रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) सोमवार को एक साथ एक मंच पर नजर आए. जहां मंच पर दोनों एक साथ मौजूद रहे, वह मुख्यमंत्री निवास (Chief Minister's residence) था. यहां तीजा-पोला (Teeja-Pola) के अवसर पर एक भव्य आयोजन किया गया था. इस आयोजन के दौरान जैसे ही मंच पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पहुंचे, सबकी निगाहें उन्हीं पर टिक गईं. क्योंकि लंबे समय से इन दोनों के बीच में जो दूरी थी, वह कहीं न कहीं नजदीकियों में बदलती नजर आ रही थी. सभी जगह यह चर्चा आम हो गई कि ढाई-ढाई साल का फार्मूला या फिर कप्तान बदलने की कवायद शायद समाप्त हो गई है.
आखिर इन दोनों के एक साथ मंच पर बैठने को क्या समझा जाए. क्या अब छत्तीसगढ़ की कमान भूपेश बघेल के ही हाथ में रहेगी या फिर आने वाले समय में एक बार फिर टीएस सिंहदेव को भी कप्तानी करने का मौका दिया जाएगा. सवाल कई हैं, जिसका जवाब मिलना अभी भी बाकी है. फिर भी इन तमाम सवालों को लेकर हमने राजनीतिक दलों सहित राजनीति के जानकारों से चर्चा की.
हमारी बातचीत तो पहले भी होती थी, मीडिया ने बना दी थीं दूरियां : भूपेश
सबसे पहले बात करते हैं प्रदेश के मुख्य मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की. जब उनसे पूछा गया कि आप और बाबा मंच पर बातचीत करते नजर आए, क्या माना जाए कि अब आप दोनों के बीच की दूरियां समाप्त हो गई हैं. इस सवाल पर भूपेश बघेल ने हंसते हुए कहा कि हमारी बातचीत तो पहले भी होती थी, लेकिन आप लोगों ने ही दूरियां बना दी थीं. मतलब साफ है कि बघेल बाबा से बढ़ी दूरियों के लिए कहीं न कहीं मीडिया को ही जिम्मेदार ठहराते हैं.
आमने-सामने प्रेम से देखते हैं और दूर में खंजर लिए रहते हैं खड़े : बृजमोहन
वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के सीएम हाउस में कार्यक्रम के दौरान मंच साझा करने पर भाजपा ने तंज कसा है. पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने ढाई-ढाई साल के फार्मूले को जोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस चाहे दिखावा कर ले, लेकिन जनता सब कुछ जान चुकी है. केंद्रीय नेतृत्व का निर्देश भी आ गया है. आमने-सामने प्रेम से देखते हैं और दूर में खंजर लिये खड़े रहते हैं. अग्रवाल ने कहा कि यही परिणाम है कि आज 70 का बहुमत होने के बावजूद विकास नहीं हो रहा है.
ढाई-ढाई साल के फार्मूले, कप्तानी की कवायद पर विराम !
पूरे घटनाक्रम को लेकर राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि जिस तरह से वर्तमान में परिस्थिति देखने को मिल रही है. उससे तो यही लगता है कि अब ढाई-ढाई साल का फार्मूला और कप्तान बदलने की कवायद पर विराम लग गया है. अब आज जिस तरह से बाबा सीएम हाउस पहुंचे और बघेल के साथ मंच साझा किया, यह कहीं न कहीं इस बात का संकेत प्रतीत हो रहा है कि पार्टी के अंदर अब स्थिति सामान्य होती जा रही है. इस घटनाक्रम को लेकर कहीं न कहीं शासन-प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है. पार्टी के अंदर भी यह संदेश जा रहा है कि अब स्थिति सामान्य हो रही है.
राजनीति में जो दिखता है, वह हो ही यह जरूरी नहीं...
हालांकि रामअवतार तिवारी यह भी कहते नजर आए कि राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं होता है. यह कब किस करवट ले, कोई नहीं जानता है. कई बार ऐसा भी होता है कि जो दिखता है, वह होता नहीं है. इसलिए यह कहा नहीं जा सकता कि अब पार्टी में सब कुछ सामान्य हो गया है. सरकार में सब ठीक चल रहा है, इसका पता तो आने वाले समय में लग सकेगा.
राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं
बहरहाल जिस तरह से बघेल और सिंहदेव एक मंच पर नजर आए, इससे कहीं-न-कहीं कई राजनीतिक चर्चा फिर से शुरू हो गई है. जहां एक ओर इस दृश्य को देख कयास लगाया जा रहा है कि अब आने वाले समय में मुख्यमंत्री बदलने की कवायद पर विराम लग गया है. वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं होता है. हो सकता है कि कुछ समय विराम लगने के बाद यह मामला फिर तूल पकड़ ले. अब देखने वाली बात है कि यह मामला आगे क्या रंग लाता है.