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छत्तीसगढ़ की सोसायटियों में खाद-बीज की किल्लत से किसान हो रहे परेशान

मानसून और बारिश के आगमन के साथ ही किसान खेत में जुटने लगे हैं. लेकिन किसानों को सोसायटी से खाद-बीज और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है. (farmers getting upset) दरअसल सोसायटियों की ओर खरीफ वर्ष के लिए किसानों को खाद और बीज न्यूनतम दाम पर उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन फिलहाल सोसायटियां खाद-बीज की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं हो पा रही हैं. (Fertilizer seed shortage) ETV भारत ने इसे लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया है. (Kharif Season in Chhattisgarh)

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खाद-बीज की किल्लत से किसान हो रहे परेशान
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Published : Jul 1, 2021, 10:51 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन में फसल की तैयारी शुरू कर दी गई है. किसान खेती के कामों में जुट गए हैं. मानसून के आगमन के साथ ही हर साल छत्तीसगढ़ में किसान खेती के लिए खेतों की ओर दिखने लगते हैं. सरकार की ओर से किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से खाद, बीज और लोन की सुविधा दी जाती है.(Fertilizer seed shortage) कोरोना काल और लॉकडाउन के बावजूद किसान बीते सालों के मुकाबले दोगुनी तेजी के साथ फसल की तैयारी में लगे हैं. लेकिन खरीफ की खेती के सीजन शुरू होने के साथ ही किसानों के सामने कई खाद-बीज की समस्या भी शुरू हो चुकी है.

छत्तीसगढ़ की सोसायटियों में खाद-बीज की किल्लत से किसान हो रहे परेशान

मानसून और बारिश के आगमन के साथ ही किसान खेत में जुटने लगे हैं. लेकिन किसानों को सोसायटी से खाद-बीज और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है. दरअसल सोसायटियों की ओर खरीफ वर्ष के लिए किसानों को खाद और बीज न्यूनतम दाम पर उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन फिलहाल सोसायटियां खाद-बीज की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं हो पा रही हैं. ETV भारत ने इसे लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया है.(Kharif Season in Chhattisgarh)

कवर्धा में किसानों का हल्ला बोल, खाद और बीज नहीं मिलने से नाराज किसानों ने किया कलेक्टर का घेराव

किसानों को खाद-बीज नहीं मिलने की शिकायत

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में खेती का काम तेजी के साथ शुरू हो चुका है. प्रदेश में किसान अपने खेतों में दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण देश के तमाम राज्यों से मजदूर और किसान प्रदेश वापस लौट चुके हैं. (farmers getting upset)किसानों को खरीफ फसल के लिए सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराती है. इसके साथ ही सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को खाद और बीज भी सोसाइटी ओर से उपलब्ध होता है.

बीते 2 महीनों से खाद बीज की सप्लाई तेजी से नहीं हो रही है. खेती का समय शुरू हो चुका है. किसान अपने खेतों में काम करने निकल चुके हैं. लेकिन खेत तैयार करने के साथ ही किसानों को बीज और खाद के पर्याप्त मात्रा की जरूरत है. सोसाइटी में किसानों को खाद-बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है. (societies chhattisgarh) जिस अनुपात में किसानों को उसकी जरूरत होती है उस अनुपात में उन्हें इसकी सप्लाई सोसाइटियों के माध्यम से नहीं मिल पा रही है. ऐसे में किसान मजबूरी में निजी बाजार से महंगे दामों में खाद-बीज लेने को मजबूर हो गए हैं. (Crop preparation in Kharif season)

खाद-बीज महंगे दाम में लेने को मजबूर किसान

किसानों का कहना है कि उनके साल भर की मेहनत का मुख्य समय खरीफ सीजन होता है. खेती का काम शुरू होने के साथ ही खाद-बीज और दवाई की जरूरत होती है. दवाई तो बाद में लगेगी लेकिन पहले खाद और बीज की ज्यादा जरूरत अभी है. यहां सहकारी समितियों में खाद-बीज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. निजी दुकानदार अधिक दाम में खाद-बीज बेच रहे हैं. हर साल इस तरह की दिक्कतें होती है. किसानों को सोसाइटियों में पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज नहीं मिल पाता है. किसान मजबूरी में बाजार से महंगे दाम में खाद-बीज लेता है.

मानसून की दस्तक को खाद और बीज के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. लेकिन इस समय सोसाइटी में खाद-बीज की कमी होती है. इससे किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि प्रदेशभर के सभी सोसाइटी में खाद बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराएं. ताकि किसानों से हो रही लूट को रोका जा सके.

