रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरुवा, घुरवा अउ बारी' को साकार करने के लिए 'गोधन न्याय योजना' शुरू की गई. जिसके लिए प्रदेश के कई जिलों में सरकार ने गौठान बनवाया, ताकि मवेशियों को गौठानों में रखा जाए, लेकिन इसी बीच गौठानों में मवेशियों की देखरेख में लापरवाही के कारण कई मवेशियों की मौत हो गई. इससे छत्तीसगढ़ बीजेपी, भूपेश सरकार पर लगातार हमलावर रही है. वहीं अब भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के गांवों में गौ मुक्तिधाम बनाने की योजना बनाई है. इसके लिए प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को प्रस्ताव भेजा गया है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ एक और मामले में देशभर में पहला राज्य बनने वाला है. प्रदेश के गौ सेवा आयोग ने प्रदेश के सभी गांवों में गौ मुक्तिधाम बनाने की योजना बनाई है. इस संबंध में कलेक्टर्स को जमीन चयन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी किए गए हैं. ETV भारत के पास इस संबंध में जारी पत्र की कॉपी है.
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अनुविभागीय अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी
ETV भारत की टीम ने विभाग के अधिकारियों से जब इस संबंध में जानकारी ली, तो उनका कहना है कि इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास की इच्छा के मुताबिक योजना बनाई जा रही है. साथ ही कुछ जिलों के कलेक्टर ने हमारे द्वारा भेजे गए पत्रों के बाद अपने अनुविभागीय अधिकारियों को आगे की कार्रवाई की जिम्मेदारी सौंप दी है.
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मवेशियों के मौत के बाद जागी सरकार
बताया जा रहा है कि गौ सेवा से जुड़े लोगों ने इस संबंध कई बार मांग की है. इनका कहना है कि मवेशियों की मौत के बाद लोग बेतरतीब तरीके से कहीं भी इन्हें छोड़ देते हैं. शहरों में इसके लिए कोई सुनिश्चित स्थान नहीं होने के कारण भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
6 नए गौ अभ्यारण्य बनाने की है योजना
राज्य गौ सेवा आयोग ने प्रदेश में 6 नए गौ अभ्यारण्य बनाने की योजना बनाई है. इस संबंध में विभाग ने रायपुर, दुर्ग, महासमुंद, जांजगीर, राजनांदगांव और कवर्धा जिला के कलेक्टरों को पत्र जारी कर दिया है. इस पत्र में गौ अभ्यारण्य स्थापना के लिए 50 से 100 एकड़ जमीन चिन्हांकित करने के निर्देश दिए हैं. गौरतलब है कि फिलहाल प्रदेश में महज एक ही गौ अभ्यारण्य है, जिसे बेमेतरा जिले के झालम में स्थापित किया गया है.
गौ अभ्यारण्य के क्या हैं फायदे ?
गौ अभ्यारण्य में 500 से ज्यादा गौ वंशी जानवरों को रखने का इंतजाम किया जाएगा. इनमें 200 उच्च नस्ल वाले दुधारू पशुओं को यहां रखा जाएगा. इनके दूध का व्यापारिक इस्तेमाल किया जाएगा. इनसे होने वाली आय से इस अभ्यारण्य का खर्च भी वहन किया जाएगा.