रायपुर: गणेश उत्सव रायपुर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. सड़कों पर चारों तरफ फूलों और रंगबिरंगी लाइटों से सजावट की गई है. राजधानी रायपुर के अलग-अलग हिस्सों में भगवान गणेश की झांकियां कहीं राम के अवतार में, तो कहीं कृष्ण के अवतार में लगाई गई है. इसी कड़ी में राजधानी के तत्यापारा चौक में इस साल गणेश जी के विनायकी अवतार को पेश किया गया है.
स्त्री रूप में भगवान गणेश की मूर्ति: भारतीय समाज गणेश उत्सव समिति समिति ने तत्यापारा चौक में गणेश जी के विनायकी अवतार वाली प्रतिमान स्थापित की है. यह अवतार इसलिए इतना खास है क्योंकि इसमें गणेश जी की प्रतिमा को स्त्री रूप में बनाया गया है. इस प्रतिमा को दुर्ग में 2 लाख 51 हजार की लागत से बनाई गई है. पूरा सेटअप तैयार करने के लिए समिति को 15 लाख का बजट लगा है. छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहली बार है कि भगवान गणेश की मूर्ति स्त्री रूप में बनाकर स्थापित की गई हो.
भगवान गणेश के दर्शन करने उमड़ी भीड़: भगवान गणेश की स्त्री रूप में स्थापित मूर्ति को देखने लोगों की भीड़ लगी है. लोग मूर्तियों के सामने सेल्फी लेने को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. यह समिति पिछले 37 सालों से अलग-अलग और काफी यूनिक तरीके से भगवान गणेश के पंडाल सजा रही है. खास बात यह है कि समिति मोहल्ले या अन्य जगह से चंदा एकत्रित कर पंडाल की सजावट नहीं करती, बल्कि अपने पूर्वजों की भांति स्वयं समिति के सदस्य अपनी ओर से पंडाल और भगवान गणेश की प्रतिमा के लिए पैसे दान करते हैं.
क्या है विनायकी अवतार की कहानी: भगवान गणेश के स्त्री अवतार को गणेशानी, विनायकी, गजमुखी और गणेश्वरी जैसे नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अंधक नाम का राक्षस मां पार्वती को अपनी पत्नी बनना चाहता था. शिवाजी ने उसका वध भी किया, लेकिन जैसे ही राक्षस का खून धरती पर गिरता, तो नए राक्षस पैदा हो जाते. इस तरह से अंधक राक्षस की की संख्या बढ़ते ही जा रही थी. मां पार्वती से सभी देवों ने शक्ति रूप में अवतार लेने की प्रार्थना की. इसके बाद शिव जी ने शिवानी, ब्रह्मा जी ने ब्राम्ही और वीरभद्र ने देवी भद्रकाली का रूप लेकर अंधक से युद्ध किया. सभी देवों के स्त्री रूप ने भी अंधक को हराने में असफल रहे. इसके बाद भगवान गणेश ने विनयाकी अवतार लिया और अंधक के शरीर को बांधते हुए अंधक के सारे खून को अपने सूंड से खींच लिया.
कहां कहां विनायकी अवतार की होती है पूजा: भारत में अलग-अलग राज्यों में विनायकी की पूजा की जाती है. तमिलनाडु के कन्याकुमारी में 1300 साल पुराना मंदिर थानुमलायन है, जहां पर भगवान गणेश की विनायकी प्रतिमा विराजित है. तिब्बत में गणेश जी को गणेशानी देवी के नाम से स्त्री रूप में पूजा जाता है. उड़ीसा के हीरापुर में भी देवी विनायकी को पूजा जाता है. राजस्थान के रैरह में पांचवीं शताब्दी से भी पहले से देवी विनायकी की मूर्ति है.