रायपुर: छत्तीसगढ़ शासन ने 27 मई को शासकीय कर्मचारियों की पदोन्नति और वेतन में वृद्धि को रोकने का आदेश जारी किया था, जिसके बाद गुरुवार शाम शासकीय अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन की आपात बैठक बुलाई गई. बैठक में अधिकारी और कर्मचारी फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष भी शामिल हुए. बैठक में वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने और पदोन्नति के निर्णय पर चर्चा की गई.
कर्मचारियों ने कहा कि सरकार ने जो निर्णय लिया है उस पर फिर से सोचना चाहिए और फैसला कर्मचारियों के हित में लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि साल में एक बार वेतन वृद्धि होती है और कर्मचारी सालभर मेहनत करते हैं. सरकार के इस फैसले से कर्मचारी हतोत्साहित है. कोरोना संकट में सभी सरकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं. गांव की बात की जाए तो गांव के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव कोटवार, लेखा परीक्षण अधिकारी, यह सभी क्वॉरेंटाइन सेंटर में काम कर रहे हैं. सरकार को इस तरह के कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन सरकार के इस फैसले से कर्मचारी वर्ग नाखुश हैं.
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50 लाख रुपये के बीमा की मांग
उन्होंने बैठक में ये भी कहा कि कोरोना महामारी के दौरान काम करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारियों को 50 लाख रुपये का बीमा करवाया जाए. साथ ही इस दौरान काम करने वाले मेडिकल स्टाफ को जोखिम भत्ता भी दिया जाए. समस्त कर्मचारी और पेंशनरों को महंगाई भत्ता की लंबित 9% की किस्त भी दी जाए.
3 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन
सरकार के इस फैसले पर सभी फेडरेशन ने बैठक में यह निर्णय लिया कि फेडरेशन के लोग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मुख्य सचिव से मुलाकात करेंगे. साथ ही 3 सूत्रीय मांगों को लेकर वे ज्ञापन भी सौंपेंगे. उन्होंने कहा कि मांग पूरी नहीं होने पर वे काली पट्टी लगाकर काम करेंगे. 1 जुलाई को प्रदेश के सभी कर्मचारी अधिकारी सरकार के इस फैसले को लेकर काला दिवस मनाएंगे. बैठक में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, स्वास्थ्य कर्मीसंघ, मंत्रालय कर्मचारी संघ, संचनालय कर्मचारी संघ, विद्यालय शिक्षक, कर्मचारी संघ, कोषालय कर्मचारी संघ, नवीन शिक्षाकर्मी संघ हाउसिंग बोर्ड कर्मचारी संघ के अतिरिक्त विभिन्न संघों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.