रायपुर: देर से ही सही पर मानसून ने छत्तीसगढ़ में दस्तक दे दिया है. एक तरफ बारिश का मौसम लोगों को गर्मी के थपेड़ों से राहत दिलाता है. वहीं दूसरी तरफ यह मौसम संक्रमण का भी दौर भी कहलाता है. बारिश के दिनों में गंदे पानी से बीमारियों का खतरा 90 प्रतिशत बढ़ जाता है. इनमें सबसे प्रमुख है पीलिया और डायरिया.
क्यों होता है पीलिया और डायरिया:
पीलिया: लीवर में बिलीरुबिन के रह जाने से पीलिया बीमारी होती है. दरअसल बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के खून और टिशू, यानी कि उत्तक में होता है. बिलीरुबिन लिवर से फिल्टर होकर शरीर से बाहर निकलता है. किसी कारणवश यह लीवर से फिल्टर नहीं हो पाता है या लीवर तक पहुंच नहीं पता है, तब इसकी मात्रा बढ़ने लगती है. इसी वजह से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं और पीले रंग का बिलीरुबिन का निर्माण होता है. इससे पीलिया बीमारी हो जाती है.
डायरिया: इस बीमारी की मुख्य वजह बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है. हाथ से संबंध रखने वाला यह रोग रोटावायरस के कारण होता है. आंतों में सूजन कुछ दवाइयों का अधिक सेवन सी बीमारी होती है.
बारिश के मौसम में नालियों और सड़कों पर रुका हुआ पानी कई बार हमारे घरों के सप्लाई होने वाले पानियों में मिक्स हो जाता है. बाहर का खाना जैसे स्ट्रीट फूड बनाने के दौरान सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता. ऐसे में लगातार डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है. गर्मी के जाने का समय और बारिश के आने के समय में यह जो जुड़ता हुआ वक्त होता है, उसमें इस तरह की पीलिया और डायरिया की बीमारी ज्यादा होने की संभावना होती है. इसकी रोकथाम के लिए आप घर का बना खाना ज्यादा खाएं. कोशिश करें कि जो भी नाश्ता या स्ट्रीट फूड आप खा रहे हैं, वह गर्म हो. इससे इंफेक्शन होने के चांसेस कम हो जाते हैं. -डॉ आरएल खरे, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, अम्बेडकर अस्पताल
डायरिया और पीलिया के लक्षण: जी मचलना, पेट में मरोड़, मुंह में सूजन, मुंह का पानी सूखना, थकान, डिहाइड्रेशन, कम पेशाब होना, लगातार सिर में दर्द होना, मल में मवाद आना, आंखें छोटी होना, बुखार, मल में खून आना, लूजमोशन सब डायरिया के लक्षण हैं. वहीं पीलिया के लक्षण भी डायरिया के लक्षण से मिलते जुलते हैं. जैसे चिड़चिड़ापन लगना, आंख और खून का रंग पीला होना, सर दर्द, उल्टियां होना, भूख ना लगना आदि.