बलरामपुर में खाद की समस्या से जूझ रहे किसान, संसदीय सचिव ने लिया जायजा

अमानक खाद-बीज की बिक्री बड़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी जागेश्वर प्रसाद कहते हैं कि खाद-बीज के मुद्दे पर केंद्र सरकार भी सौतेला व्यवहार कर रही है. भाजपा शासित राज्य में ज्यादा परसेंटेज में खाद भेज रही है. कांग्रेस शासित राज्यों में कम खाद भेज रही है. खाद-बीज को लेकर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) लगातार निगरानी रखने के निर्देश दे रहे हैं. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी और कमीशनखोरी के कारण निगरानी ठीक से नहीं हो रही. इससे किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में खाद-बीज की कालाबाजारी भी बढ़ रही है. अमानक खाद-बीच को खपाने का काम धड़ल्ले से जारी है. इससे किसानों को दोहरी मार पड़ रही है. अधिक दाम के बावजूद अमानक खाद-बीज को खपाया जा रहा है.

खाद-बीज भंडारण का दावा

सहकारी सोसायटियों में खाद-बीज की उपलब्धता का जिम्मा संभालने वाली संस्था जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारी से ETV भारत ने बात की है. खाद-बीज को लेकर उनके अपने दावे भी हैं. वे कहते हैं कि अप्रैल में कोविड की वजह से सभी जिलों में भी लॉकडाउन था. परिवहन का कार्य नहीं हो पाया. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में शिथिलता दी गई, धान के परिवहन और खाद-बीज के परिवहन किया जा रहा है. इस दौरान वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से टारगेट के आधार पर भंडारण किया जा रहा है.

खाद बीज भंडारण एक नजर में

जिला केंद्रखाद का लक्ष्य
रायपुर 13941650
गरियाबंद 7522300
बलौदाबाजार196 53600
महासमुंद 13448400
धमतरी 9526700

प्रदेशभर के ज्यादातर किसान सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण लेकर खेती करते हैं. किसान समितियों पर ही खाद-बीज, उर्वरक और खेती किसानी के ऋण के लिए आश्रित होते हैं. समिति प्रबंधकों का भी मानना है कि खेती किसानी के लिए आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह के बाद ही किसानों का जमावड़ा होता रहा है. लेकिन इस बार कोविड के चलते ज्यादातर किसान जून बीतने के पहले ही बड़े पैमाने पर पहुंचने लगे हैं. यही वजह है कि तमाम समितियों में किसान बड़ी संख्या में खाद-बीज और उर्वरक लेने पहुंच रहे हैं.

बेमेतरा के सहकारी समिति में सोयाबीन बीज के आभाव में कैसे बढ़ेगा दलहन तिलहन का रकबा?

बड़ी उम्मीदों के साथ एक बार फिर से किसानों ने खेती का काम शुरू कर दिया है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते पहले ही तमाम परेशानियों से जूझ रहे किसानों को अब इस खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीद है. हालांकि बीते साल से लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के चलते किसानों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा है.उम्मीद के साथ एक बार फिर से किसान खेतों में हल चलाते दिख रहे हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन में फसल की तैयारी शुरू कर दी गई है. किसान खेती के कामों में जुट गए हैं. मानसून के आगमन के साथ ही हर साल छत्तीसगढ़ में किसान खेती के लिए खेतों की ओर दिखने लगते हैं. सरकार की ओर से किसानों को सहकारी समितियों के माध्यम से खाद, बीज और लोन की सुविधा दी जाती है.(Fertilizer seed shortage) कोरोना काल और लॉकडाउन के बावजूद किसान बीते सालों के मुकाबले दोगुनी तेजी के साथ फसल की तैयारी में लगे हैं. लेकिन खरीफ की खेती के सीजन शुरू होने के साथ ही किसानों के सामने कई खाद-बीज की समस्या भी शुरू हो चुकी है.

छत्तीसगढ़ की सोसायटियों में खाद-बीज की किल्लत से किसान हो रहे परेशान

मानसून और बारिश के आगमन के साथ ही किसान खेत में जुटने लगे हैं. लेकिन किसानों को सोसायटी से खाद-बीज और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है. दरअसल सोसायटियों की ओर खरीफ वर्ष के लिए किसानों को खाद और बीज न्यूनतम दाम पर उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन फिलहाल सोसायटियां खाद-बीज की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं हो पा रही हैं. ETV भारत ने इसे लेकर एक रिपोर्ट तैयार किया है.(Kharif Season in Chhattisgarh)

कवर्धा में किसानों का हल्ला बोल, खाद और बीज नहीं मिलने से नाराज किसानों ने किया कलेक्टर का घेराव

किसानों को खाद-बीज नहीं मिलने की शिकायत

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में खेती का काम तेजी के साथ शुरू हो चुका है. प्रदेश में किसान अपने खेतों में दिन-रात पसीना बहा रहे हैं. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण देश के तमाम राज्यों से मजदूर और किसान प्रदेश वापस लौट चुके हैं. (farmers getting upset)किसानों को खरीफ फसल के लिए सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराती है. इसके साथ ही सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को खाद और बीज भी सोसाइटी ओर से उपलब्ध होता है.

