रायपुर: हिंदू धर्म में पवित्र गंगा जल को अमृत के समान माना गया है. यही कारण है कि पूजा पाठ से लेकर हर शुभ काम में गंगा जल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. सावन के महीने में गंगाजल का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. भगवान शिव के भक्त अपने आराध्य देव यानि महादेव को जल चढ़ाने के लिए लंबी दूरी तय करते हुए कांवड़ यात्रा करते हैं. श्रावण मास में आपकी शिव साधना सफल हो, इसके लिए घर में गंगाजल लाने, उसे रखने और भगवान शिव पर जल चढ़ाने से जुड़े जरूरी नियम जरूर पता होना चाहिए.
डाकघर के जरिए मिलता है गंगाजल: गंगाजल की बिक्री सबसे अधिक सावन माह में होती है. इसका मूल्य 20 से 30 रुपये रखा गया (Gangajal at the post office in Sawan) है. इसमें लोगों को हरिद्वार, ऋषिकेश और गंगोत्री का गंगाजल 250 एमएल मिलता है. अगर कोई ग्राहक डाकघर आने में असमर्थ है तो उसके घर का पता लेकर डाकिया तय मूल्य पर गंगाजल पहुंचा देता है.
सावन में गंगाजल की सबसे ज्यादा मांग : केंद्र सरकार कि योजना के तहत साल 2016 में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की पहल पर डाकिया द्वारा घर तक गंगाजल पहुंचाने का काम शुरु किया गया था. साल 2016 से सभी डाकघरों में गंगाजल मिलता है. ऐसे तो गंगा नदी वाले स्थानों पर सालभर जल उपलब्ध रहता है. लेकिन सावन माह में गंगाजल की बहुत अधिक मांग रहती है. देश के कई हिस्सों के डाकघरों में सावन के माह में गंगाजल बेचा जाता है. इसके अलावा इन दिनों आप ई-कार्ट साइट्स की मदद से भी गंगाजल घर पर मंगवा सकते (Gangajal is available at post office and e commerce sites) हैं.
गंगाजल का पूजा के लिए होता है प्रयोग : सनातन परंपरा में गंगा जल का प्रयोग पूजा पाठ से लेकर तमाम धार्मिक और मांगलिक कार्यों के लिए होता (Use of Gangajal in Sawan) है. पवित्र गंगा जल से न सिर्फ भगवान को भोग लगाया जाता है बल्कि अक्सर इसी गंगाजल को मंदिर में पुजारी चरणामृत के रूप में तुलसी के साथ लोगों को देते हैं. अमृत रूपी गंगा जल अक्सर किसी देव अनुष्ठान और मांगलिक कार्य को करते समय संकल्प लेने और शुद्धिकरण के काम आता है. इसका प्रयोग पवित्र होने के लिए किया जाता है. गंगा जल को घर के भीतर और बाहर छिड़कने से बुरी शक्तियां या नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनी रहती है.