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Ganesh Chaturthi 2021: आपके घर कब आ रहे हैं गणपति, जानें मुहूर्त और पूजन विधि

इस साल गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व 10 सितंबर को मनाया जाएगा. यह पर्व 10 दिनों तक चलेगा. इसमें इन 10 चीजों से भोग लगाने पर भगवान गणेश अति प्रसन्न होते हैं.

गणपति
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Published : Sep 6, 2021, 10:05 PM IST

रायपुर: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी, सौभाग्य चतुर्थी और संवत्सरी चतुर्थी के रूप में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है. बुद्धि विवेक और ज्ञान का देव भगवान गणेश (Lord Ganesh) को माना गया है. गणेश पूजन से प्रज्ञा मेधा और ऋतंभरा का तीव्र विकास होता है. विघ्नहर्ता भगवान गणेश समस्त दुखों को दूर करने वाले हैं. इस साल चित्रा नक्षत्र तुला के चंद्रमा ब्रह्मा योग और मूसल योग में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का शुभ पावन पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व 10 सितंबर को मनाया जाएगा

आपके घर कब आ रहे हैं गणपति


गणेश स्थापना के मुहूर्त का समय

भगवान गणेश को स्थापित करने का शुभ मुहूर्त 10 सितंबर को सूर्योदय के समय सुबह 5:53 से लेकर सुबह 11:07 तक माना गया है. 11:07 से रात्रि 9:56 तक शुक्रवार को भद्रा का प्रवेश रहेगा. गोधूलि बेला में भी भगवान गणेश की स्थापना की जा सकती है. भद्रा मुहूर्त में गणेश की स्थापना करने वाले यह विशेष ध्यान रखें कि विसर्जन तक उनकी पूजा आराधना नियमबद्ध रूप से हो. प्रतिदिन गायों को भोग लगाना बहुत शुभ रहेगा. भगवान गणेश भगवान को मोदक के लड्डू बहुत प्रिय है. बेसन के लड्डू और सूजी के लड्डू आदि उन्हें भोग लगाया जा सकता है.

गणेश भगवान को दूर्वा ज्यादा है पसंद

लंबोदर महाराज को फलों में केले का फल बहुत प्रिय है. विनायक हल्दी रोली, कुमकुम, चंदन, अबीर, गुलाल , सिंदूर और बंधन आदि का विलेप भी धारण करना बहुत पसंद करते हैं. श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए हर दिन सुबह स्नान करके पूजा के दौरान श्री गणेश जी को गिन कर पांच दूर्वा अर्पित करें. ध्यान रहे यह दुर्वा श्री गणेश जी के मस्तक पर रखें. दुर्वा अर्पित करते हुए यह मंत्र बोलें- 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नम:'.

एकदंत भगवान को दूर्वा के अलावा पीले फूल सुगंधित फूल बहुत प्रिय है. इनका भी भोग लगाया जाना चाहिए. शिव पुत्र गणेश भगवान को पंचामृत दूध दही आदि का भोग समय-समय पर लगाए जाने से गणेश भगवान प्रसन्न होते हैं. गणेश का आसन और आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से साफ सुथरा हो. अनेक मान्यताओं में गणेश को तुलसी का दल या तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता. लेकिन दूबी प्रचुर मात्रा में चढ़ाई जा सकती है.

मंजरी मोहनभोग आदि भी लंबोदर को बड़े प्रिय हैं. गणेश की निर्मल हृदय से साधना करने पर वे बड़े जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की अभिलाषाओं को त्वरित ही पूर्ण करते हैं. यह गणेश पक्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा अर्थात 20 सितंबर सोमवार तक रहेगा.

रायपुर: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी, सौभाग्य चतुर्थी और संवत्सरी चतुर्थी के रूप में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है. बुद्धि विवेक और ज्ञान का देव भगवान गणेश (Lord Ganesh) को माना गया है. गणेश पूजन से प्रज्ञा मेधा और ऋतंभरा का तीव्र विकास होता है. विघ्नहर्ता भगवान गणेश समस्त दुखों को दूर करने वाले हैं. इस साल चित्रा नक्षत्र तुला के चंद्रमा ब्रह्मा योग और मूसल योग में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का शुभ पावन पर्व मनाया जाएगा. यह पर्व 10 सितंबर को मनाया जाएगा

आपके घर कब आ रहे हैं गणपति


गणेश स्थापना के मुहूर्त का समय

भगवान गणेश को स्थापित करने का शुभ मुहूर्त 10 सितंबर को सूर्योदय के समय सुबह 5:53 से लेकर सुबह 11:07 तक माना गया है. 11:07 से रात्रि 9:56 तक शुक्रवार को भद्रा का प्रवेश रहेगा. गोधूलि बेला में भी भगवान गणेश की स्थापना की जा सकती है. भद्रा मुहूर्त में गणेश की स्थापना करने वाले यह विशेष ध्यान रखें कि विसर्जन तक उनकी पूजा आराधना नियमबद्ध रूप से हो. प्रतिदिन गायों को भोग लगाना बहुत शुभ रहेगा. भगवान गणेश भगवान को मोदक के लड्डू बहुत प्रिय है. बेसन के लड्डू और सूजी के लड्डू आदि उन्हें भोग लगाया जा सकता है.

गणेश भगवान को दूर्वा ज्यादा है पसंद

लंबोदर महाराज को फलों में केले का फल बहुत प्रिय है. विनायक हल्दी रोली, कुमकुम, चंदन, अबीर, गुलाल , सिंदूर और बंधन आदि का विलेप भी धारण करना बहुत पसंद करते हैं. श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए हर दिन सुबह स्नान करके पूजा के दौरान श्री गणेश जी को गिन कर पांच दूर्वा अर्पित करें. ध्यान रहे यह दुर्वा श्री गणेश जी के मस्तक पर रखें. दुर्वा अर्पित करते हुए यह मंत्र बोलें- 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नम:'.

एकदंत भगवान को दूर्वा के अलावा पीले फूल सुगंधित फूल बहुत प्रिय है. इनका भी भोग लगाया जाना चाहिए. शिव पुत्र गणेश भगवान को पंचामृत दूध दही आदि का भोग समय-समय पर लगाए जाने से गणेश भगवान प्रसन्न होते हैं. गणेश का आसन और आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से साफ सुथरा हो. अनेक मान्यताओं में गणेश को तुलसी का दल या तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता. लेकिन दूबी प्रचुर मात्रा में चढ़ाई जा सकती है.

मंजरी मोहनभोग आदि भी लंबोदर को बड़े प्रिय हैं. गणेश की निर्मल हृदय से साधना करने पर वे बड़े जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की अभिलाषाओं को त्वरित ही पूर्ण करते हैं. यह गणेश पक्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा अर्थात 20 सितंबर सोमवार तक रहेगा.

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