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छत्तीसगढ़ के किसानों ने लगाया सिंघू बॉर्डर पर टेंट - farmers chhattisgarh protest

छत्तीसगढ़ के किसानों ने सिंघू बार्डर पर टेंट लगाकर केंद्र सरकार के कृषि कानून का विरोध किया. कृषि कानून के विरोध में छत्तीसगढ़ के किसानों का एक जत्था किसान आंदोलन के समर्थन में 7 जनवरी से दिल्ली में है

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किसान रैली
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Published : Feb 14, 2021, 8:32 PM IST

रायपुर : कृषि कानून के विरोध में छत्तीसगढ़ के किसानों का एक जत्था किसान आंदोलन के समर्थन में 7 जनवरी से दिल्ली में है. जिन्होंने 26 जनवरी के ट्रेक्टर परेड में हिस्सा लिया था. छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, ज्ञानी बलजिंदर सिंह, प्रेमदास के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के किसानों का जत्था सिंघू बॉर्डर पहुंचा. वहां पहुंचकर वे छत्तीसगढ का टेंट लगाकर विरोध प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं.

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने बताया कि कृषि आंदोलन को लेकर तमाम तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है. लेकिन यह आंदोलन केवल किसानों का ही नहीं बल्कि आम जनता का आंदोलन बन चुका है.

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छत्तीसगढ़ के किसान शामिल

इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ के किसान शामिल हैं. वे केवल अपने राज्य तक ही सीमित न होकर बल्कि देश व्यापी आंदोलन में भी शामिल हैं. यह सिंघू बार्डर में छत्तीसगढ़ के टेंट स्थापित हो गए हैं. इसलिए मोदी सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़कर तीनों कृषि कानून वापस लेते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून पारित करें. 26 जनवरी को निर्दोष किसानों पर दर्ज प्रकरण निःशर्त वापस ले.

रायपुर : कृषि कानून के विरोध में छत्तीसगढ़ के किसानों का एक जत्था किसान आंदोलन के समर्थन में 7 जनवरी से दिल्ली में है. जिन्होंने 26 जनवरी के ट्रेक्टर परेड में हिस्सा लिया था. छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, ज्ञानी बलजिंदर सिंह, प्रेमदास के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के किसानों का जत्था सिंघू बॉर्डर पहुंचा. वहां पहुंचकर वे छत्तीसगढ का टेंट लगाकर विरोध प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं.

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने बताया कि कृषि आंदोलन को लेकर तमाम तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है. लेकिन यह आंदोलन केवल किसानों का ही नहीं बल्कि आम जनता का आंदोलन बन चुका है.

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छत्तीसगढ़ के किसान शामिल

इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ के किसान शामिल हैं. वे केवल अपने राज्य तक ही सीमित न होकर बल्कि देश व्यापी आंदोलन में भी शामिल हैं. यह सिंघू बार्डर में छत्तीसगढ़ के टेंट स्थापित हो गए हैं. इसलिए मोदी सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़कर तीनों कृषि कानून वापस लेते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून पारित करें. 26 जनवरी को निर्दोष किसानों पर दर्ज प्रकरण निःशर्त वापस ले.

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