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छत्तीसगढ़ के किसान कर रहे सुपरफूड मखाने की खेती, धान से ज्यादा होता है मुनाफा

कोरोना काल में लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हुए हैं. ऐसे में पौष्टिक खाने और प्रोटीन युक्त खाने की डिमांड (Protein rich food demand) बढ़ी है. अब किसान भी ऐसे सुपरफूड की खेती कर रहे हैं.

farming of Makhana
छत्तीसगढ़ में मखाने की खेती
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Published : Jun 22, 2021, 10:03 PM IST

रायपुर: कोरोना महामारी के दौर में हर व्यक्ति अपनी इम्युनिटी और अच्छे स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के भी प्रगतिशील किसान अब सुपर फूड और हाई न्यूट्रीशियन फूड की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. रायपुर से लगे लिंगाडीह गांव में किसान ने अपने 25 से 30 एकड़ खेत में मखाना की खेती शुरू कर दी है. धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में मखाना की खेती (fox nuts farming) से किसानों को बेहद फायदा हो रहा है. मखाना, हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. डॉक्टरों का भी मानना है कि विटामिन और फाइबर से भरपूर मखाने का सेवन न केवल इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कारगर होता है, बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में भी मदद करता है.

मखाने की खेती से मालामाल

कोरोना काल में जिस तरह से लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हुए हैं, इसके चलते सुपरफूड और स्वास्थ्य से भरपूर चीजों की डिमांड भी खूब बढ़ी है. यही वजह है कि अब छत्तीसगढ़ के किसान भी इन सुपर न्यूट्रीशिंयस फूड से भरपूर चीजों की खेती किसानी को लेकर आगे बढे हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे लिंगाडीह गांव में एक प्रगतिशील किसान ने 25 से 30 एकड़ खेत में मखाना की खेती कर रखी है. छत्तीसगढ़ में एकमात्र किसान गजेंद्र चंद्राकर हैं जो इतनी बड़ी जगह पर मखाने की खेती (Makhana Farming) कर रहे हैं. वो न केवल खुद खेती कर रहे हैं, बल्कि आसपास के जिलों के भी किसानों को मखाने की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं. वे बताते हैं कि धान की खेती करने वाले किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि करने के लिए मखाना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. कोरोनाकाल में वैसे भी सुपरफूड मखाना की विश्व स्तर पर मांग बढ़ी है. औषधीय गुणों से भरपूर मखाना इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि कुपोषण दूर करने के लिए भी सबसे कारगर माना जाता है.

धान के मुकाबले डिमांड ज्यादा

प्रगतिशील किसान गजेंद्र चंद्राकर बताते हैं कि वैकल्पिक खेती के लिए छत्तीसगढ़ में बहुत से काम यहां चल रहे हैं. हाइटेक हॉर्टिकल्चर पर भी काम चल रहा है. धान के बाद यानी जहां 6 महीने से 8 महीने तक नमी रहती है, ऐसे में कोई प्रॉफिटेबल क्रॉप सब्सीट्यूट के रूप में अल्टरनेटिव फार्मिंग के रूप में नहीं उपजाया जा रहा था. आप देखेंगे कि यहां पर 25 से 30 एकड़ वॉटर एरिया में मखाना की खेती (fox nuts farming in water area) की जा रही है. ये फसल न्यूट्रिशन रिच फूड है. इसकी विश्व स्तर पर काफी अच्छी मांग है. सबसे बड़ी बात है कि धान के मुकाबले इसको न तो ज्यादा बारिश से नुकसान है और न ही जानवरों से. क्योंकि ये पानी के भीतर तालाबनुमा पोखर में होता है.

इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर

कोरोना के दौर में इम्युनिटी बूस्ट अप (Immunity boost during corona pedamic) के लिए लोग जिस तरह का ड्राई फ्रूट्स और अन्य चीजों को लेकर पैसा खर्च कर रहे हैं, ऐसे में मखाना एक बेहतर विकल्प है. इसके बहुत सारे मेडिसिनल उपयोग भी हैं. डायबिटीज के लिए भी काफी फायदेमंद है. जो हार्ट पेशेंट के लिए भी काफी अच्छा होता है. इसमें कैल्शियम है, मैग्निशियम है, आयरन है, जिंक है. मखाना को सुपर फूड की कैटेगरी में रखा गया है.

