रायपुर: अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के लिए कई आंदोलन किए गए. मंदिर की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के हजारों लोग कार सेवा में शामिल हुए थे. छत्तीसगढ़ से शामिल रहे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक वीरेंद्र पांडेय ने कोरोना काल में मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं.
ETV भारत से हुई खास बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने मंदिर शिलान्यास को अभी न करने को लेकर कई तर्क दिए हैं. साथ ही मंदिर के इस वक्त किए जा रहे शिलान्यास को राजनीति और चुनाव से प्रेरित बताया है. इसे PM का राजनीतिक एजेंडा बताया है.
उन्होंने चातुर्मास पर ध्यान खींचने की कोशिश की. जानकारी के लिए बता दें, हिन्दू रीति के अनुसार चातुर्मास यानी साल के वो चार महीने जिस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य को वर्जित माना जाता है. वीरेंद्र पांडेय ने तर्क दिए हैं कि हिन्दुओं में श्रेष्ठ माने जाने वाले शंकराचार्यों ने शिलान्यास में शामिल होने से इंकार किया है. उन्होंने इस समय को शिलान्यास के लिए ठीक नहीं माना है.
वीरेंद्र पांडेय के तर्क और आरोप
- वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि जिस मंदिर के लिए 500 साल इंतजार किया गया, उसके शुभ अवसर पर शिलान्यास के लिए 5 महीने का इंतजार क्यों नहीं किया जा सकता.
- केंद्र सरकार खुद के बनाए नियमों के खिलाफ जा रही है. उनका कहना है कि सरकार ने अनलॉक 3 में धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया है.
- भूमि पूजन करने जाने वाले प्रधानमंत्री खुद 70 साल के हैं, जबकि सरकार की गाइडलाइन है कि 60 साल से अधिक उम्र को लोगों के घरों से निकलना प्रतिबंधित है.
- कोरोना काल में जब देश में तेजी से संक्रमण फैल रहा है, तब मंदिर शिलान्यास का कार्यक्रम बिहार और बंगाल के चुनाव को देखते हुए किया जा रहा है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी की चिंता नहीं है. सिर्फ इस बात की चिंता है कि कैसे पूरे देश में और हर राज्य उनकी सत्ता हो.
- नरेंद्र मोदी सत्ता लिए कोई भी कर्म करने के लिए तैयार रहते हैं. मंदिर इनका राजनीतिक एजेंडा है.
- उनका कहना है कि जिन्होंने इतने सालों तक आंदोलन किया, आज वो इस दौर में शिलान्यास में नहीं पहुंच पाएंगे. पूरे देश की भावना थी कि लोग ऐसे वक्त वहां मौजूद रहें. सभी को वंचित करके 200 लोग उस काम को कर रहे हैं.
- उनका कहना है कि देश में मौजूदा हालात बिलकुल ठीक नहीं है. तेजी से अर्थव्यवस्था भी नीचे आ रही है. साथ ही कोरोना का संक्रमण भी चरम पर है.