बीते 2 महीनों से खाद बीज की सप्लाई तेजी से नहीं हो रही है. खेती का समय शुरू हो चुका है. किसान अपने खेतों में काम करने निकल चुके हैं. लेकिन खेत तैयार करने के साथ ही किसानों को बीज और खाद के पर्याप्त मात्रा की जरूरत है. सोसाइटी में किसानों को खाद-बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है. (societies chhattisgarh) जिस अनुपात में किसानों को उसकी जरूरत होती है उस अनुपात में उन्हें इसकी सप्लाई सोसाइटियों के माध्यम से नहीं मिल पा रही है. ऐसे में किसान मजबूरी में निजी बाजार से महंगे दामों में खाद-बीज लेने को मजबूर हो गए हैं. (Crop preparation in Kharif season)

खाद-बीज महंगे दाम में लेने को मजबूर किसान

किसानों का कहना है कि उनके साल भर की मेहनत का मुख्य समय खरीफ सीजन होता है. खेती का काम शुरू होने के साथ ही खाद-बीज और दवाई की जरूरत होती है. दवाई तो बाद में लगेगी लेकिन पहले खाद और बीज की ज्यादा जरूरत अभी है. यहां सहकारी समितियों में खाद-बीज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. निजी दुकानदार अधिक दाम में खाद-बीज बेच रहे हैं. हर साल इस तरह की दिक्कतें होती है. किसानों को सोसाइटियों में पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज नहीं मिल पाता है. किसान मजबूरी में बाजार से महंगे दाम में खाद-बीज लेता है.

मानसून की दस्तक को खाद और बीज के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. लेकिन इस समय सोसाइटी में खाद-बीज की कमी होती है. इससे किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि प्रदेशभर के सभी सोसाइटी में खाद बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराएं. ताकि किसानों से हो रही लूट को रोका जा सके.

बलरामपुर में खाद की समस्या से जूझ रहे किसान, संसदीय सचिव ने लिया जायजा

अमानक खाद-बीज की बिक्री बड़ी परेशानी

छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी जागेश्वर प्रसाद कहते हैं कि खाद-बीज के मुद्दे पर केंद्र सरकार भी सौतेला व्यवहार कर रही है. भाजपा शासित राज्य में ज्यादा परसेंटेज में खाद भेज रही है. कांग्रेस शासित राज्यों में कम खाद भेज रही है. खाद-बीज को लेकर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) लगातार निगरानी रखने के निर्देश दे रहे हैं. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी और कमीशनखोरी के कारण निगरानी ठीक से नहीं हो रही. इससे किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में खाद-बीज की कालाबाजारी भी बढ़ रही है. अमानक खाद-बीच को खपाने का काम धड़ल्ले से जारी है. इससे किसानों को दोहरी मार पड़ रही है. अधिक दाम के बावजूद अमानक खाद-बीज को खपाया जा रहा है.

खाद-बीज भंडारण का दावा

सहकारी सोसायटियों में खाद-बीज की उपलब्धता का जिम्मा संभालने वाली संस्था जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारी से ETV भारत ने बात की है. खाद-बीज को लेकर उनके अपने दावे भी हैं. वे कहते हैं कि अप्रैल में कोविड की वजह से सभी जिलों में भी लॉकडाउन था. परिवहन का कार्य नहीं हो पाया. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में शिथिलता दी गई, धान के परिवहन और खाद-बीज के परिवहन किया जा रहा है. इस दौरान वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से टारगेट के आधार पर भंडारण किया जा रहा है.

खाद बीज भंडारण एक नजर में

जिला केंद्रखाद का लक्ष्य
रायपुर 13941650
गरियाबंद 7522300
बलौदाबाजार196 53600
महासमुंद 13448400
धमतरी 9526700

प्रदेशभर के ज्यादातर किसान सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण लेकर खेती करते हैं. किसान समितियों पर ही खाद-बीज, उर्वरक और खेती किसानी के ऋण के लिए आश्रित होते हैं. समिति प्रबंधकों का भी मानना है कि खेती किसानी के लिए आमतौर पर जून के अंतिम सप्ताह के बाद ही किसानों का जमावड़ा होता रहा है. लेकिन इस बार कोविड के चलते ज्यादातर किसान जून बीतने के पहले ही बड़े पैमाने पर पहुंचने लगे हैं. यही वजह है कि तमाम समितियों में किसान बड़ी संख्या में खाद-बीज और उर्वरक लेने पहुंच रहे हैं.

बेमेतरा के सहकारी समिति में सोयाबीन बीज के आभाव में कैसे बढ़ेगा दलहन तिलहन का रकबा?

बड़ी उम्मीदों के साथ एक बार फिर से किसानों ने खेती का काम शुरू कर दिया है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते पहले ही तमाम परेशानियों से जूझ रहे किसानों को अब इस खरीफ सीजन से बड़ी उम्मीद है. हालांकि बीते साल से लगातार हो रही बारिश और ओलावृष्टि के चलते किसानों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ा है.उम्मीद के साथ एक बार फिर से किसान खेतों में हल चलाते दिख रहे हैं.

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