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राजभवन में कार्यक्रम: राज्यपाल ने संत बाबा गुरू घासीदास, शहीद वीरनारायण सिंह के तैल चित्र का किया अनावरण

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने संत गुरू घासीदास जयंती के अवसर पर राजभवन के दरबार हॉल में संत बाबा गुरू घासीदास और शहीद वीरनारायण सिंह के तैल चित्र का अनावरण किया.

Oil painting of Baba Guru Ghasidas
बाबा गुरू घासीदास के तैल चित्र का अनावरण
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Published : Dec 18, 2020, 10:53 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 11:06 PM IST

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उइके ने संत बाबा गुरू घासीदास के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर वे दोनों महापुरूषों को नमन करती हैं. छत्तीसगढ़ संतों की भूमि रही है. उनमें से प्रमुख संत बाबा गुरूघासीदास जी थे. उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ था.

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किया अनावरण

पढ़ें: रमन की अफसरों को खरी-खरी: ज्यादा तलवे चाटने की जरूरत नहीं, 3 साल बाद हम हिसाब लेने आएंगे, ज्यादा गर्मी न दिखाएं

गुरु घासीदास के दिव्य संदेश

गुरु घासीदास ने सात दिव्य संदेश दिए, जिसमें एक प्रमुख संदेश था कि सतनाम को मानों सत्य ही ईश्वर है, ईश्वर ही सत्य है. बाबा घासीदास जी ने सभी जीवों को एक समान बताया. सादा जीवन, उच्च विचार रखने की प्रेरणा दी. उन्होंने जातिप्रथा और अन्य सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: एक सप्ताह में बंद हुआ 5 करोड़ का म्यूजिकल फाउंटेन, उठे कई सवाल

शहीद वीर नारायण सिंह को नमन

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि 10 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के महान सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि थी. उनका जन्म बलौदाबाजार के ग्राम सोनाखान के एक बिंझवार आदिवासी परिवार में हुआ. उन्होंने एक भीषण सूखा पड़ने पर एक व्यापारी से गरीब जनता से अनाज देने का निवेदन किया, लेकिन उनके न मानने पर उनके गोदाम से अनाज को निकलवा कर गरीब जनता को बटवा दिया. उनके इस कार्य को अंग्रेजों ने अपराध माना और जेल में बंद कर दिया. बाद में वे जेल से भाग निकले और सेना बनाकर अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया. कुछ समय बाद उनकी सेना युद्ध हार गई और उन पर मुकदमा चलाया गया. शहीद वीर नारायण सिंह को फांसी की सजा दी गई. आज शहीद वीर नारायण सिंह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी स्मृतियां और उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है.

रायपुर: राज्यपाल अनुसुइया उइके ने संत बाबा गुरू घासीदास के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर वे दोनों महापुरूषों को नमन करती हैं. छत्तीसगढ़ संतों की भूमि रही है. उनमें से प्रमुख संत बाबा गुरूघासीदास जी थे. उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ था.

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किया अनावरण

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गुरु घासीदास के दिव्य संदेश

गुरु घासीदास ने सात दिव्य संदेश दिए, जिसमें एक प्रमुख संदेश था कि सतनाम को मानों सत्य ही ईश्वर है, ईश्वर ही सत्य है. बाबा घासीदास जी ने सभी जीवों को एक समान बताया. सादा जीवन, उच्च विचार रखने की प्रेरणा दी. उन्होंने जातिप्रथा और अन्य सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया.

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शहीद वीर नारायण सिंह को नमन

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि 10 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के महान सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि थी. उनका जन्म बलौदाबाजार के ग्राम सोनाखान के एक बिंझवार आदिवासी परिवार में हुआ. उन्होंने एक भीषण सूखा पड़ने पर एक व्यापारी से गरीब जनता से अनाज देने का निवेदन किया, लेकिन उनके न मानने पर उनके गोदाम से अनाज को निकलवा कर गरीब जनता को बटवा दिया. उनके इस कार्य को अंग्रेजों ने अपराध माना और जेल में बंद कर दिया. बाद में वे जेल से भाग निकले और सेना बनाकर अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया. कुछ समय बाद उनकी सेना युद्ध हार गई और उन पर मुकदमा चलाया गया. शहीद वीर नारायण सिंह को फांसी की सजा दी गई. आज शहीद वीर नारायण सिंह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी स्मृतियां और उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है.

Last Updated : Dec 18, 2020, 11:06 PM IST
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