रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर कहा है कि एक मई से होने जा रहे 18 साल से ज्यादा के लोगों के टीकाकरण के लिए राज्य सरकार के पास पर्याप्त वैक्सीन नहीं है. टीएस सिंहदेव ने कहा कि यदि हम डेढ लाख वैक्सीन भी जुटा लेते हैं तब भी एक करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाना ना के बराबर है. सिंहदेव ने कहा कि ये वादा जनता को गुमराह करने की तरह है.
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 50 लाख वैक्सीन के लिए आर्डर प्लेस किए हैं. 25-25 लाख को-वैक्सीन और कोविशील्ड के हैं. इसमें कोविशील्ड वैक्सीन की निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. हमारे अधिकारी लगातार उनसे संपर्क में हैं. भारत बायोटेक की तरफ से कन्फर्मेशन आ गया है. उनकी तरफ से भी कहा गया है कि हम जुलाई के आखिरी तक वैक्सीन दे पाएंगे. उन्होंने जो शेड्यूल भेजा है उसमें 3 लाख मई में, 10 लाख जून में और 12 लाख जुलाई में देने को कहा है. हमने उनसे और कहा है कि 1लाख 50 हजार या 3 लाख में तो वैक्सीनेशन चालू नहीं हो पाएगा. टीकाकरण की प्रक्रिया अगर शुरू कर भी दी जाए तो वह बीच में बंद करनी पड़ेगी. हमने कहा है कि एक जानकारी दे दें कि 3 लाख अब मई में दे रहे हैं तो एक साथ कब देख सकते हैं. जून का अगर 10 लाख देंगे तो कब देंगे हमें वैक्सीनेशन ड्राइव उस हिसाब से चालू करेंगे.
1 मई से वैक्सीनेशन के लिए हमारे पास नहीं है पर्याप्त वैक्सीन: स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि पूरे देश में टीके का एक रेट होना चाहिए और केंद्र सरकार को ही देश की जनता के टीकाकरण की जिम्मेदारी उठानी चाहिए. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में भारत से सस्ते दाम में कोरोना वैक्सीन मिल रही है. वहां करीब 2 सौ रुपये में कोरोना का टीका मिल रहा है. जबकि भारत में ये दाम 4 सौ रुपये के करीब है.
'केंद्र सरकार ने जनता को किया गुमराह'
उन्होंने कहा के केंद्र सरकार ने जनता को गुमराह किया है. टीकाकरण की प्रक्रिया धीरे-धीरे शुरू की जानी चाहिए थी. देश में एक महीने में 7 करोड़ वैक्सीन ही बन रही है. एक दिन में सिर्फ 24 लाख वैक्सीन उपलब्ध कराये जा सकते है. ये वादा जनता को गुमराह करने की तरह है.
'केंद्र सरकार से बात करने का कोई औचित्य नहीं'
केंद्र सरकार से वैक्सीन के रेट को लेकर बातचीत पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने फैसला ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर संज्ञान लिया, बात सुप्रीम कोर्ट तक चली गई है. अब बात करने या ना करने का कोई औचित्य नहीं है.