रायपुरः बिलासपुर हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की आपत्ति को खारिज करते हुए उनके विधायद पद को बरकरार रहने को फिलहाल अगली सुनवाई तक यथावत रखा है.
आदेश में कहा गया-
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और दो अन्य की हस्तक्षेप आवेदन पर कहा कि तीनों ‘आवश्यक पक्षकार’ (necessary party) की श्रेणी में नहीं आते हैं.
- तीनों हस्तक्षेपकर्ताओं (interveners) की भूमिका केवल न्यायिक स्थिति को स्पष्ट (position of law) करने तक ही सीमित रहेगी.
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की आपत्ति को खारिज करते हुए अजीत जोगी को प्राप्त विधायकी-सम्बंधित अंतरिम सुरक्षा को 6 नवम्बर 2019 की अगली सुनवाई तक यथावत रखा.
उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और दो अन्य व्यक्तियों की हस्तक्षेप याचिका पर अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि उपरोक्त तीनों अजीत जोगी के जाति-संबंधित प्रकरण में ‘आवश्यक पक्षकार’ (necessary party) की श्रेणी में नहीं आते है. लिहाजा वे प्रकरण के तथ्यों से संबंधित कोई भी दलील नहीं कर पाएंगे, न ही कोई दस्तावेज या अन्य कोई तथ्य माननीय न्यायालय के समक्ष प्रेषित कर पाएंगे. उनकी भूमिका केवल इस संबंध में न्यायिक स्थिति को स्पष्ट करने और विधिसम्मत न्यायिक सिद्धांतों को माननीय न्यायालय के समक्ष रखने तक ही सीमित रहेगी.
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साथ ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की आपत्ति को सिरे से खारिज करते हुए माननीय न्यायालय ने आदेशित किया कि जो पूर्व में 4 सितम्बर 2019 को अजीत जोगी को उनकी विधायकी-सम्बंधित अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई थी, वो मामले की 6 नवम्बर 2019 को अगली सुनवाई तक यथावत रहेगी.