रायपुर: Governor Anusuiya Uikey छत्तीसगढ़ में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. यह सत्र एक दिसंबर से दो दिसंबर तक चलेगा. इस सत्र में सरकार आदिवासी आरक्षण को लेकर अध्यादेश लाने वाली है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र से पहले राज्यपाल अनुसुईया उइके का बड़ा बयान आया है. राज्यपाल ने कहा कि मैंने " आरक्षण के संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, यह बहुत गंभीर विषय है और पूरे प्रदेश में जन आंदोलन हो रहा है. सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के द्वारा मांग उठाई जा रही है. सभी की मांग है कि छत्तीसगढ़ में जो पहले 58% आरक्षण था वह लागू होना चाहिए."tribal reservation in chhattisgarh
मैंने आरक्षण पर सीएम को लिखा था पत्र: राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि "हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार को कोई ना कोई कदम उठाना चाहिए. मैंने इस संदर्भ में सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा था. जिसमें कहा गया था कि सरकार या तो आरक्षण पर अध्यादेश लाए या इस संदर्भ में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए. उसी दिशा में सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है."Governor Anusuiya Uikey statement on tribal reservation
छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में कोई फैसला संभव: राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि मैं समझती हूं छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में कोई ना कोई ठोस निर्णय आएगा. इसमें कोई राजनीति नहीं है. सारे राजनीतिक दल एकमत होकर जो इस संदर्भ में फैसला लेंगे. सारे राजनीतिक दल एकमत होकर जो जाति आधार है. चाहे वह पिछड़ा वर्ग हो, चाहे एसटी एससी वर्ग से हो प्रदेश के जो आंकड़े हैं. उस आधार पर फैसला हो. इस संदर्भ में सरकार जनसंख्या के आधार या जो आयोग ने गठन किया था. उसकी रिपोर्ट के आधार पर समाधान हो. मैं यही चाहती हूं कि सबको उसका हक मिले"
आरक्षण के संशोधन को मिलेगी तत्काल मंजूरी: आरक्षण के संशोधन को लेकर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है. इस पर मैंने सरकार को पत्र लिखा था. इसमें मेरा पूरा सहयोग रहेगा ,जब मैं मांग कर रही हूं कि विशेष सत्र बुलाए तो मैं हमेशा छत्तीसगढ़ के कल्याण के लिए सोचती हूं और ऐसा कभी मेरे मन में भावना नहीं हुई है. यह पद संवैधानिक है और संवैधानिक दृष्टि से ही मैं काम करती हूं और कदम उठाती हूं"
सितंबर में हाईकोर्ट ने आरक्षण पर दिया था फैसला: 19 सितंबर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने 58% आरक्षण को रद्द कर दिया. छत्तीसगढ़ में साल 2012 में राज्य सरकार ने राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और अन्य सरकारी संस्थानों में एडमिशन पर 58 फीसदी आरक्षण जारी किया था. राज्य सरकार के इस नियम को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 21 याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था. फिर सितंबर में इस पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.