रायपुर: प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने लगभग 8 महीने से ज्यादा का समय बीत रहा है बावजूद इसके लगातार धड़ाधड़ तबादले हो रहे हैं. लगातार हो रहे ट्रांसफर ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. विपक्ष ने सरकार के पास तबादला नीति न होने का आरोप लगाया है.
विपक्ष का कहना है कि सरकार तबादलों में मनमानी कर रही है और किसी की कहीं भी पदस्थापना की जा रही है. कुछ आईएएस के तबादले कुछ दिनों में दो बार या उससे अधिक बार हो चुके हैं बावजूद इसके तबादलों की प्रक्रिया पर अब तक रोक नहीं लग सकी है.
- आंकड़ों के मुताबिक पिछले कुछ महीने में सरकार द्वारा लगभग 27 बार आईएएस अधिकारियों का तबादला और प्रभार बदलने का आदेश जारी किया गया है. इसमें कुछ अफसरों को सरकार ने एक महीने के भीतर ही बदल दिया है.
- सरकार गठन के बाद 17 दिसंबर को 5 आईएएस अफसरों का तबादला आदेश जारी हुआ था. इसके बाद 23 दिसंबर को बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करते हुए 43 आईएएस अफसर का तबादला किया गया. इसके 42 दिन बाद 42 अफसरों का तबादला किया गया. इसमें आईएस नरेंद्र शुक्ला आर प्रसन्ना प्रियंका शुक्ला कार्तिकेय गोयल और भूरे सर्वेश्वर नरेंद्र का दोबारा तबादला किया गया.
- वहीं राजनंदगांव के कलेक्टर रहे भीम सिंह का तीन बार तबादला किया जा चुका है. 4 फरवरी 29 जून और 14 अगस्त को तबादला सूची में उनका नाम शामिल था. 10 से 12 आईएएस अफसरों के तो बार-बार तबादला आदेश जारी किए जा चुके हैं.
- आईएस महादेव कावरे को 32 दिनों में एक विभाग से हटाकर दूसरे विभाग में भेज दिया गया. अलेक्स पॉल मेनन की जिम्मेदारी 29 दिन में दो बार बदली गई. लगातार हो रहे तबादलों से नौकरशाही में बेचैनी का माहौल है. उनमें असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है कि कब उनका ट्रांसफर कहीं और कर दिया जाए और यही वजह है कि वर्तमान में सारे विकास कार्यों पर लगाम लगता नजर आ रहा है.
- प्रदेश के 2 आईएएस अफसर का एक ऐसा उदाहरण सामने आया है जिसे सरकार ने लूप लाइन में डाल दिया था. इसके करीब एक महीने बाद ही उनकी शानदार विभागों में वापसी हुई है.
- सरकार बनने के साथ ही 2006 बैच के आईएएस इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से हटाकर आदिम जाति विभाग में संचालक बनाया गया था. मोबाइल वितरण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उनका तबादला किया गया था. इसके बाद 6 जून को उन्हें मंत्रालय में विशेष सचिव बनाकर भेज दिया गया.
- इसके ठीक 22 दिन बाद 29 जून को तबादला का एक और आदेश जारी किया गया और अफसर को खाद विभाग में सचिव बना दिया गया. लगभग यही स्थिति 2008 बैच के आईएएस अफसर की है. उन्हें 12 जुलाई को बेमेतरा कलेक्टर से हटाकर कोष लेखा एवं पेंशन विभाग का संचालक बनाया गया था. इसके 33 दिन बाद राज्य ने उन्हें विभाग में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी देकर भेज दिया.
लगातार हो रहे तबादले परेशानी की वजह
जानकारों की मानें तो लगातार हो रहे तबादलों की मुख्य वजह है मंत्रियों और सरकार के साथ अफसरों का तालमेल न बैठना है. जिससे परेशान होकर कई बार अधिकारी सरकार के लिए परेशानी का सबब भी पैदा कर चुके हैं.
कुछ दिन पहले भी इस तरह का मामला सामने आया था जिसमें राजस्व विभाग के उप सचिव कर्मेला लगड़ा ने रिटायरमेंट के 1 दिन पहले सात नया जिला बनाए जाने से संबंधित एक पत्र जारी किया था, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. इस पत्र के वायरल होने के बाद मंत्रालय में हड़कंप मच गया था. बाद में प्रशासन को स्पष्टीकरण देते हुए कहना पड़ा था कि सरकार के द्वारा अभी किसी भी नए जिले के गठन को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही है.
मंत्री ने कहा ये सामान्य प्रक्रिया
प्रदेश में लगातार हो रहे तबादलों को लेकर जब परिवहन आवास एवं पर्यावरण वन विभाग मंत्री मोहम्मद अकबर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह एक सरकार की सामान्य प्रक्रिया है, जिसके तहत तबादले किए जाते हैं. हालांकि वे इस बात का जवाब नहीं दे सके कि कई अधिकारियों के एक महीने में ही दो या दो से ज्यादा बार क्यों तबादले किए गए. लेकिन यह जरूर कहा कि अब तबादलों के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या काफी कम हो गई है.
भाजपा ने उठाए सवाल
वहीं भाजपा का आरोप है कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद सिर्फ और सिर्फ ट्रांसफर उद्योग चल रहा है. सरकार के पास ना तो कोई विजन है ना ही कोई ट्रांसफर को लेकर नीति है. यहां तक कि विपक्ष ने सरकार को यह भी सलाह दी है कि एक बार सभी मंत्री एक साथ बैठ जाएं और प्रदेश में किस अधिकारी को कहां कौन सी जवाबदारी देना है उसे तय कर लें, उसके बाद सब का ट्रांसफर किया जाए. बार-बार हो रहे ट्रांसफर से कहीं न कहीं अधिकारियों में एक असमंजस की स्थिति निर्मित है कि कब उनको कहां भेज दिया जाएगा.
क्या कहते हैं जानकार
वहीं वरिष्ठ पत्रकार रवि कांत कौशिक का कहना है की तबादले को लेकर एक नीति निर्धारित होनी चाहिए और उसके हिसाब से ही अधिकारियों को इधर से उधर किया जाना चाहिए. साथ ही इन अधिकारियों की जवाबदेही तय करना चाहिए कि यदि कोई अधिकारी काम नहीं कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सके.
पढ़ें - सदभावना दिवस के रूप में मनाई गई पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती
अगर यही स्थिति रही तो आने वाले समय में प्रदेश के सारे विकास कार्य ठप्प पड़ जाएंगे या तो फिर धीमी गति से संचालित होंगे. इसके पीछे वजह ये है कि अधिकारियों के मन में ट्रांसफर को लेकर हमेशा असमंजस की स्थिति होगी, तो वह काम को गति कैसे प्रदान करेंगे.