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SPECIAL: कुपोषण से बिगड़े हालात, ग्रामीण ही नहीं छत्तीसगढ़ के शहरी इलाके भी प्रभावित

छत्तीसगढ़ में 23% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने इससे निपटने के लिए मिड डे मील में दूध और अंडा देने से लेकर महुए के लड्डू बांटने तक की योजना चलाई है, लेकिन कुपोषण के आंकड़ों में कमी नहीं आई है.

कुपोषित बच्चे
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Published : Oct 1, 2019, 3:45 PM IST

रायपुर : पूरे देश में कुपोषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. आज लगभग हर तीसरा बच्चा कुपोषित है. केंद्र सरकार भले ही भारत को कुपोषण मुक्त करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है. इसके बावजूद भी कुपोषण के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. कुपोषण को कम करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को पूरक पोषण आहार देने और छत्तीसगढ़ प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई है.

पैकेज.

छत्तीसगढ़ में 23% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने इससे निपटने के लिए मिड डे मील में दूध और अंडा देने से लेकर महुए के लड्डू बांटने तक की योजना चलाई है, लेकिन कुपोषण के आंकड़ों में कमी नहीं आई है.

शहरी क्षेत्रों में भी कुपोषण के आंकड़े चौंकाने वाले

  • महिला एवं बाल विकास की ओर से आई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में रायपुर में 20 फीसदी कुपोषण के आंकड़ा दर्ज किया गया है.
  • रायपुर के शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कुपोषण का मामला दर्ज किया गया है.
  • आरंग ब्लॉक में सबसे कम कुपोषण दर्ज किया गया है.
  • इसी तरह सुकमा और बीजापुर में 45 फीसदी तक बच्चों में कुपोषण है.

यह आंकड़ा महिला एवं बाल विकास विभाग के ‘वजन’ कार्यक्रम के तहत दर्ज किया गया है. कुपोषण को लेकर लंबे समय से प्रदेश भर में काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता मंजित कौर बताती है कि न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर भी कुपोषण के गंभीर हालात बने हुए हैं. उनका कहना है कि इसके पीछे कई कारण है. कुपोषण को लेकर जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

  • प्रदेश में कुल 21 लाख 6 हजार 417 बच्चों का वजन किया गया था. इसमें 1 लाख 15 हजार 202 बच्चे अति कुपोषित और 3 लाख 75 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए है.

इस बार रायपुर के शहरी क्षेत्रों को भी दो भागों में बांटकर सर्वे किया गया था. इसमें रायपुर के शहरी क्षेत्र 1 में सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार बच्चे मिले हैं.
वहीं तिल्दा और मंदिरहसौद में भी 22 फीसदी से ज्यादा बच्चों में कुपोषण है.

कुपोषण को लेकर प्रदेश की महिला एवं समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया का कहना है कि पहले क्या हुआ और क्या नहीं इस पर उन्हें कोई बात नहीं करनी है. बात अगर अब की की जाए तो प्रदेश सरकार की ओर से कुपोषण को दूर करने कई बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं.

रायपुर के शहरी क्षेत्रों में आरंग ब्लॉक को छोड़कर बाकी सभी ब्लॉक में कुपोषित बच्चे मिले है.

रायपुर में ब्लॉक में कुपोषण का प्रतिशत

  • आरंग 14.57
  • अभनपुर 18.48
  • धरसींवा 16.75
  • मंदिरहसौद 22.81
  • रायपुर शहरी 01 23.46
  • रायपुर शहरी 02 22.92
  • तिल्दा 23.81

प्रदेश में जिलावार कुपोषण का प्रतिशत

  • सुकमा 45.12
  • बीजापुर 38.50
  • दंतेवाड़ा 34.85
  • कोंडागांव 36.72
  • बिलासपुर 20.90
  • रायगढ़ 23.14
  • रायपुर 20.51
  • राजनांदगांव 26.76
  • सरगुजा 21.78
  • कोरबा 22.41

रायपुर : पूरे देश में कुपोषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. आज लगभग हर तीसरा बच्चा कुपोषित है. केंद्र सरकार भले ही भारत को कुपोषण मुक्त करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है. इसके बावजूद भी कुपोषण के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. कुपोषण को कम करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को पूरक पोषण आहार देने और छत्तीसगढ़ प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई है.

