किया है, उसको मंजूरी दे. अन्यथा उच्च न्यायालय से हम लोगों को उम्मीदे हैं अब जवाब जाएगा ,तो उच्च न्यायालय उस संदर्भ में निर्देश जारी करेंगा.''

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सरकार की जगी उम्मीद : रविंद्र चौबे ने कहा कि ''उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कपिल सिब्बल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यही हम लोगों की सोच भी है कि जिससे पूरे प्रदेश का वेलफेयर निर्भर करता है. जिसमें जनकल्याणकारी बातें हैं. लोगों को सीधे नौजवानों के भविष्य से जुड़ा मसला है. उसको राजभवन को इतने समय तक नहीं रुकना चाहिए. इसीलिए हम लोग उच्च न्यायालय गए हैं.आज उच्च न्यायालय के द्वारा नोटिस मिलने के बाद हमें उम्मीद जगी है.यह निश्चित रूप से ऐसा मामला है कि उच्च न्यायालय ने हमारे अपील पर संज्ञान लेते हुए राजभवन को नोटिस जारी किया है. इससे प्रदेश की जनता को भरोसा हो गया है कि आने वाले समय में सरकार के द्वारा जो लिया गया निर्णय है उसके पक्ष में ही उच्च न्यायालय से हमको रास्ता मिलेगा.''

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