ETV Bharat / state

फादर्स डे 2022: शास्त्रों के अनुसार पिता का महत्व

शास्त्रों में पिता का खास महत्व है. पिता को ईश्वर का दर्जा दिया गया है. रामायण, महाभारत जैसे शास्त्रों में भीष्म पिताम्मह और राम जैसे बेटों ने पिता के वचन के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया (Importance of father according to scriptures) था.

Fathers Day 2022
फादर्स डे 2022
author img

By

Published : Jun 18, 2022, 7:21 PM IST

रायपुर: सनातन परंपरा में पिता का बहुत महत्व है. पिता का आदेश भगवान का आदेश माना गया (Importance of father according to scriptures) है. वास्तव में पिता को भगवान तुल्य ही माना गया और माता को देवी तुल्य. इस संसार में पिता ही एकमात्र व्यक्ति है, जो यह चाहता है कि मैं जीवन में यदि किसी से हार होती है तो वह मेरी अपनी संतान हो. इसके अलावा दुनिया में मुझे कोई परास्त ना कर पाए. एक पिता है अपने पुत्र के प्रति उदारवान और दयावान होता है. शास्त्रों और वेदों में पिता को प्रभु के तुल्य माना गया है. पिता ही हमारे जीवन के गुरु होते हैं. माता सर्वप्रथम गुरु होती है. उसके उपरांत पिता से ही हम संघर्ष पुरुषार्थ कर्म और जीवन पद्धति को बनाए रखना सीख पाते हैं.

शास्त्रों के अनुसार पिता का महत्व

संतान की छोटी से छोटी जरूरत का ध्यान रखता है पिता: हमारे हिंदू धर्म में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है. कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने पूरे जीवन काल में अपने माता-पिता का ऋण नहीं उतार सकता. आज के समय में हर इंसान को चाहिए कि वह अपने मां-बाप के लिए कुछ ना कुछ ऐसा करें जिन्हें देखकर उनके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ उठे. मां अपने बच्चों का पालन-पोषण करके उन्हें अच्छे संस्कार देती है. तो वहीं दूसरी ओर पिता अपने बच्चे की हर छोटी से छोटी जरूरत का ध्यान रखता है.

पिता वट वृक्ष की तरह होता है: वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने शास्त्रों में पिता का क्या महत्व है. इसके बारे में बतलाया कि " पिता हमारे लिए वटवृक्ष की तरह है उनकी छाया से ही हमारा जीवन संचालित होता है. हमारे जीवन में शीतलता और सौम्यता बनी रहती है. भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी का जब निधन हुआ तो उनके पिता जीवित रहे. उनकी पिता की उम्र लगभग 175 साल से भी अधिक रही होगी. पिता के संस्कारों का ही प्रभाव था. किशोर कृष्ण ने 12-13 वर्ष की उम्र में ही कंस जैसे आदतायी शक्ति और शक्तिशाली राजा का संघार किया था. कंस एक महाप्रतापी राजा था, उसे मारना सरल नहीं था. पिता के ही संस्कारों के प्रभाव के कारण भगवान कृष्ण ने बाल्यकाल में ही कंस का वध किया था."

यह भी पढ़ें: Fathers day 2022 : जानिए कब है फादर्स डे, क्यों मनाया गया ये दिन ?

राजा दशरथ राम को राजा बनाना चाहते थे लेकिन जाना पड़ा बनवास: अयोध्या के राजा दशरथ अपने सबसे बड़े पुत्र श्री राम से बहुत प्रेम करते थे. वे श्रीराम को राजा बनाने चाहते थे. लेकिन अपने वचन के कारण उन्हें ना चाह कर भी राम को वनवास भेजना पड़ा. वनवास पर जाने से पहले उन्होंने श्रीराम से यह भी कहा था कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ श्री राम के वनवास जाने के कुछ दिनों के बाद ही उन्होंने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग दिए.

पिता ने भीष्म को दिया था इच्छा मृत्यु का वरदान: महाभारत के अनुसार भीष्म के पिता राजा शांतनु थे. जब राजा शांतनु निषाद कन्या सत्यवती पर मोहित हो गए,तब वे विवाह का प्रस्ताव लेकर उसके पिता के पास गए. सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु से वचन मांगा कि उसकी पुत्री से उत्पन्न संतान ही राजा बनेगा. लेकिन तब उन्होंने मना कर दिया. जब यह बात भीष्म को पता चली तो वे सत्यवती के पिता के पास गए और वचन दिया कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे... और सत्यवती की संतान ही राजा बनेगी. इस तरह उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी की. प्रसन्न होकर राजा शांतनु ने भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान दिया.

