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छत्तीसगढ़ से रूठे बदरा, किसानों के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें

छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के कारण किसान परेशान हैं. मौसम विभाग ने इस बार अच्छी बारिश की संभावना जताई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मानसून ब्रेक से प्रदेश में और क्या प्रभाव पड़ेगा ये जानने के लिए पढ़ें ये स्पेशल रिपोर्ट.

मानसून ब्रेक से बिगड़े हालात.
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Published : Jul 17, 2019, 10:09 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के हालात से किसानों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. बुआई के समय बारिश न होने से परेशान किसान सिर पर हाथ धरे किस्मत को कोस रहे हैं. जिन किसानों ने धान का थहरा कर दिया है, उनकी नर्सरी भी पानी के अभाव में सूखती जा रही है. एक तरफ जहां किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि बारिश का ब्रेक अन्नदाताओं की मुश्किल बढ़ा सकता है.

monsoon break affecting farmers

देश के अधिकांश हिस्से भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की हालत इससे उलट हैं. यहां के किसान सूखे से जूझ रहे हैं. छत्तीसगढ़ में मानसून मानों थम सा गया है. प्रदेश में पिछले करीब 15 दिनों से बारिश नहीं होने के कारण सूखे जैसे हालात बन रहे हैं. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले कुछ दिन अभी बारिश होने के कोई आसार नहीं हैं. इससे पूरे इलाके में धान की फसल पर बुरा असर पड़ता नजर आ रहा है.

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो छत्तीसगढ़ में जिस तरह से पिछले कुछ सालों में लगातार इस तरह से मानसून में ट्रेंड आ रहा है यह खेती किसानी के लिए ठीक नहीं है. किसानों के सामने ये एक बड़ी समस्या के रूप में है. धान की फसल के लिए हालांकि कुछ समय और पानी नहीं गिरेगा तो संकट के हालात बन जाएंगे.

पूरे राज्य में से केवल दक्षिण छत्तीसगढ़ में ही अच्छी बारिश हुई है. राज्य के मध्य और उत्तरी इलाकों में स्थिति खराब है. इन क्षेत्रों के 13 जिलों की 41 तहसीलों में बारिश 40 से 50 फीसदी ही हो पाई है. आषाढ़ बीत जाने के बाद भी बारिश औसत के आंकड़े को नहीं छू पाई है.

छत्तीसगढ़ के कृषि मौसम विज्ञान के केंद्र के रीजनल डायरेक्टर डॉ डी के दास कहते हैं कि वर्षा आधारित अपलैंड की फसल जैसे दलहन, तिलहन में दिक्कत है. फिर भी वे इस बात पर खुलकर कुछ नहीं कह पाते कि मौसम विभाग ने इस बार अच्छे मानसून का भरोसा जताया था लेकिन हालात अब भी ऐसे नहीं बन पाए हैं.

कृषि विभाग के आंकड़ों में तो छत्तीसगढ़ मे कुल 56 लाख हेक्टेयर में खरीफ में 47 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. इसमें से कुल इस साल 36.50 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है. किसानों ने तैयारी अच्छी बारिश को लेकर तैयारियां भी की थी. लेकिन लगता है उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.

रायपुर : छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के हालात से किसानों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. बुआई के समय बारिश न होने से परेशान किसान सिर पर हाथ धरे किस्मत को कोस रहे हैं. जिन किसानों ने धान का थहरा कर दिया है, उनकी नर्सरी भी पानी के अभाव में सूखती जा रही है. एक तरफ जहां किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि बारिश का ब्रेक अन्नदाताओं की मुश्किल बढ़ा सकता है.

monsoon break affecting farmers

देश के अधिकांश हिस्से भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की हालत इससे उलट हैं. यहां के किसान सूखे से जूझ रहे हैं. छत्तीसगढ़ में मानसून मानों थम सा गया है. प्रदेश में पिछले करीब 15 दिनों से बारिश नहीं होने के कारण सूखे जैसे हालात बन रहे हैं. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले कुछ दिन अभी बारिश होने के कोई आसार नहीं हैं. इससे पूरे इलाके में धान की फसल पर बुरा असर पड़ता नजर आ रहा है.

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो छत्तीसगढ़ में जिस तरह से पिछले कुछ सालों में लगातार इस तरह से मानसून में ट्रेंड आ रहा है यह खेती किसानी के लिए ठीक नहीं है. किसानों के सामने ये एक बड़ी समस्या के रूप में है. धान की फसल के लिए हालांकि कुछ समय और पानी नहीं गिरेगा तो संकट के हालात बन जाएंगे.

