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कोरोना और लॉकडाउन: बंद होने की कगार पर छत्तीसगढ़ के सैकड़ों स्कूल, कैसे दें सैलरी ? - school in corona period

कोरोना और लॉकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ (Effect of corona on private schools) के सैकड़ों निजी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं. एक तरफ फीस नहीं आ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन को टैक्स जमा करना पड़ रहा है. जिससे स्कूलों की माली हालत खराब(Financial crisis of private school) हो गई है. स्कूल प्रबंधन ने सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए लॉकडाउन में स्कूल बंद करने का दूसरा विकल्प तलाशने की अपील की है.

Financial crisis of private schools due to corona and lockdown in raipur
प्राइवेट स्कूलों पर लॉकडाउन और कोरोना की मार
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Published : Jun 25, 2021, 5:40 PM IST

Updated : Jun 25, 2021, 6:29 PM IST

रायपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की मार लगभग हर क्षेत्र पर पड़ी है. एजुकेशन सेक्टर ऐसा प्रभावित हुआ कि अब तक उबर (Effect of lockdown and corona on private school) भी नहीं पा रहा है. देशभर में यही स्थिति बनी हुई है. पिछले डेढ़ सालों से छत्तीसगढ़ के स्कूल भी ठीक से नहीं चल पा रहे हैं. बच्चों की फीस के सहारे चलने वाले प्राइवेट स्कूलों (Financial crisis of private schools) के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. टीचर्स का कहना है कि बच्चों की शिक्षा का स्तर भी काफी खराब हुआ है.

प्राइवेट स्कूलों पर लॉकडाउन और कोरोना की मार

कई स्कूलों में लगा ताला, कई में लगाने की तैयारी

पिछले दिनों सीएम भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) के गृह जिले में लगभग 46 निजी स्कूलों ने स्कूल बंद करने का आवेदन (school closure application) शिक्षा विभाग में दिया था. यहीं स्थिति रायपुर के भी कई प्राइवेट स्कूलों की है. रायपुर जिले के 37 स्कूलों ने सरकार के पास लिखित में स्कूल बंद करने की जानकारी दी है. वहीं 80 से 100 ऐसे स्कूल हैं जिन्होंने लिखित में कोई जानकारी नहीं दी है लेकिन बंद हो गए हैं. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो 700 से एक हजार के करीब विद्यालय बंद हो गए हैं या बंद होने की स्थिति में है.

ETV भारत ने प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों से बात की और जानने की कोशिश की कि उन्हें स्कूल चलाने में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

'वित्तीय समस्या के साथ ही बच्चों पर पड़ रहा असर'

प्ले होम हाइट्स प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल शिवानी ने बताया कि स्कूल में वित्तीय समस्या है. सिर्फ ट्यूशन के जरिए पूरा स्कूल मैनेज करना काफी मुश्किल हो रहा है. बिल्डिंग की किस्त देनी पड़ रही है, बस की किश्त देनी पड़ रही है. ट्यूशन फीस से सिर्फ टीचर्स को सैलरी देने की बात की जा रही है. लेकिन स्कूल में दूसरे कर्मचारी भी हैं. ड्राइवर हैं, क्लीनर हैं, उन्हें भी वेतन देना पड़ रहा है.

प्रिंसिपल शिवानी ने कहा कि बच्चों से संबंधित बहुत बड़ी समस्या आ रही है. बच्चों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है. बच्चा ठीक से बोल नहीं पा रहा है. वायवा नहीं दे पा रहा है. बच्चे लिख नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरी एक पीढ़ी कमजोर हो गई है.

पेरेंट्स बोले- थर्ड वेव के बाद खुलें स्कूल, स्टूडेंट ने कहा- 'हायर सेकेंडरी की लगनी चाहिए क्लास'

'स्कूल बंद करने के अलावा भी सोचे सरकार'

शासन पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि क्रिकेट मैच हो रहा है. शराब की दुकानें खुली हुई हैं. रैली की जा रही है. इससे कोरोना संक्रमण नहीं फैल रहा है. लेकिन स्कूल खोलते समय कोरोना संक्रमण का डर दिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शासन को लॉकडाउन में स्कूल बंद करने का दूसरा विकल्प ढूंढना चाहिए.

