रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले से किसान मायूस हैं. गुरुवार को प्रदेश में अन्नदाताओं ने धान खरीदी जल्दी करने को लेकर मोर्चा खोला और कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुआ. किसानों का कहना है कि फसल नहीं बिकेगी तो वे दिवाली कैसे मनाएंगे, कर्ज कैसे उतारेंगे और फसल की रखवाली की चिंता अलग. वे तो यहां तक कह रहे हैं कि सरकार धान पहले खरीद ले भले भुगतान बाद में करे. इस 1 नवंबर से और 1 दिसंबर के बीच किसानों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उन्हें क्या-क्या नुकसान होगा. इसे ETV भारत की टीम ने खुद प्रदेश के किसानों से चर्चा करके जाना.
विपक्ष भी लगातार सरकार को धान खरीदी में देरी करने पर घेर रहा है. गुरुवार को किसानों ने प्रदर्शन करते हुए एक नवंबर न सही 15 नवंबर से ही धान खरीदने की बात सरकार के सामने रखी है.
कैसे मनाएंगे दिवाली ?
दिवाली का त्योहार भी आ रहा है लेकिन किसानों के हाथ खाली हैं. धान नहीं बिकेगा तो दीपावली में उनके पास पैसे नहीं रहेंगे. बेमेतरा के किसान सागर साहू कहते हैं कि धान खरीदी हो जाती तो उनकी दीपावली भी अच्छे से मन जाती. देरी ने दिवाली की रौनक फीकी कर दी है. किसान योगेंद्र का कहना है कि दिवाली का त्योहार आ रहा है, लेकिन उनके पास पर्व को मनाने के लिए पैसे नहीं हैं.
कर्ज चुकाने के लिए कम कीमत पर बेचा धान
किसान योगेंद्र सोनबेर ने ETV भारत से बताया कि धरसींवा और बलौदा बाजार में उनकी लगभग 40 एकड़ जमीन है, जिसमें उन्होंने धान की खेती की है. उन्होंने कहा कि आज सरकार गोबर की खरीदी कर रही है, लेकिन किसानों से धान खरीदने में हीला हवाली कर रही है. इसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. योगेंद्र ने बताया कि खुद कुछ देनदारी चुकाने के लिए 1400 रुपये क्विंटल हाल ही में धान व्यापारी को बेचा है. जबकि सरकार 2500 रुपये क्विंटल खरीदने की बात कर रही है. सोनबेर का कहना है कि भले ही सरकार धान का पैसा दिसंबर में दे लेकिन धान की खरीदी अभी से शुरू कर दे, जिससे किसानों को धान रखने और उसकी देख-रेख करने में परेशानी न हो.
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पैसे नहीं थे तो कम कीमत पर बेचा धान
नया रायपुर परसोदा के किसान रूपनलाल ने बताया कि उनके संयुक्त परिवार में 50 एकड़ जमीन है. प्रति एकड़ में लगभग 25 क्विंटल धान होता है. धान खरीदी देरी से होने की वजह से पैसे की कमी हो रही है, जिसकी वजह से वे कम कीमत पर साहूकारों को धान बेचने को मजबूर हैं.
धान के भंडारण और बोरी की समस्या
रायपुर के भिलाई के रहने वाले पारसनाथ साहू ने बताया कि प्रदेश में धान कटाई शुरू हो गई है, लेकिन सरकार धान खरीदी के लिए निर्णय देरी से लिया है, जिस कारण से किसानों को धान के भंडारण और बोरी की समस्या आएगी. पारसनाथ से कहा कि यदि एक नंबर सरकार धान नहीं खरीद सकी है, तो कोई बात नहीं लेकिन फिर भी जितना जल्दी हो सके धान खरीदी शुरू कर दे. किसानों को नहीं तो प्रति क्विंटल 100 रुपये का नुकसान होना तय है. पारसनाथ ने प्रति एकड़ लगभग 20 क्विंटल के आसपास धान की पैदावार की है. 15 क्विंटल सरकार को बेचने के बाद बचा हुआ धान खुले बाजार में बेचते हैं. जिसका उन्हें उचित दाम नहीं मिलता है.
