रायपुर: छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में जबलपुर के न्यू लाइफ हॉस्पिटल में आगजनी की घटना के कारण 8 लोगों की जान चली गई है. आगजनी के बाद अस्पताल को लेकर कई खुलासे भी सामने आए हैं. ईटीवी भारत की टीम ने शहर के अस्पतालों में फायर सेफ्टी व्यवस्थाओं का रियालिटी चेक किया. ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. अम्बेडकर अस्पताल (fire alarm in government hospitals of chhattisgarh ) पहुंची. इस अस्पताल में फायर सेफ्टी को लेकर हर फ्लोर में व्यवस्था है, इसके साथ ही फायर एक्सटिंग्विशर, स्मोक डिटेक्टर के अलावा फायर अलार्म भी लगे हुए हैं.
काम नहीं कर रहा फायर अलार्म: ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल में फायर अलार्म चेक किया तो वह काम नहीं कर रहा था. अस्पताल में जगह-जगह पर आगजनी की घटना के दौरान फायर अलार्म भी लगाए गए हैं और अलर्ट करने को स्पीकर भी लगाए गए हैं ताकि लोगों को आग लगने की घटना से आगाह किया जाए लेकिन जब उस अलार्म की बटन दबाई गई तो वह काम ही नहीं कर रही थी.
क्या कहते हैं जिम्मेदार: फायर अलार्म काम नहीं करने और अस्पताल में फायर सेफ्टी की व्यवस्था को लेकर ईटीवी भारत ने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की. अस्पताल की पीआरओ शुभ्रा सिंह ने बताया " प्रदेश का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल होने के नाते यहां पर फायर सेफ्टी की व्यवस्था अच्छी है. फायर सेफ्टी को लेकर पूरा प्लांट लगा हुआ है. समय-समय पर मॉकड्रिल भी किया जाता है. लगातार फायर सेफ्टी इक्विपमेंट का ऑडिट भी किया जाता है. इसके अलावा अलग एक्सटिंग्विशर सीओटू और ABC टाइप है. अस्पताल के वार्ड और ओपीडी में फायर सेफ्टी की व्यवस्था है."
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पीआरओ का जवाब: फायर अलार्म काम नहीं करने के सवाल पर पीआरओ का कहना है " सालाना फायर सेफ्टी इक्विपमेंट का मेंटेनेंस किया जाता है. बहुत से अलार्म बटन लंबे समय से उपयोग नहीं हुए हैं तो वह जाम हो जाते हैं. कई बार डिटेक्टर काम नहीं करता. इन सारी चीजों के मेंटेनेंस का काम साल भर चलता है. किसी प्रकार की शिकायत आती है तो मॉकड्रील के दौरान उसे फिर से दुरुस्त किया जाता है.''
डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के हालात: अंबेडकर अस्पताल के बाद ईटीवी भारत की टीम डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पहुंची. अस्पताल में ओपीडी और वार्डों में हमने जायजा लिया. अस्पताल में फायर सेफ्टी इक्विपमेंट के साथ-साथ स्मोक डिटेक्टर, फायर एक्सटिंग्विशर भी लगाए गए हैं. डीकेएस अस्पताल के सह अधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया, "फायर फाइटिंग सिस्टम का पूरा सिस्टम पिछले साढ़े 3 सालों से लगा हुआ है. हर साल उसका ऑडिट करवाते रहते हैं. नगर सेना अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं विभाग हर साल एनओसी जारी करता है. यह काम लगातार करवाया जाता है. अस्पताल में सभी फायर सेफ्टी इक्विपमेंट हैं.''