कोरोना काल में रायपुर के लोगों ने सॉफ्ट ड्रिंक के बजाय फ्रूट जूस को चुना, बढ़ी मांग

मखाने की खेती में कई गुना ज्यादा फायदा

किसान साल में एक बार ही धान की खेती पर निर्भर होते हैं. यही नहीं जब किसानों को अपना धान बेचना होता है तब सरकार पर आश्रित रहना पड़ता है. ज्यादातर किसान खरीफ की फसल के लिए धान की फसल पर आश्रित हैं. चाहे बोनस मिले या फिर सरकार की ओर से समर्थन मूल्य मिले. ऐसे में धान के उत्पादन में जितना संघर्ष करना होता है इससे ज्यादा संघर्ष धान बेचने के लिए करना पड़ता है. ग्रीष्मकालीन धान का कोई सपोर्ट प्राइस भी नहीं मिलता है. प्रति एकड़ का किसानों को 20 हजार से 25 हजार बच जाए तो बहुत बड़ी बात है. ऐसे खेतों में यदि मखाने की फसल को लगाया जाए तो धान की तुलना में मार्केट तलाशने की आवश्यकता नहीं है.

1 लाख का हो सकता है मुनाफा

गजेंद्र चंद्राकर बताते धान की तुलना में खेतों में दो या तीन फीट तक पानी भरकर मखाने की खेती सरलतापूर्वक की जा सकती है. मखाने की खेती में करीब 6 महीने का समय लगता है. 1 एकड़ में करीब 10 से 15 क्विंटल तक उत्पादन होता है. इसके बीज की कीमत 80 से 100 रुपये पर प्रति किलो होती है. इस लिहाज से 1 एकड़ में 80 हजार से 1 लाख रुपये तक 6 महीने में आराम से कमाई हो सकती है.

प्रोटीन का बेहद अच्छा सोर्स

डाइटीशियन डॉ. सारिका श्रीवास्तव कहती हैं कि, ये बहुत अच्छी खबर है कि छत्तीसगढ़ में मखाने की खेती हो रही है. मखाना यहां आसानी से नहीं मिल पाता था. आम लोगों की पहुंच से बाहर भी था. मखाना बेहद फायदेमंद होता है. इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत अच्छी होती है. इसमें प्रोटीन बहुत पाया जाता है. फाइबर बहुतायत मात्रा में पाया जाता है. कोविड काल में प्रोटीन खाने में बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है. ऐसे में मखाना प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये काफी फायदेमंद है.

मखाने के फायदे:

  • मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.
  • डायबिटीज के रोगी भी इसका सेवन कर सकते हैं. मखाना कैल्शियम से भरपूर होता है. इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेषकर आर्थराइटिस के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है.
  • मखाने के सेवन से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है. रात को सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या भी दूर हो जाती है.
  • मखाने का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है.
  • मखाना शरीर के अंग को सुन्न होने से बचाता है और घुटनों, कमर दर्द को पैदा होने से रोकता है.
  • मखाने में जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, मिनरल और फास्फोरस आदि पोषक तत्व होते हैं. वे पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद माने गए हैं.

रायपुर: कोरोना महामारी के दौर में हर व्यक्ति अपनी इम्युनिटी और अच्छे स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के भी प्रगतिशील किसान अब सुपर फूड और हाई न्यूट्रीशियन फूड की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. रायपुर से लगे लिंगाडीह गांव में किसान ने अपने 25 से 30 एकड़ खेत में मखाना की खेती शुरू कर दी है. धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में मखाना की खेती (fox nuts farming) से किसानों को बेहद फायदा हो रहा है. मखाना, हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. डॉक्टरों का भी मानना है कि विटामिन और फाइबर से भरपूर मखाने का सेवन न केवल इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कारगर होता है, बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में भी मदद करता है.

मखाने की खेती से मालामाल

कोरोना काल में जिस तरह से लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हुए हैं, इसके चलते सुपरफूड और स्वास्थ्य से भरपूर चीजों की डिमांड भी खूब बढ़ी है. यही वजह है कि अब छत्तीसगढ़ के किसान भी इन सुपर न्यूट्रीशिंयस फूड से भरपूर चीजों की खेती किसानी को लेकर आगे बढे हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे लिंगाडीह गांव में एक प्रगतिशील किसान ने 25 से 30 एकड़ खेत में मखाना की खेती कर रखी है. छत्तीसगढ़ में एकमात्र किसान गजेंद्र चंद्राकर हैं जो इतनी बड़ी जगह पर मखाने की खेती (Makhana Farming) कर रहे हैं. वो न केवल खुद खेती कर रहे हैं, बल्कि आसपास के जिलों के भी किसानों को मखाने की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं. वे बताते हैं कि धान की खेती करने वाले किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि करने के लिए मखाना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. कोरोनाकाल में वैसे भी सुपरफूड मखाना की विश्व स्तर पर मांग बढ़ी है. औषधीय गुणों से भरपूर मखाना इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि कुपोषण दूर करने के लिए भी सबसे कारगर माना जाता है.

