रायपुर : छत्तीसगढ़ में मानसून ब्रेक के हालात से किसानों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. बुआई के समय बारिश न होने से परेशान किसान सिर पर हाथ धरे किस्मत को कोस रहे हैं. जिन किसानों ने धान का थहरा कर दिया है, उनकी नर्सरी भी पानी के अभाव में सूखती जा रही है. एक तरफ जहां किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि बारिश का ब्रेक अन्नदाताओं की मुश्किल बढ़ा सकता है.
देश के अधिकांश हिस्से भारी बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की हालत इससे उलट हैं. यहां के किसान सूखे से जूझ रहे हैं. छत्तीसगढ़ में मानसून मानों थम सा गया है. प्रदेश में पिछले करीब 15 दिनों से बारिश नहीं होने के कारण सूखे जैसे हालात बन रहे हैं. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले कुछ दिन अभी बारिश होने के कोई आसार नहीं हैं. इससे पूरे इलाके में धान की फसल पर बुरा असर पड़ता नजर आ रहा है.
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो छत्तीसगढ़ में जिस तरह से पिछले कुछ सालों में लगातार इस तरह से मानसून में ट्रेंड आ रहा है यह खेती किसानी के लिए ठीक नहीं है. किसानों के सामने ये एक बड़ी समस्या के रूप में है. धान की फसल के लिए हालांकि कुछ समय और पानी नहीं गिरेगा तो संकट के हालात बन जाएंगे.
पूरे राज्य में से केवल दक्षिण छत्तीसगढ़ में ही अच्छी बारिश हुई है. राज्य के मध्य और उत्तरी इलाकों में स्थिति खराब है. इन क्षेत्रों के 13 जिलों की 41 तहसीलों में बारिश 40 से 50 फीसदी ही हो पाई है. आषाढ़ बीत जाने के बाद भी बारिश औसत के आंकड़े को नहीं छू पाई है.
छत्तीसगढ़ के कृषि मौसम विज्ञान के केंद्र के रीजनल डायरेक्टर डॉ डी के दास कहते हैं कि वर्षा आधारित अपलैंड की फसल जैसे दलहन, तिलहन में दिक्कत है. फिर भी वे इस बात पर खुलकर कुछ नहीं कह पाते कि मौसम विभाग ने इस बार अच्छे मानसून का भरोसा जताया था लेकिन हालात अब भी ऐसे नहीं बन पाए हैं.
कृषि विभाग के आंकड़ों में तो छत्तीसगढ़ मे कुल 56 लाख हेक्टेयर में खरीफ में 47 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. इसमें से कुल इस साल 36.50 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है. किसानों ने तैयारी अच्छी बारिश को लेकर तैयारियां भी की थी. लेकिन लगता है उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.