ETV Bharat / state

पुत्रप्राप्ति के बाद राजा ब्रह्मदेव ने किया था हटकेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण, आज भी साक्षात प्रमाण है जलती धुनी - रायपुर में हटकेश्वरनाथ मंदिर

रायपुर के महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ का मंदिर (Hatkeshwarnath temple in raipur ) में पूरी होती है हर मुराद... विस्तृत जानकारी के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Hatkeshwarnath temple in raipur
हटकेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण
author img

By

Published : Feb 28, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Feb 28, 2022, 7:12 PM IST

रायपुर: रायपुर के महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ का मंदिर (Hatkeshwarnath temple in raipur ) काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने की थी. राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद 6 माह के अंतराल में मंदिर का निर्माण करवाया.

हटकेश्वरनाथ मंदिर

वर्तमान में लोग महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते है

रायपुर के खारून नदी के तट पर हटकेश्वरनाथ का धाम है. जिसे लोग वर्तमान में महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का निर्माण 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने उस समय किया था, जब हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. इस विषय में हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी सुरेश गिरी गोस्वामी कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि राजा ब्रह्मदेव शिकार पर निकले थे, तभी रायपुर के पास उनके घोड़े को चोट लगी और वह घोड़ा गिर गया. जिसके बाद उस स्थल से घास-फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुए. जिसके बाद राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह इस मंदिर का निर्माण 6 महीने की रात्रि में कराएंगे.

6 महीने की रात में इस मंदिर का निर्माण

इस प्राचीन और ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती. राजा ने पुत्रप्राप्ति के बाद 6 महीने की रात में इस मंदिर का निर्माण करवाया. कार्तिक मास की पूर्णिमा को पुन्नी मेला और फाल्गुन मास की चौदस तिथि को महाशिवरात्रि का मेला तब निरंतर चला आ रहा है. इस हटकेश्वरनाथ धाम के पास ही एक अखंड धुनी प्रज्वलित हो रही है. ऐसी मान्यता है कि लगभग साढ़े छः सौ साल पहले प्रथम पीढ़ी के महंत शिवगिरी ने अपने तंत्र-मंत्र और साधना से इस धुनी को प्रज्वलित किया था. इसी अखंड धुनी की अग्नि से आज भगवान हटकेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है.

यह भी पढ़ें: बिलासपुर: ट्रेन में महिला से छेड़खानी के बाद स्टेशन में हंगामा

यहां हर मन्नत होती है पूरी

इस विषय में हटकेश्वरनाथ धाम में पहुंचे भक्त राकेश कुमार शर्मा कहते हैं कि यह मंदिर एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. जहां पर भगवान से कोई भी मन्नत मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है. भक्त ने बताया कि जब भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, उस समय एक साथ 3 ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी. पृथ्वी लोक में महाकाल, स्वर्ग लोक में तारकेश्वर नाथ और पाताल लोक में हटकेश्वर नाथ के नाम से जिसे आज लोग हटकेश्वर नाथ धाम या महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं. यहां

पिछले कई सालों से अपनी दुकान लगा रहे दुकानदार बसंत गुप्ता कहते हैं कि बीते 2 सालों से कोरोना के कारण मेले में रौनक नहीं थी लेकिन मंगलवार को होने वाले महाशिवरात्रि के दिन मेले में अच्छी भीड़ होने की उम्मीद जतायी जा रही है.

रायपुर: रायपुर के महादेव घाट स्थित हटकेश्वरनाथ का मंदिर (Hatkeshwarnath temple in raipur ) काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने की थी. राजा ब्रह्मदेव ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद 6 माह के अंतराल में मंदिर का निर्माण करवाया.

हटकेश्वरनाथ मंदिर

वर्तमान में लोग महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते है

रायपुर के खारून नदी के तट पर हटकेश्वरनाथ का धाम है. जिसे लोग वर्तमान में महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं. इस मंदिर का निर्माण 1402 ईस्वी में राजा ब्रह्मदेव ने उस समय किया था, जब हैययवंशी राजाओं का शासन काल था. इस विषय में हटकेश्वरनाथ धाम के पुजारी सुरेश गिरी गोस्वामी कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि राजा ब्रह्मदेव शिकार पर निकले थे, तभी रायपुर के पास उनके घोड़े को चोट लगी और वह घोड़ा गिर गया. जिसके बाद उस स्थल से घास-फूस और सूखी लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो वहां पर स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन राजा ब्रह्मदेव को हुए. जिसके बाद राजा ने खारून नदी से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित किया और भगवान से प्रार्थना की कि उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी तो वह इस मंदिर का निर्माण 6 महीने की रात्रि में कराएंगे.

6 महीने की रात में इस मंदिर का निर्माण

इस प्राचीन और ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती. राजा ने पुत्रप्राप्ति के बाद 6 महीने की रात में इस मंदिर का निर्माण करवाया. कार्तिक मास की पूर्णिमा को पुन्नी मेला और फाल्गुन मास की चौदस तिथि को महाशिवरात्रि का मेला तब निरंतर चला आ रहा है. इस हटकेश्वरनाथ धाम के पास ही एक अखंड धुनी प्रज्वलित हो रही है. ऐसी मान्यता है कि लगभग साढ़े छः सौ साल पहले प्रथम पीढ़ी के महंत शिवगिरी ने अपने तंत्र-मंत्र और साधना से इस धुनी को प्रज्वलित किया था. इसी अखंड धुनी की अग्नि से आज भगवान हटकेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है.

यह भी पढ़ें: बिलासपुर: ट्रेन में महिला से छेड़खानी के बाद स्टेशन में हंगामा

यहां हर मन्नत होती है पूरी

इस विषय में हटकेश्वरनाथ धाम में पहुंचे भक्त राकेश कुमार शर्मा कहते हैं कि यह मंदिर एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. जहां पर भगवान से कोई भी मन्नत मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है. भक्त ने बताया कि जब भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, उस समय एक साथ 3 ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी. पृथ्वी लोक में महाकाल, स्वर्ग लोक में तारकेश्वर नाथ और पाताल लोक में हटकेश्वर नाथ के नाम से जिसे आज लोग हटकेश्वर नाथ धाम या महादेव घाट मंदिर के नाम से जानते हैं. यहां

पिछले कई सालों से अपनी दुकान लगा रहे दुकानदार बसंत गुप्ता कहते हैं कि बीते 2 सालों से कोरोना के कारण मेले में रौनक नहीं थी लेकिन मंगलवार को होने वाले महाशिवरात्रि के दिन मेले में अच्छी भीड़ होने की उम्मीद जतायी जा रही है.

Last Updated : Feb 28, 2022, 7:12 PM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.