पैकेज.

छत्तीसगढ़ में 23% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने इससे निपटने के लिए मिड डे मील में दूध और अंडा देने से लेकर महुए के लड्डू बांटने तक की योजना चलाई है, लेकिन कुपोषण के आंकड़ों में कमी नहीं आई है.

शहरी क्षेत्रों में भी कुपोषण के आंकड़े चौंकाने वाले

  • महिला एवं बाल विकास की ओर से आई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 में रायपुर में 20 फीसदी कुपोषण के आंकड़ा दर्ज किया गया है.
  • रायपुर के शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कुपोषण का मामला दर्ज किया गया है.
  • आरंग ब्लॉक में सबसे कम कुपोषण दर्ज किया गया है.
  • इसी तरह सुकमा और बीजापुर में 45 फीसदी तक बच्चों में कुपोषण है.

यह आंकड़ा महिला एवं बाल विकास विभाग के ‘वजन’ कार्यक्रम के तहत दर्ज किया गया है. कुपोषण को लेकर लंबे समय से प्रदेश भर में काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता मंजित कौर बताती है कि न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर भी कुपोषण के गंभीर हालात बने हुए हैं. उनका कहना है कि इसके पीछे कई कारण है. कुपोषण को लेकर जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

  • प्रदेश में कुल 21 लाख 6 हजार 417 बच्चों का वजन किया गया था. इसमें 1 लाख 15 हजार 202 बच्चे अति कुपोषित और 3 लाख 75 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए है.

इस बार रायपुर के शहरी क्षेत्रों को भी दो भागों में बांटकर सर्वे किया गया था. इसमें रायपुर के शहरी क्षेत्र 1 में सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार बच्चे मिले हैं.
वहीं तिल्दा और मंदिरहसौद में भी 22 फीसदी से ज्यादा बच्चों में कुपोषण है.

कुपोषण को लेकर प्रदेश की महिला एवं समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया का कहना है कि पहले क्या हुआ और क्या नहीं इस पर उन्हें कोई बात नहीं करनी है. बात अगर अब की की जाए तो प्रदेश सरकार की ओर से कुपोषण को दूर करने कई बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं.

रायपुर के शहरी क्षेत्रों में आरंग ब्लॉक को छोड़कर बाकी सभी ब्लॉक में कुपोषित बच्चे मिले है.

रायपुर में ब्लॉक में कुपोषण का प्रतिशत

  • आरंग 14.57
  • अभनपुर 18.48
  • धरसींवा 16.75
  • मंदिरहसौद 22.81
  • रायपुर शहरी 01 23.46
  • रायपुर शहरी 02 22.92
  • तिल्दा 23.81

प्रदेश में जिलावार कुपोषण का प्रतिशत

  • सुकमा 45.12
  • बीजापुर 38.50
  • दंतेवाड़ा 34.85
  • कोंडागांव 36.72
  • बिलासपुर 20.90
  • रायगढ़ 23.14
  • रायपुर 20.51
  • राजनांदगांव 26.76
  • सरगुजा 21.78
  • कोरबा 22.41
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(खबर में पीटीसी और सामाजिक कार्यकर्ता की बाईट लाइव यू से भेजी गई है)


रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश में कुपोषित बच्चों के आंकड़े में कमी नहीं आई है। पूरे प्रदेश में सुकमा और बीजापुर में सबसे ज्यादा कुपोषण हैं। वहीं रायपुर के शहरी क्षेत्रों में 23 फीसदी तक कुपोषण के आंकड़े आए है। इसी तरह रायपुर जिले में आरंग ब्लॉक में सबसे कम 14 फीसदी तक कुपोषित बच्चे मिले है। शहरी क्षेत्रों में भी कुपोषण में के आंकड़े संतोषजनक नही है। रायपुर समेत शहरी इलाकों में 23 फीसदी तक कुपोषण एक चिंता के हालात को बयां कर रहा है। Body:Vo. 1

