रायपुर: श्रद्धा मर्डर केस (shraddha murder case) की तरह हाल ही में छत्तीसगढ़ की एक युवती का मर्डर कर लाश को ओडिशा में फेंक दिया गया था. कई लड़कियां इसी तरह इश्क और मोहब्बत के जाल में फंसकर अपनी जान गवां रहीं हैं. इस तरह के केस छत्तीसगढ़ में बढ़ते जा रहे हैं. आइये जानें किस तरह के मामले छत्तीसगढ़ में सामने आ रहे हैं.
केस-1
कोरबा की रहने वाली तनु कुर्रे की हाल ही में हत्या कर लाश को ओडिशा में फेंक दिया गया था. हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उसका सनकी आशिक ही निकला. तनु बेहद गरीब परिवार की थी. वह अपना भविष्य संवारने के लिए राजधानी रायपुर में आकर एक निजी बैंक में काम कर रही थी. इसी बीच उसकी मुलाकात सचिन अग्रवाल से हुई. धीरे धीरे उनके बीच में गहरे प्रेम संबंध हो गए. दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले थे, लेकिन एक दिन तनु के दोस्त का कॉल आया. इससे नाराज होकर सनकी आशिक सचिन ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी और लाश को जलाकर ओडिशा के जंगल में फेंक दिया. फिलहाल पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.
केस -2
राजधानी रायपुर के अभनपुर थाना क्षेत्र में छह महीने पहले एक युवती की हत्या कर दी गई थी. युवती की पहचान गरियाबंद निवासी सुमन साहू के रूप में हुई थी. सुमन की हत्या उसके प्रेमी एस कुमार ने की थी. करीब 6 सालों से दोनों के बीच प्रेम संबंध था. सुमन रायपुर में किराये के मकान में रहकर जॉब करती थी. कुछ महीने बाद दोनों ने शादी करने की सोची थी, लेकिन सुमन को शक था कि उसकी प्रेमिका किसी और से प्रेम करती है. इसी शक में आरोपी ने अपनी कार में ही प्रेमिका की चाकू मारकर हत्या कर दी थी. फिलहाल आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
केस-3
5 साल पहले रायपुर के पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र में 12 साल पुरानी प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत हो गया. पुलिस की आपातकालीन सेवा डायल-12 की एक महिला कर्मचारी अर्चना साहू और कमलेश साहू के बीच गहरा प्रेम संबंध था. दोनों पाटन क्षेत्र के फेकारी गांव के रहने वाले थे. 12 जून को कमलेश अपनी प्रेमिका से मिलने उसके घर गया और अवैध संबंध के शक में अपनी प्रेमिका की ब्लेड और हथौड़ा मारकर हत्या कर दिया. इसके बाद खुद ही फांसी के फंदे पर झूलकर मौत को गले लगा लिया.
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क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक: मनोवैज्ञानिक डॉ. अजीत वरवंडकर कहते हैं कि इस तरह की चीजें समाज में हो रही है, वह बहुत ही दुखद है. इसमें सबसे बड़ी गलती समाज और पालकों की है. श्रद्धा वाला केस हो या जो भी इस तरह के केसेस देखें. उसमें बहुत ही महत्वपूर्ण चीज देखने को मिलती है. पैरेंट्स इस तरह के केसेस में कम्यूनिकेशन गैप कर देते हैं. जैसे श्रद्धा वाले केस में देखने को मिला. मेरा मानना है कि बच्चों ने यदि कोई गलत कर दिया तो पैरेंट्स का फर्ज बनता है कि आप उनके साथ संवाद बढ़ाएं. संवादहीनता न रखें. श्रद्धा वाले केस में भी यही हुआ था. दो महीने से श्रद्धा का फोन बंद था और उसके माता पिता को पता ही नहीं था. इससे समझ आता है कि उनका अपने बच्चे के साथ कितना संवाद था. पैरेंट्स को हमेशा ओपन डोर पॉलिसी रखनी चाहिए, क्योंकि कोई भी गलती इतनी बड़ी नहीं होती, जिसे सुधारा न जा सके. बच्चों के साथ कम्युनिकेशन का भी गैप रहता है. बच्चे किसी के साथ कम्युनिकेट नहीं कर पाते.
इसके अलावा जो लड़के इस तरह की निर्मम हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं. यह बेहद ही चिंतनीय है. एक रिसर्च में पाया गया है कि आज के समय में एक बच्चा कक्षा 8 वीं या 9 वीं तक आते तक लगभग 14 हजार मृत्यु या मर्डर देख लेता है. इससे उनका दिमाग मृत्यु या क्रुरता, इन सारी चीजों से संवेदनहीन हो जाता है और उसके लिए यह बड़ा ही सामान्य सा कार्य होता है. यह हर बच्चे के साथ नहीं होता, लेकिन जिनके साथ होता है, उसकी परिणिती बहुत बुरी होती है. इसको हम मेंटल डिसिस के हिसाब से भी देखते हैं कि एक मनोरोग है, जिसको हम कहते हैं बायपोलर डिसआर्डर. इसमें जब आप एक बच्चे को देखते हो तो लगता नहीं है कि वह इस तरह का काम कर सकता है. यह मानसिक रोग की श्रेणी में आता है. इसके छोटे छोटे लक्षण बहुत पहले से दिखने लगते हैं. हमें यह भी किसी साइक्रेटिस, साइकोलॉजिस्ट या थैरेपिस्ट के पास जाने का कल्चर हमें क्रिएट करना है और लोगों को प्रोत्साहन देना है कि आपके मन में जो बाते हैं, अपने माता पिता या किसी प्रोफेशनल से बातें करो.
क्या कहते हैं अफसर: रायपुर पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल कहते हैं कि ''रायपुर में इस तरह के कम केसेस आए हैं. इस तरह के जो भी केसेस रायपुर में सामने आए, उस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की है. ऐसे जितने भी केसेस हैं. सभी मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने पैरेंट्स से अपील की है कि बच्चों की तमाम गतिविधियों पर पैरेंट्स को ध्यान देना चाहिए, ताकि इस तरह की कोई घटना न हो.''