रायपुर: महापौर पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जनवरी यानि कल तक है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने सभी 10 नगर निगमों के लिए मेयर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. सभी प्रत्याशियों ने अपना अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है. एक स्वभाविक सा सवाल है कि आपका कंडिडेट जिसे आप वोट के जरिए चुनने वाले हैं वो कितना पढ़ा लिखा है. पब्लिक को भी ये जानना जरुर है कि मैदान में उतरे प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता क्या है.
महापौर प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता: महापौर पद के उम्मीदवार के शैक्षणिक योग्यता की बात की जाए तो इसमें 7वीं पास से लेकर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डॉक्टर और वकील सभी शामिल हैं. वहींं सातवीं से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले उम्मीदवारों की बात की जाए तो भाजपा ने 5 महिलाओं को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने 4 महिलाओं को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया है. कौन प्रत्याशी कितना पढ़ा लिखा है ये जानना हम सभी के लिए जरुरी है.
रायपुर महापौर पद के प्रत्याशी: रायपुर में दोनों महिला महापौर प्रत्याशी पढ़ी लिखी हैं. भारतीय जनता पार्टी की ओर से मैदान में उतरीं मीनल चौबे ग्रेजुएट हैं. दूसरी और कांग्रेस उम्मीदवार दीप्ति दुबे पोस्ट ग्रेजुएट हैं. मीनल चौबे लंबे अरसे से राजनीति में सक्रिय रही हैं. दीप्ति दुबे राजनीति के मैदान में पहली बार उतरीं हैं.
रायगढ़ महापौर पद के प्रत्याशी: यहां 7वीं और 12वीं पास उम्मीदवारों के बीच टक्कर है. रायगढ़ नगर निगम में भाजपा ने जीवर्धन चौहान को उम्मीदवार बनाया है जो 7वीं पास हैं. कांग्रेस ने जानकी काटजू को उम्मीदवार बनाया है जो 12वीं पास हैं.
दुर्ग महापौर पद प्रत्याशी: यहांं कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों के उम्मीदवार ग्रेजुएट हैं. भाजपा ने यह से अल्का बाघमार को उम्मीदवार बनाया है तों कांग्रेस ने प्रेमलता पोषण साहू को चुनावी मैदान में उतारा है. दोनों ही उम्मीदवार ग्रेजुएट हैं.
राजनांदगांव महापौर पद के प्रत्याशी: यहांं 12वीं पास का मुकाबला ग्रेजुएट कंडिडेट से है. भाजपा ने मधुसूदन यादव को चुनावी मैदान उतारा है जो 12वीं पास हैं. कांग्रेस ने निखिल द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया है जो ग्रेजुएट हैं. मधुसूदन यादव लंबे वक्त से राजनीति में सक्रिय हैं.
बिलासपुर महापौर पद के प्रत्याशी: बिलासपुर नगर निगम के चुनावी मैदान में उतरे दोनों ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशीे पोस्ट ग्रेजुएट हैं. भाजपा ने यहां से पूजा विधानी को उम्मीदवार बनाया है जबकी कांग्रेस ने प्रमोद नायक को मैदान में भेजा है. दोनों ही प्रत्याशी पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवार हैं.
अबिकापुर महापौर पद प्रत्याशी: अंबिकापुर नगर निगम में स्नातक उम्मीदवार का डॉक्टर से मुकाबला है. भाजपा ने मंजूषा भगत को उम्मीदार बनाया है जो कि स्नातक हैं. वहीं दूसरी और कांग्रेस ने अजय तिर्की को चुनावी मैदान में उतारा है जो डॉक्टर हैं. दोनों ही पढ़े लिखे उम्मीदवार हैं.
चिरमिरी महापौर पद प्रत्याशी: चिरमरी नगर निगम की बात की जाए तो यहां वकील का डॉक्टर से मुकाबला है. एक उम्मीदवार वकील है तो दूसरा डॉक्टर है. यहां से भाजपा ने रामनरेश राय को उम्मीदवार बनाया है जो एलएलबी हैं. दूसरी ओर कांग्रेस ने विनय जायसवाल को मैदान में उतारा है जो डॉक्टर हैं.
जगदलपुर महापौर पद प्रत्याशी: जगदलपुर नगर निगम में पोस्ट ग्रेजुएट और 12वीं पास के बीच मुकाबला है. यहां से भाजपा ने संजय पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है जो पोस्ट ग्रेजुएट हैं. दूसरी ओर कांग्रेस ने मलकीत सिंह गैदू को उम्मीदवार बनाया है जो 12वीं पास हैं.
धमतरी नगर निगम के लिए महापौर पद के प्रत्याशी: धमतरी नगर निगम में स्नातक पास कंडिडेट का मुकाबाल 9वीं पास से है. यहां से भाजपा ने जगदीश रामू रोहरा को उम्मीदवार बनाया है जो बीए पास हैं. दूसरी और कांग्रेस ने विजय गोलछा को मैदान में उतारा था जो 9वीं पास हैं. बीजेपी की शिकायत के बाद गोलछा का नामांकन राज्य निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया है. संभव है अब यहां से कांग्रेस के डमी कंडिडेट चुनाव मैदान में उतरें.
कोरबा महापौर पद प्रत्याशी: कोरबा नगर निगम में जीत के लिए दसवीं पास और बीएससी के बीच मुकाबला है. भाजपा ने यहां से संजू देवी राजपूत को उम्मीदवार बनाया है जो 12वीं पास हैं. कांग्रेस ने यहां पर उषा तिवारी को मैदान में उतारा है जो बीएससी हैं.
क्यों पढ़ा लिखा होना चाहिए आपका उम्मीदवार: चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने के लिए किसी डिग्री की जरुरत नहीं होती है. पर आप जिसे चुन रहे हैं अगर वो पढ़ा लिखा होगा तो विकास के कामों में आसानी आएगी और उसका फायदा भी लोगों को मिलेगा. राजनीति की जानकार और वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार तिवारी का कहना है कि इस बार दोनों ही राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने रायपुर में अच्छे उम्मीदवार उतारे हैं. दोनों ही पढ़े लिखे और सभ्य हैं. वहीं कई मेयर प्रत्याशी कम पढ़े लिखे भी हैं.
टिकट देने के दौरान राजनीतिक दल जातिगत समीकरण का ध्यान रखते हैं. पार्टियां आज भी प्रत्याशी चयन में इस समीकरण को ध्यान में रखकर आगे बढ़ती हैं. कम पढ़े लिखे लोगों को टिकट मिलता है ये ठीक नहीं है. विकास के लिए शिक्षा जरुरी है. यह बात जनप्रतिनिधियों पर भी लागू होना चाहिए - राम अवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर
मंत्री का उदाहरण: वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार तिवारी ने एक पूर्व मंत्री का उदाहरण देते हुए बताया कि वह अशिक्षित थे, इसकी वजह से वह जेल में हैं. उनको अधिकारियों ने जैसा बताया वैसा वो करते चले गए. बिना पढ़े और जाने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिया. इसकी वजह से आज वो सलाखों के पीछे हैं. ऐसी स्थिति नहीं बने इसके लिए पढ़ा लिखा होना जरुरी है.