शरद पूर्णिमा: अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन गोपियों के साथ महारास रचाया था.
ज्योतिषियों की मानें तो इस बार शरद पूर्णिमा में 30 साल के बाद सबसे शुभ योग बन रहा है.इस दिन चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ने से गजकेसरी नाम का शुभ योग बना है. कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृत बरसता है जो औषधि का काम करता है.
हिंदू परंपरा में इससे जुड़ी कई सारी मान्यताएं है जिनके अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म होने के साथ चंद्रमा इस धरती पर अमृत वर्षा करतें हैं. इस दिन दुर्लभ योग में विशेष पूजा पाठ कर अच्छा स्वास्थ्य और अपार धन धान्य का आशीर्वाद पाया जा सकता है. इस अवसर पर पूजन पाठ से बड़ी विपत्तियां टल सकती है.
शुभ योग
- 13 अक्टूबर 2019 को रात 12 बजकर 36 मिनट से पूर्णिमा तिथि की शुरुआत
- 14 अक्टूबर की रात 2 बजकर 38 मिनट पर पूर्णिमा तिथि होगी संपन्न
- 13 अक्टूबर 2019 की शाम 5 बजकर 26 मिनट पर होगा चंद्रोदय
कैसे करें व्रत
- पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सबसे पहले अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए.
- उसके बाद भगवान इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करने के लिए घी का दीपक जलाएं.
- इस दिन ब्राह्माणों को विशेषकर खीर का भोजन करवाकर दान दक्षिणा भी देनी चाहिए.
- शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए.
- शरद पूर्णिमा का व्रत विशेषकर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता है.
- माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है. इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर मंदिर में दान करने से भी लाभ मिलता है.
- पूजा के बाद रात 12 बजे के उपरांत अपने परिवार के लोगों को खीर का प्रसाद बांटें.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आज रात बहार रखे खीर
- आज के दिन गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनाएं.
- खीर को भगवान् को अर्पित करके विधिवत भगवान् कृष्ण की पूजा करें.
- मध्य रात्रि में जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए तब चंद्रदेव की उपासना करें.
- चन्द्रमा के मंत्र "ॐ सोम सोमाय नमः" का जाप करें.
- खीर को चन्द्रमा की रौशनी में रख दें.
- खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के बर्तन में रखें, अन्य धातुओं का प्रयोग न करें.