महिला एवं बाल विकास की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कुपोषण के मामले में रायपुर में 20 फीसदी तक कुपोषित मामले दर्ज किए गए है। रायपुर के शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कुपोषण का मामला दर्ज किया गया है। शहरी क्षेत्रों में ही कुपोषित बच्चे ज्यादा मिले है। वहीं आरंग ब्लॉक में सबसे कम कुपोषण बच्चों के रिकॉर्ड दर्ज किए गए है। इसी तरह सुकमा और बीजापुर में 45 फीसदी तक के बच्चों में कुपोषण हैं। यह आंकड़ा वजन कार्यक्रम के दौरान ही रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। सबसे पहले जिला स्तर पर बच्चों की गिनती की गई। इसमें सामान्य बच्चों की संख्या, मध्यम कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या दर्ज की गई। फिर उन बच्चों का वजन लेने के बाद कुपोषण का स्तर जांचा गया। इस दौरान कुपोषित बच्चों की संख्या दर्ज की गई। कुपोषण को लेकर लंबे समय से प्रदेश भर में काम रही सामाजिक कार्यकर्ता मंजितकौर बल बताती है कि ना केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर पर भी कुपोषण को लेकर ज्यादा गंभीर हालात है। इसके पीछे के कारण कई सारे है जैसे बीते कई सालों से कुपोषण को लेकर कोई ठोस काम जमीन स्तर पर नही हो पाए है।

बाईट- मंजीत कौर बल, सामाजिक कार्यकर्ता

वीओ 2

रायपुर के शहरी क्षेत्रों में आरंग ब्लॉक को छोड़कर सभी ब्लॉक में 20 फीसदी से ज्यादा कुपाेषित बच्चे मिले है। इस बार रायपुर के शहरी क्षेत्रों को भी दो भागों में बांटकर सर्वे किया गया। इसमें रायपुर के शहरी क्षेत्र 01 में सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार बच्चे मिले है। वहीं तिल्दा और मंदिरहसौद में भी 22 फीसदी से ज्यादा बच्चों में कुपोषण है। राज्य में कुपोषण के दर का आंकलन करने के लिए वजन त्यौहार का कार्यक्रम किया गया। इस दौरान ब्लॉक स्तर पर बच्चों की गिनती की गई और उन्हें तौला गया। निर्धारित वजन से कम मिलने पर उसे मध्यम कुपोषित बच्चों की गिनती में रखा गया। वहीं जिनका वजन सबसे कम रहा, उन्हें अति कुपोषित बच्चों की गिनती में रखा गया है। कुपोषण को लेकर प्रदेश की महिला एवं समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया कहती है कि पहले क्या हुआ इस पर बात नही करनी अब सरकार कुपोषण को दूर करने बड़ा अभियान चला रही है।

बाईट- अनिला भेड़िया, महिला एवं समाज कल्याण मंत्री



आकंड़े-

2106417 कुल वजन किए गए बच्चे

115202 अति कुपोषित बच्चे

376974 मध्यम कुपोषित बच्चे


रायपुर में ब्लॉकवार कुपोषण का प्रतिशत

आरंग 14.57

अभनपुर 18.48

धरसींवा 16.75

धरसींवा-01 22.22

मंदिरहसौद 22.81

रायपुर शहरी-01 23.46

रायपुर शहरी-02 22.92

तिल्दा 23.81

प्रदेश में जिलावार कुपोषण का प्रतिशत

सुकमा 45.12

बीजापुर 38.50

दंतेवाड़ा 34.85
कोंडागांव 36.72

बिलासपुर 20.90

रायगढ़ 23.14

रायपुर 20.51

राजनांदगांव 26.76

सरगुजा 21.78

कोरबा 22.41Conclusion:फाइनल वीओ

पूरे प्रदेश में 3 लाख 75 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए है। वहीं सवा लाख बच्चे अति कुपोषित बच्चों के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। इसी तरह प्रदेशभर में 21 लाख बच्चों का वजन किया गया। इस दौरान अलग-अलग कैटेगरी में गया है। मध्यम और अति कुपोषित बच्चों को फिर रखा गया है।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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