रायपुर: सनातन परंपरा में पिता का बहुत महत्व है. पिता का आदेश भगवान का आदेश माना गया (Importance of father according to scriptures) है. वास्तव में पिता को भगवान तुल्य ही माना गया और माता को देवी तुल्य. इस संसार में पिता ही एकमात्र व्यक्ति है, जो यह चाहता है कि मैं जीवन में यदि किसी से हार होती है तो वह मेरी अपनी संतान हो. इसके अलावा दुनिया में मुझे कोई परास्त ना कर पाए. एक पिता है अपने पुत्र के प्रति उदारवान और दयावान होता है. शास्त्रों और वेदों में पिता को प्रभु के तुल्य माना गया है. पिता ही हमारे जीवन के गुरु होते हैं. माता सर्वप्रथम गुरु होती है. उसके उपरांत पिता से ही हम संघर्ष पुरुषार्थ कर्म और जीवन पद्धति को बनाए रखना सीख पाते हैं.

शास्त्रों के अनुसार पिता का महत्व

संतान की छोटी से छोटी जरूरत का ध्यान रखता है पिता: हमारे हिंदू धर्म में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है. कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने पूरे जीवन काल में अपने माता-पिता का ऋण नहीं उतार सकता. आज के समय में हर इंसान को चाहिए कि वह अपने मां-बाप के लिए कुछ ना कुछ ऐसा करें जिन्हें देखकर उनके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ उठे. मां अपने बच्चों का पालन-पोषण करके उन्हें अच्छे संस्कार देती है. तो वहीं दूसरी ओर पिता अपने बच्चे की हर छोटी से छोटी जरूरत का ध्यान रखता है.

पिता वट वृक्ष की तरह होता है: वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने शास्त्रों में पिता का क्या महत्व है. इसके बारे में बतलाया कि " पिता हमारे लिए वटवृक्ष की तरह है उनकी छाया से ही हमारा जीवन संचालित होता है. हमारे जीवन में शीतलता और सौम्यता बनी रहती है. भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी का जब निधन हुआ तो उनके पिता जीवित रहे. उनकी पिता की उम्र लगभग 175 साल से भी अधिक रही होगी. पिता के संस्कारों का ही प्रभाव था. किशोर कृष्ण ने 12-13 वर्ष की उम्र में ही कंस जैसे आदतायी शक्ति और शक्तिशाली राजा का संघार किया था. कंस एक महाप्रतापी राजा था, उसे मारना सरल नहीं था. पिता के ही संस्कारों के प्रभाव के कारण भगवान कृष्ण ने बाल्यकाल में ही कंस का वध किया था."

यह भी पढ़ें: Fathers day 2022 : जानिए कब है फादर्स डे, क्यों मनाया गया ये दिन ?

राजा दशरथ राम को राजा बनाना चाहते थे लेकिन जाना पड़ा बनवास: अयोध्या के राजा दशरथ अपने सबसे बड़े पुत्र श्री राम से बहुत प्रेम करते थे. वे श्रीराम को राजा बनाने चाहते थे. लेकिन अपने वचन के कारण उन्हें ना चाह कर भी राम को वनवास भेजना पड़ा. वनवास पर जाने से पहले उन्होंने श्रीराम से यह भी कहा था कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ श्री राम के वनवास जाने के कुछ दिनों के बाद ही उन्होंने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग दिए.

पिता ने भीष्म को दिया था इच्छा मृत्यु का वरदान: महाभारत के अनुसार भीष्म के पिता राजा शांतनु थे. जब राजा शांतनु निषाद कन्या सत्यवती पर मोहित हो गए,तब वे विवाह का प्रस्ताव लेकर उसके पिता के पास गए. सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु से वचन मांगा कि उसकी पुत्री से उत्पन्न संतान ही राजा बनेगा. लेकिन तब उन्होंने मना कर दिया. जब यह बात भीष्म को पता चली तो वे सत्यवती के पिता के पास गए और वचन दिया कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे... और सत्यवती की संतान ही राजा बनेगी. इस तरह उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी की. प्रसन्न होकर राजा शांतनु ने भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.