स्कूलों के सामने आर्थिक संकट

छत्रपति शिवाजी स्कूल के संचालक मुकेश शाह ने ETV भारत से बात करते हुए ये बताया कि पिछले साल मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद स्कूल की फीस नहीं आई थी. इस साल की भी वही स्थिति है. सिर्फ 50 से 60 प्रतिशत परिजनों ने ही फीस जमा की है. ऐसे में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

'जनरल प्रमोशन से बच्चों की मानसिक स्थिति पर असर'

पिछले साल बच्चों का जनरल प्रमोशन (general promotion of children) हुआ था. इस साल भी जनरल प्रमोशन हुआ है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर फर्क पड़ा है. जो बच्चे पढ़ाई की तैयारी करते हैं या जिनके अंदर एग्जाम फीलिंग रहती है. ऐसे बच्चों के मन में निराशा आई होगी.

'स्कूल बसों का टैक्स माफ करे सरकार'

जब से लॉकडाउन लगा है तभी से स्कूल बस खड़ी है. बावजूद इसके हर स्कूलों ने बसों के ड्राइवरों को अपनी क्षमता के अनुसार सैलरी दी. मुकेश शाह ने शासन से स्कूलों को रियायत देते हुए बसों के टैक्स को पूरी तरफ माफ करने की गुजारिश की है.

निजी स्कूल के प्रबंधक मुकेश ने बताया की छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूल के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. सरकार व्यवसायिक टैक्स लेती है. बसों का टैक्स ले रही है. टैक्स को माफ नहीं किया गया. सभी बच्चों की फीस भी पूरी तरह से नहीं आ रही है. बसों और स्कूल भवनों की बैंकों में किश्त चल रही है. टीचर की सैलेरी, स्टाफ की सैलरी सभी चीजों को मैनेज करना मुश्किल हो रहा है. सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है.

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि स्कूली शिक्षा पर खास तौर पर बुरा असर पड़ा है. आर्थिक स्थिति के साथ-साथ शिक्षा की स्थिति भी खराब हो गई है. लगातार जनरल प्रमोशन के चलते बच्चों के भविष्य पर खतरा बना हुआ है. सरकार को आर्थिक स्थिति के अलावा शिक्षा की स्थिति में भी सुधार करने की जरूरत है.

स्कूलों को हाईकोर्ट से मिली राहत

इस कोरोना संक्रमण के दौरान भी प्राइवेट स्कूलों से प्रॉपर्टी टैक्स (property tax from schools) की वसूली की जा रही थी. ऐसे में प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट (HIGH COURT) में अपील दायर की. इस अपील में ये कहा गया कि कोरोना संक्रमण (corona infection) और लॉकडाउन (lockdown) के चलते निजी स्कूल की आर्थिक हालात बेहद खराब है. जिसके बाद कोर्ट से स्कूलों को प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करने के लिए स्टे मिला है.

रायपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की मार लगभग हर क्षेत्र पर पड़ी है. एजुकेशन सेक्टर ऐसा प्रभावित हुआ कि अब तक उबर (Effect of lockdown and corona on private school) भी नहीं पा रहा है. देशभर में यही स्थिति बनी हुई है. पिछले डेढ़ सालों से छत्तीसगढ़ के स्कूल भी ठीक से नहीं चल पा रहे हैं. बच्चों की फीस के सहारे चलने वाले प्राइवेट स्कूलों (Financial crisis of private schools) के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. टीचर्स का कहना है कि बच्चों की शिक्षा का स्तर भी काफी खराब हुआ है.

प्राइवेट स्कूलों पर लॉकडाउन और कोरोना की मार

कई स्कूलों में लगा ताला, कई में लगाने की तैयारी

पिछले दिनों सीएम भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) के गृह जिले में लगभग 46 निजी स्कूलों ने स्कूल बंद करने का आवेदन (school closure application) शिक्षा विभाग में दिया था. यहीं स्थिति रायपुर के भी कई प्राइवेट स्कूलों की है. रायपुर जिले के 37 स्कूलों ने सरकार के पास लिखित में स्कूल बंद करने की जानकारी दी है. वहीं 80 से 100 ऐसे स्कूल हैं जिन्होंने लिखित में कोई जानकारी नहीं दी है लेकिन बंद हो गए हैं. पूरे प्रदेश की बात की जाए तो 700 से एक हजार के करीब विद्यालय बंद हो गए हैं या बंद होने की स्थिति में है.

