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Positive Thoughts in new year : नए साल में इन बातों को करें आत्मसात, जिंदगी बन जाएगी स्वर्ग

भगवान श्रीकृष्ण को Lord Vishnu avtar माना जाता है. पृथ्वी को पाप से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में मानव का अवतार लिया था. Lord krishna का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था.लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि श्रीकृष्ण के गीता में कहे हुए हर वचन का अपना एक अस्तित्व है. यदि आम इंसान श्रीकृष्ण के बताए मार्ग को अपना ले यकीन मानिए उसे जीवन के अंतकाल तक कोई कठिनाई नहीं life become beautiful like heaven होगी. नया साल आने को है तो आईए जानते हैं ऐसी ही कुछ रोचक बातों के बारे में.Positive Thoughts in new year

Positive Thoughts
नए साल में करें नई बातों का अनुसरण
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Published : Dec 28, 2022, 10:16 PM IST

रायपुर: नए साल पर नए विचार की ओर ध्यान देने और उसका पालन करने से आपको कई फादे होंगे. Positive Thoughts in new year 2023. इसलिए इस साल आप भगवान कृष्ण के जीवन का स्मरण कर उनके दिए उपदेश को मानकर काम करें तो सफलता मिलेगी. भगवान श्रीकृष्ण की पूरा जीवन मानव जाति के लिए विशेष शिक्षाप्रद है. सुदामा के साथ मित्रता हो या अर्जुन को गीता का ज्ञान देना, भगवान कृष्ण के जीवन का हर पल कुछ न कुछ जरूर सिखाता है. धर्म विशेषज्ञ भी मानते हैं कि श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर यदि चला जाए तो जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो सकती हैं. श्रीकृष्ण के जीवन की कुछ बातों को अपने जीवन में प्रयोग में लाकर सफल हुआ जा सकता Positive Thoughts in new year है.

मुश्किल वक्त में ना छोड़े अपनों का साथ : Lord krishna के जीवन से सभी लोगों को यह शिक्षा जरूर लेनी चाहिए कि भले ही आप किसी के सुख का हिस्सा न बन जाएं, पर उनके मुश्किल समय में जरूर साथ रहें. चाहे सुदामा के दुख में खड़े रहने की बात हो या कौरवों से मुकाबले के समय अपने पांडव मित्रों के साथ देने की. भगवान कृष्ण हमेशा अपने मित्रों के दुख में उनके साथ दिखाई देते हैं. यही कारण है कि श्रीकृष्ण के मार्ग पर चलकर ही पांडवों ने कौरवों की विशाल सेना पर विजयी पाया.इस दौरान कौरवों ने कई बार पांडवों ने मानसिक रूप से आघात भी दिया.लेकिन वो श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने पांडवों को सही मार्ग दिखाकर जो उनके लिए उत्तम है वो बताया.life become beautiful like heaven

दोस्ती हैसियत नहीं, समर्पण देखकर करें : भगवान कृष्ण द्वारिका के राजा थे, लेकिन जब गरीबी की स्थिति में उनके बचपन के मित्र सुदामा उनसे मिलने आए तो श्रीकृष्ण ने न सिर्फ उनका विशेष आदर सत्कार किया, बल्कि अपने आंसुओं से उनके चरण धोएं. श्रीकृष्ण एक राजा थे और सुदामा भिक्षुक ब्राह्मण, लेकिन उन्होंने इन सबसे ऊपर बचपन की मित्रता को रखा. सुदामा को देखते ही वो उनके मलीन तन से लिपट गए. खूब रोए पैरों में पड़े छाले और कांटों को हाथों से चुना. जो ये दर्शाता है कि मित्रता में कभी भेदभाव नहीं होता है.

जीवनकाल धर्म के मार्ग पर चलकर बताएं : भगवान कृष्ण हमेशा से धर्म के मार्ग पर चले और अन्य लोगों को भी इसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. महाभारत के युद्ध में विशाल कौरव सेना से मुकाबला करने के लिए पांच पांडव के साथ भगवान कृष्ण खड़े रहे. क्योंकि पांडव हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने वाले थे. आखिर में इस भयंकर युद्ध में जीत धर्म की ही हुई. यही कारण है कि सभी ग्रंथ में लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती हैं.क्योंकि अधर्म कितना भी देर क्यों ना हो,उस पर एक ना एक दिन धर्म विजयी पाता है. इसलिए श्रीकृष्ण ने गीता के सार में लोगों को ये बताने की कोशिश की है कि धर्म का मार्ग छोड़कर अधर्म का मार्ग अपनाने से कौरवों जैसी गति होती है.