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फसल की सुरक्षा और चोरी की चिंता
इसके बाद किसान उसकी रखवाली कर रहे हैं. सरकार ने 1 दिसंबर से धान खरीदी का निर्णय लिया है. ऐसे में किसानों के सामने 1 महीने धान कहां रखें यह समस्या उत्पन्न हो गई है. पिछले साल भी धान खरीदी के दौरान किसान काफी परेशान थे. इस साल भी धान खरीदी में देरी हो रही है. 1 दिसंबर आने में 1 महीने का समय है. उसके बाद किसका नंबर आएगा किसको टोकन और कब मिलेगा यह समस्या होगी.
बेमेतरा के किसान रमेश साहू ने ETV भारत से बताया कि फसल की कटाई हो गई है. कभी-कभार बेमौसम बारिश हो रही जिस कारण से धान खराब हो रहा है. इस कारण से नवंबर में ही सरकार को धान की खरीदी करना चाहिए. तभी किसानों को राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि धान की कटाई के बाद किसान धान को कहां रखें यह चिंता सता रही है. पहले कोरोना के कारण किसान पहले ही परेशान हैं. अब सरकार देरी से धान की खरीदी कर रही है, जिसके कारण किसान आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गया है.
रात भर करते हैं फसल की सुरक्षा
महासमुंद के किसान प्रेमू विश्वकर्मा ने बताया कि उनके पास लगभग ढाई एकड़ खेत है, जिसमें धान की खेती की गई है. इसमें से लगभग 2 एकड़ की धान की कटाई की जा चुकी है. इसे रखने के लिए उनके पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. प्रेम विश्वकर्मा ने बताया कि धान कटने के बाद खेत में रखा हुआ है. उसकी रखवाली करनी पड़ रही है. खेत में ही दिन-रात रहना पड़ता है. अगर खलिहान में नहीं रहते हैं, तो धान चोरी होने का डर रहता है. 1 नवंबर से ना सही 15 नवंबर से भी खरीदी हो जाएगी, तो भी किसानों को बड़ी राहत मिल जाएगी.
नमी कराएगी नुकसान
नमी कम होने की वजह से भी किसानों को नुकसान होगा. आज धान में लगभग 16-17 पर्सेंट नमी है. एक महीने बाद धान सूखने पर यह नामी लगभग 12 -13 प्रतिशत रह जाएगी, जिससे उन्हें प्रति क्विंटल 2-3 किलो का नुकसान उठाना पड़ेगा.
किसानों की तकलीफ समझने वाला नहीं है कोई
महासमुंद के किसान जुगनू चंद्राकर उनका कहना है कि आज उनकी तकलीफ समझने वाला कोई नहीं है. 1 दिसंबर से धान खरीदी होगी इस तरह से हमें एक महीना धान खेत में रखना ही पड़ेगा. इसके बाद टोकन जिस तारीख का मिलेगा, उस दिन तक अतिरिक्त समय लगेगा. इस कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. जुगनू ने कृषि मंत्री से मांग की है कि सरकार नवंबर में धान खरीदी शुरू कर दे, जिससे हम अपना धान बेचकर दिवाली त्योहार मना सके. साथ ही मजदूरों को पैसा दे सके. इसके अलावा जिन साहूकारों से फसल के लिए कर्ज लिया था, उन्हें भी भुगतान कर सके है.
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ये भी दर्द कम नहीं-
- खेती के लिए कर्ज चुकाने में किसान असमर्थ, साहूकार पैसा देने बना रहे दबाव.
- खेती लिए आए उपकरणों के किराए के भुगतान के लिए नहीं है राशि.
- धान कटाई करने वाले मजदूरों को भी नहीं कर पा रहे भुगतान.
- खलिहान में रखे धान पर हाथियों का भी मंडरा रहा है खतरा.
- रबी की फसल लेने के समय किसान काटते नजर आएंगे मंडियों के चक्कर
किसानों के सुझाव और मांग - एक नवंबर से न सही 15 नवंबर से धान खरीदी की जाए.
- सरकार अभी धान खरीद कर दिसंबर में करे भुगतान.
पिछले साल भी धान खरीदी में देरी की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था. इस बार किसानों के साथ-साथ विपक्ष भी नवंबर में धान खरीदी चाहता था लेकिन सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदी का फैसला लिया है, जिससे अन्नदाता निराश हैं. किसान तो ये भी कह रहे हैं कि भले एक नवंबर न सही सरकार 15 नवंबर से ही धान खरीद ले चाहे भुगतान बाद में करे. देखते हैं किसानों की उम्मीदों पर सरकार क्या फैसला लेती है.