पूरे राज्य में से केवल दक्षिण छत्तीसगढ़ में ही अच्छी बारिश हुई है. राज्य के मध्य और उत्तरी इलाकों में स्थिति खराब है. इन क्षेत्रों के 13 जिलों की 41 तहसीलों में बारिश 40 से 50 फीसदी ही हो पाई है. आषाढ़ बीत जाने के बाद भी बारिश औसत के आंकड़े को नहीं छू पाई है.

छत्तीसगढ़ के कृषि मौसम विज्ञान के केंद्र के रीजनल डायरेक्टर डॉ डी के दास कहते हैं कि वर्षा आधारित अपलैंड की फसल जैसे दलहन, तिलहन में दिक्कत है. फिर भी वे इस बात पर खुलकर कुछ नहीं कह पाते कि मौसम विभाग ने इस बार अच्छे मानसून का भरोसा जताया था लेकिन हालात अब भी ऐसे नहीं बन पाए हैं.

कृषि विभाग के आंकड़ों में तो छत्तीसगढ़ मे कुल 56 लाख हेक्टेयर में खरीफ में 47 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. इसमें से कुल इस साल 36.50 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है. किसानों ने तैयारी अच्छी बारिश को लेकर तैयारियां भी की थी. लेकिन लगता है उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.

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(खबर की फिड एफटीपी के जरिए गई है। फिड रूम में भी जानकारी दे दी है) जो टकले से है वो डीके दास है और दूसरे गजेंद्र चंद्राकर है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के हालात से किसानों की मुसीबतें बढ़ गई है। बोवाई के समय बारिश न होने से इलाके के किसान सिर पर हाथ धरे किस्मत को कोस रहे हैं। एक ओर जिन किसानों ने धान का थहरा कर दिया है, उनकी नर्सरी भी पानी के अभाव में सूखती जा रही है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे है लेकिन बारिश नहीं हो रही है। कृषि मौसम वैज्ञानिकों ने भी माना है कि बारिश के ऐसे ब्रेक से मुसीबतें बढ़ सकती है। Body:
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देश के अधिकांश हिस्से भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं, लेकिन  छत्तीसगढ़ की हालत इससे उल्ट हैं. यहां के किसान सूखे से जूझ रहे हैं. छत्तीसगढ़ में मानसून मानों थम सा गया है. प्रदेश में पिछले मक़रीब 15 दिनों
से बारिश नहीं होने के कारण 1सूखे जैसे हालात बन रहे है. इमौसम विज्ञानियों के अनुसार, अगले कुछ दिन अभी
बारिश होने के कोई आसार नहीं हैं. इससे पूरे इलाके में धान की फसल पर बुरा असर पड़ता नजर आ रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो छत्तीसगढ़ में जिस तरह से पिछले कुछ सालों में लगातार इस तरह से मानसून में ट्रेंड आ रहा है यह खेती किसानी के लिए ठीक नही है। किसानों के सामने ये एक बड़ी समस्या के रूप में है। धान की फसल के लिए हालांकि कुछ समय और पानी नही गिरेगा तो संकट के हालात बन जाएंगे ।

बाईट- गजेंद्र चंद्राकर, कृषि वैज्ञानिक

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पूरे राज्य में से केवल दक्षिण छत्तीसगढ़ में ही अच्छी बारिश हुई है. राज्य के मध्य और उत्तरी इलाकों में स्थिति खराब है.इन क्षेत्रों के 13 जिलों की 41 तहसीलों में बारिश 40 से 50 फीसदी ही हो पाई है. आषाढ़ बीत जाने के ब
बाद भी बारिश औसत के आंकड़े को नहीं छू पाई है. छत्तीसगढ़ के कृषि मौसम विज्ञान के केंद्र के रीजनल डायरेक्टर डॉ डी के दास कहते है कि वर्षा आधारित अपलैंड की फसल जैसे दलहन, तिलहन में दिक्कत है। फिर भी वे इस बात पर खुलकर कुछ नही कह पाते कि मौसम विभाग ने इस बार अच्छे मानसून का भरोसा जताया था लेकिन हालात अब भी ऐसे नही बन पाए है।

बाईट- डॉ डी के दास, रीजनल डायरेक्टर, कृषि मौसम विभाग


Conclusion:फाइनल वीओ

कृषि विभाग के आंकड़ो में तो छत्तीसगढ़ मे कुल 56 लाख हेक्टेयर में खरीफ में 47 लाख हेक्टेयर में खेती होती है। इसमे से कुल इस साल 36.50 लाख हेक्टेयर में धान बोया जाता है। किसानों ने तैयारी अच्छी बारिश को लेकर तैयारियां भी की थी. पर कम बारिश से अब किसानों के सामने दिक्कतें बढ़ रही है।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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