ETV भारत ने प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों से बात की और जानने की कोशिश की कि उन्हें स्कूल चलाने में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

'वित्तीय समस्या के साथ ही बच्चों पर पड़ रहा असर'

प्ले होम हाइट्स प्राइवेट स्कूल की प्रिंसिपल शिवानी ने बताया कि स्कूल में वित्तीय समस्या है. सिर्फ ट्यूशन के जरिए पूरा स्कूल मैनेज करना काफी मुश्किल हो रहा है. बिल्डिंग की किस्त देनी पड़ रही है, बस की किश्त देनी पड़ रही है. ट्यूशन फीस से सिर्फ टीचर्स को सैलरी देने की बात की जा रही है. लेकिन स्कूल में दूसरे कर्मचारी भी हैं. ड्राइवर हैं, क्लीनर हैं, उन्हें भी वेतन देना पड़ रहा है.

प्रिंसिपल शिवानी ने कहा कि बच्चों से संबंधित बहुत बड़ी समस्या आ रही है. बच्चों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है. बच्चा ठीक से बोल नहीं पा रहा है. वायवा नहीं दे पा रहा है. बच्चे लिख नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूरी एक पीढ़ी कमजोर हो गई है.

पेरेंट्स बोले- थर्ड वेव के बाद खुलें स्कूल, स्टूडेंट ने कहा- 'हायर सेकेंडरी की लगनी चाहिए क्लास'

'स्कूल बंद करने के अलावा भी सोचे सरकार'

शासन पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि क्रिकेट मैच हो रहा है. शराब की दुकानें खुली हुई हैं. रैली की जा रही है. इससे कोरोना संक्रमण नहीं फैल रहा है. लेकिन स्कूल खोलते समय कोरोना संक्रमण का डर दिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शासन को लॉकडाउन में स्कूल बंद करने का दूसरा विकल्प ढूंढना चाहिए.

स्कूलों के सामने आर्थिक संकट

छत्रपति शिवाजी स्कूल के संचालक मुकेश शाह ने ETV भारत से बात करते हुए ये बताया कि पिछले साल मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद स्कूल की फीस नहीं आई थी. इस साल की भी वही स्थिति है. सिर्फ 50 से 60 प्रतिशत परिजनों ने ही फीस जमा की है. ऐसे में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

'जनरल प्रमोशन से बच्चों की मानसिक स्थिति पर असर'

पिछले साल बच्चों का जनरल प्रमोशन (general promotion of children) हुआ था. इस साल भी जनरल प्रमोशन हुआ है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर फर्क पड़ा है. जो बच्चे पढ़ाई की तैयारी करते हैं या जिनके अंदर एग्जाम फीलिंग रहती है. ऐसे बच्चों के मन में निराशा आई होगी.

'स्कूल बसों का टैक्स माफ करे सरकार'

जब से लॉकडाउन लगा है तभी से स्कूल बस खड़ी है. बावजूद इसके हर स्कूलों ने बसों के ड्राइवरों को अपनी क्षमता के अनुसार सैलरी दी. मुकेश शाह ने शासन से स्कूलों को रियायत देते हुए बसों के टैक्स को पूरी तरफ माफ करने की गुजारिश की है.

निजी स्कूल के प्रबंधक मुकेश ने बताया की छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूल के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. सरकार व्यवसायिक टैक्स लेती है. बसों का टैक्स ले रही है. टैक्स को माफ नहीं किया गया. सभी बच्चों की फीस भी पूरी तरह से नहीं आ रही है. बसों और स्कूल भवनों की बैंकों में किश्त चल रही है. टीचर की सैलेरी, स्टाफ की सैलरी सभी चीजों को मैनेज करना मुश्किल हो रहा है. सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है.

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि स्कूली शिक्षा पर खास तौर पर बुरा असर पड़ा है. आर्थिक स्थिति के साथ-साथ शिक्षा की स्थिति भी खराब हो गई है. लगातार जनरल प्रमोशन के चलते बच्चों के भविष्य पर खतरा बना हुआ है. सरकार को आर्थिक स्थिति के अलावा शिक्षा की स्थिति में भी सुधार करने की जरूरत है.

स्कूलों को हाईकोर्ट से मिली राहत

इस कोरोना संक्रमण के दौरान भी प्राइवेट स्कूलों से प्रॉपर्टी टैक्स (property tax from schools) की वसूली की जा रही थी. ऐसे में प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट (HIGH COURT) में अपील दायर की. इस अपील में ये कहा गया कि कोरोना संक्रमण (corona infection) और लॉकडाउन (lockdown) के चलते निजी स्कूल की आर्थिक हालात बेहद खराब है. जिसके बाद कोर्ट से स्कूलों को प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करने के लिए स्टे मिला है.

Last Updated : Jun 25, 2021, 6:29 PM IST
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