धान के मुकाबले डिमांड ज्यादा

प्रगतिशील किसान गजेंद्र चंद्राकर बताते हैं कि वैकल्पिक खेती के लिए छत्तीसगढ़ में बहुत से काम यहां चल रहे हैं. हाइटेक हॉर्टिकल्चर पर भी काम चल रहा है. धान के बाद यानी जहां 6 महीने से 8 महीने तक नमी रहती है, ऐसे में कोई प्रॉफिटेबल क्रॉप सब्सीट्यूट के रूप में अल्टरनेटिव फार्मिंग के रूप में नहीं उपजाया जा रहा था. आप देखेंगे कि यहां पर 25 से 30 एकड़ वॉटर एरिया में मखाना की खेती (fox nuts farming in water area) की जा रही है. ये फसल न्यूट्रिशन रिच फूड है. इसकी विश्व स्तर पर काफी अच्छी मांग है. सबसे बड़ी बात है कि धान के मुकाबले इसको न तो ज्यादा बारिश से नुकसान है और न ही जानवरों से. क्योंकि ये पानी के भीतर तालाबनुमा पोखर में होता है.

इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर

कोरोना के दौर में इम्युनिटी बूस्ट अप (Immunity boost during corona pedamic) के लिए लोग जिस तरह का ड्राई फ्रूट्स और अन्य चीजों को लेकर पैसा खर्च कर रहे हैं, ऐसे में मखाना एक बेहतर विकल्प है. इसके बहुत सारे मेडिसिनल उपयोग भी हैं. डायबिटीज के लिए भी काफी फायदेमंद है. जो हार्ट पेशेंट के लिए भी काफी अच्छा होता है. इसमें कैल्शियम है, मैग्निशियम है, आयरन है, जिंक है. मखाना को सुपर फूड की कैटेगरी में रखा गया है.

कोरोना काल में रायपुर के लोगों ने सॉफ्ट ड्रिंक के बजाय फ्रूट जूस को चुना, बढ़ी मांग

मखाने की खेती में कई गुना ज्यादा फायदा

किसान साल में एक बार ही धान की खेती पर निर्भर होते हैं. यही नहीं जब किसानों को अपना धान बेचना होता है तब सरकार पर आश्रित रहना पड़ता है. ज्यादातर किसान खरीफ की फसल के लिए धान की फसल पर आश्रित हैं. चाहे बोनस मिले या फिर सरकार की ओर से समर्थन मूल्य मिले. ऐसे में धान के उत्पादन में जितना संघर्ष करना होता है इससे ज्यादा संघर्ष धान बेचने के लिए करना पड़ता है. ग्रीष्मकालीन धान का कोई सपोर्ट प्राइस भी नहीं मिलता है. प्रति एकड़ का किसानों को 20 हजार से 25 हजार बच जाए तो बहुत बड़ी बात है. ऐसे खेतों में यदि मखाने की फसल को लगाया जाए तो धान की तुलना में मार्केट तलाशने की आवश्यकता नहीं है.

1 लाख का हो सकता है मुनाफा

गजेंद्र चंद्राकर बताते धान की तुलना में खेतों में दो या तीन फीट तक पानी भरकर मखाने की खेती सरलतापूर्वक की जा सकती है. मखाने की खेती में करीब 6 महीने का समय लगता है. 1 एकड़ में करीब 10 से 15 क्विंटल तक उत्पादन होता है. इसके बीज की कीमत 80 से 100 रुपये पर प्रति किलो होती है. इस लिहाज से 1 एकड़ में 80 हजार से 1 लाख रुपये तक 6 महीने में आराम से कमाई हो सकती है.

प्रोटीन का बेहद अच्छा सोर्स

डाइटीशियन डॉ. सारिका श्रीवास्तव कहती हैं कि, ये बहुत अच्छी खबर है कि छत्तीसगढ़ में मखाने की खेती हो रही है. मखाना यहां आसानी से नहीं मिल पाता था. आम लोगों की पहुंच से बाहर भी था. मखाना बेहद फायदेमंद होता है. इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत अच्छी होती है. इसमें प्रोटीन बहुत पाया जाता है. फाइबर बहुतायत मात्रा में पाया जाता है. कोविड काल में प्रोटीन खाने में बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है. ऐसे में मखाना प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये काफी फायदेमंद है.

मखाने के फायदे:

  • मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.
  • डायबिटीज के रोगी भी इसका सेवन कर सकते हैं. मखाना कैल्शियम से भरपूर होता है. इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेषकर आर्थराइटिस के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है.
  • मखाने के सेवन से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है. रात को सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या भी दूर हो जाती है.
  • मखाने का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है.
  • मखाना शरीर के अंग को सुन्न होने से बचाता है और घुटनों, कमर दर्द को पैदा होने से रोकता है.
  • मखाने में जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, मिनरल और फास्फोरस आदि पोषक तत्व होते हैं. वे पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद माने गए हैं.
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