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Chhattisgarh News आरक्षण बिल पर राज्यपाल का बड़ा बयान, कहा- मार्च तक करिए इंतजार

आरक्षण बिल पर राज्यपाल अनुसुइया उइके का एक बड़ा बयान सामने आया है. अनुसुइया उइके ने कहा कि मार्च तक इंतजार कीजिए. राज्यपाल के इस बयान ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की राजनीति में आरक्षण बिल को हवा दे दी है. देखना होगा कि अब पक्ष विपक्ष सहित आदिवासी समाज का क्या रुख होगा.

Anusuiya Uike big statement on reservation bill
आरक्षण बिल पर राज्यपाल का बड़ा बयान
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Published : Jan 23, 2023, 8:20 AM IST

Updated : Jan 23, 2023, 8:32 AM IST

आरक्षण बिल पर राज्यपाल का बड़ा बयान

रायपुर: एक तरफ छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार आरक्षण बिल जल्द से जल्द प्रदेश में लागू करवाने आतुर है तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके आरक्षण बिल को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है. शायद इसी वजह से उन्होंने हल्की मुस्कराहट के साथ पत्रकारों को आरक्षण बिल पर मार्च तक इंतजार करने को कह दिया. उइके ने ये बयान रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए दिया है.

2 दिसंबर को आरक्षण विधेयक विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. उसी दिन राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए पहुंच गया था लेकिन तब से लेकर अब तक 52 दिन बीत गए है. लेकिन राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. आरक्षण बिल को लेकर राज्यपाल ने सरकार से 10 सवाल किए थे. जिसके बाद सरकार का दावा है कि उन्होंने 10 सवाल के जवाब दे दिए हैं. बावजूद इसके अब तक राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया है. जिसे लेकर कांग्रेस भाजपा पर आरक्षण के मामले को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगा रही है. साथ ही भाजपा के दबाव में राज्यपाल पर काम करने का भी आरोप कांग्रेस लगा चुकी है. भाजपा इसे राज्यपाल का विशेषाधिकार बता रही है.

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ये रहा नया आरक्षण बिल: राज्य सरकार ने आरक्षण विवाद के विधायी समाधान के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवाओं में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया. शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए भी आरक्षण अधिनियम को भी संशोधित किया गया. इसमें अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया. तर्क था कि अनुसूचित जाति जनजाति को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया गया है. OBC का आरक्षण मंडल आयोग की सिफारिशों पर आधारित है और EWS का आरक्षण संसद के कानून के तहत है. इस व्यवस्था से आरक्षण की सीमा 76 प्रतिशत तक पहुंच गई. विधेयक राज्यपाल अनुसूईया उइके तक पहुंचा तो उन्होंने सलाह लेने के नाम पर इसे रोक लिया. बाद में सरकार से सवाल किया. एक महीने बाद भी विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं.

आरक्षण बिल पर राज्यपाल का बड़ा बयान

रायपुर: एक तरफ छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार आरक्षण बिल जल्द से जल्द प्रदेश में लागू करवाने आतुर है तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके आरक्षण बिल को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है. शायद इसी वजह से उन्होंने हल्की मुस्कराहट के साथ पत्रकारों को आरक्षण बिल पर मार्च तक इंतजार करने को कह दिया. उइके ने ये बयान रायपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए दिया है.

2 दिसंबर को आरक्षण विधेयक विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था. उसी दिन राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए पहुंच गया था लेकिन तब से लेकर अब तक 52 दिन बीत गए है. लेकिन राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. आरक्षण बिल को लेकर राज्यपाल ने सरकार से 10 सवाल किए थे. जिसके बाद सरकार का दावा है कि उन्होंने 10 सवाल के जवाब दे दिए हैं. बावजूद इसके अब तक राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया है. जिसे लेकर कांग्रेस भाजपा पर आरक्षण के मामले को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगा रही है. साथ ही भाजपा के दबाव में राज्यपाल पर काम करने का भी आरोप कांग्रेस लगा चुकी है. भाजपा इसे राज्यपाल का विशेषाधिकार बता रही है.

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ये रहा नया आरक्षण बिल: राज्य सरकार ने आरक्षण विवाद के विधायी समाधान के लिए छत्तीसगढ़ लोक सेवाओं में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया. शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए भी आरक्षण अधिनियम को भी संशोधित किया गया. इसमें अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया. तर्क था कि अनुसूचित जाति जनजाति को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया गया है. OBC का आरक्षण मंडल आयोग की सिफारिशों पर आधारित है और EWS का आरक्षण संसद के कानून के तहत है. इस व्यवस्था से आरक्षण की सीमा 76 प्रतिशत तक पहुंच गई. विधेयक राज्यपाल अनुसूईया उइके तक पहुंचा तो उन्होंने सलाह लेने के नाम पर इसे रोक लिया. बाद में सरकार से सवाल किया. एक महीने बाद भी विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं.

Last Updated : Jan 23, 2023, 8:32 AM IST
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