ये भी पढ़ें- केदारनाथ में योगी का हठ, ठंड भी नतमस्तक

अंत समय तक शांति की खोज करें : भगवान कृष्ण के जीवन से सीखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात है कि किसी भी विवाद में पड़ने की बजाय शांति का प्रयास अंत तक करते रहें. महाभारत के युद्ध से पहले भगवान कृष्ण स्वयं कौरवों के पास पांडवों का शांतदूत बनकर गए. युद्ध के बजाय शांति से निपटारे का सुझाव दिया. लेकिन अधर्म के मार्ग पर चलने वाले कौरवों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. नतीजा ये हुआ कि पूरे कौरव वंश का विनाश हो गया. इसलिए कभी भी द्वेष या आवेश में आकर ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे आने वाले समय में खुद की शांति भंग हो जाए.

रायपुर: नए साल पर नए विचार की ओर ध्यान देने और उसका पालन करने से आपको कई फादे होंगे. Positive Thoughts in new year 2023. इसलिए इस साल आप भगवान कृष्ण के जीवन का स्मरण कर उनके दिए उपदेश को मानकर काम करें तो सफलता मिलेगी. भगवान श्रीकृष्ण की पूरा जीवन मानव जाति के लिए विशेष शिक्षाप्रद है. सुदामा के साथ मित्रता हो या अर्जुन को गीता का ज्ञान देना, भगवान कृष्ण के जीवन का हर पल कुछ न कुछ जरूर सिखाता है. धर्म विशेषज्ञ भी मानते हैं कि श्रीकृष्ण के बताए मार्ग पर यदि चला जाए तो जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो सकती हैं. श्रीकृष्ण के जीवन की कुछ बातों को अपने जीवन में प्रयोग में लाकर सफल हुआ जा सकता Positive Thoughts in new year है.

मुश्किल वक्त में ना छोड़े अपनों का साथ : Lord krishna के जीवन से सभी लोगों को यह शिक्षा जरूर लेनी चाहिए कि भले ही आप किसी के सुख का हिस्सा न बन जाएं, पर उनके मुश्किल समय में जरूर साथ रहें. चाहे सुदामा के दुख में खड़े रहने की बात हो या कौरवों से मुकाबले के समय अपने पांडव मित्रों के साथ देने की. भगवान कृष्ण हमेशा अपने मित्रों के दुख में उनके साथ दिखाई देते हैं. यही कारण है कि श्रीकृष्ण के मार्ग पर चलकर ही पांडवों ने कौरवों की विशाल सेना पर विजयी पाया.इस दौरान कौरवों ने कई बार पांडवों ने मानसिक रूप से आघात भी दिया.लेकिन वो श्रीकृष्ण ही थे जिन्होंने पांडवों को सही मार्ग दिखाकर जो उनके लिए उत्तम है वो बताया.life become beautiful like heaven

दोस्ती हैसियत नहीं, समर्पण देखकर करें : भगवान कृष्ण द्वारिका के राजा थे, लेकिन जब गरीबी की स्थिति में उनके बचपन के मित्र सुदामा उनसे मिलने आए तो श्रीकृष्ण ने न सिर्फ उनका विशेष आदर सत्कार किया, बल्कि अपने आंसुओं से उनके चरण धोएं. श्रीकृष्ण एक राजा थे और सुदामा भिक्षुक ब्राह्मण, लेकिन उन्होंने इन सबसे ऊपर बचपन की मित्रता को रखा. सुदामा को देखते ही वो उनके मलीन तन से लिपट गए. खूब रोए पैरों में पड़े छाले और कांटों को हाथों से चुना. जो ये दर्शाता है कि मित्रता में कभी भेदभाव नहीं होता है.

जीवनकाल धर्म के मार्ग पर चलकर बताएं : भगवान कृष्ण हमेशा से धर्म के मार्ग पर चले और अन्य लोगों को भी इसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. महाभारत के युद्ध में विशाल कौरव सेना से मुकाबला करने के लिए पांच पांडव के साथ भगवान कृष्ण खड़े रहे. क्योंकि पांडव हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने वाले थे. आखिर में इस भयंकर युद्ध में जीत धर्म की ही हुई. यही कारण है कि सभी ग्रंथ में लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती हैं.क्योंकि अधर्म कितना भी देर क्यों ना हो,उस पर एक ना एक दिन धर्म विजयी पाता है. इसलिए श्रीकृष्ण ने गीता के सार में लोगों को ये बताने की कोशिश की है कि धर्म का मार्ग छोड़कर अधर्म का मार्ग अपनाने से कौरवों जैसी गति होती है.

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अंत समय तक शांति की खोज करें : भगवान कृष्ण के जीवन से सीखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात है कि किसी भी विवाद में पड़ने की बजाय शांति का प्रयास अंत तक करते रहें. महाभारत के युद्ध से पहले भगवान कृष्ण स्वयं कौरवों के पास पांडवों का शांतदूत बनकर गए. युद्ध के बजाय शांति से निपटारे का सुझाव दिया. लेकिन अधर्म के मार्ग पर चलने वाले कौरवों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. नतीजा ये हुआ कि पूरे कौरव वंश का विनाश हो गया. इसलिए कभी भी द्वेष या आवेश में आकर ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे आने वाले समय में खुद की शांति भंग हो जाए.

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