रायपुर: छत्तीसगढ़ किसान सभा ने पैरा (पराली) जलाने पर प्रशासन की ओर से किसानों पर जुर्माना लगाए जाने का विरोध किया है. राज्य सरकार के इस रवैये को किसान विरोधी करार देते हुए इसकी निंदा की गई है. गरियाबंद जिले के किसानों पर पराली जलाने के आरोप में प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम एनजीटी के प्रावधानों के तहत 3 से 5 हजार रुपये जुर्माना वसूला जा रहा है.
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने कहा है कि, यह जुर्माना किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार और प्रशासन की असंवेदनशीलता का परिचायक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब अधिकांश कटाई मशीनों से हो रही है और उपयुक्त मशीनों के अभाव में किसानों के पास पराली जलाने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं बचता. राज्य सरकार गौठनों में पराली दान करने के जिस विकल्प की बात कर रही है. वह भी तभी कारगर होगा, जब गौठनों तक पराली की ढुलाई की व्यवस्था पंचायत या सरकार करे.
उद्योगों की वजह से प्रदूषण
किसान सभा के नेताओं ने कहा कि, 'प्रदूषण निवारण कानून और एनजीटी के प्रावधानों को किसानों पर लागू करने के बजाए सरकार उद्योगों और उद्योगपतियों पर लागू करे, तो प्रदेश की जनता का भला होगा. सभी जानते हैं कि उद्योगों की वजह से प्रदूषण फैल रहा है. इसके बावजूद इस प्रदूषण के प्रति सरकार और प्रशासन ने न केवल आंखें मूंद रखी है. किसानों पर जुर्माना लगाने वाला यही प्रशासन एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए बीच बस्तियों में कचरा डंपिंग कर रहा है और प्रदूषण फैला रहा है.
संकट से गुजर रहा कृषि
किसान नेताओं ने कहा कि, 'प्रदेश के किसान और कृषि क्षेत्र संकट से गुजर रहा है और खेती-किसानी घाटे का सौदा बनकर रह गई है. प्रदेश के किसानों की औसत कृषि आय लगभग 40000 रुपये सालाना ही है. ऐसे में यह जुर्माना किसानों की बदहाली को और ज्यादा बढ़ाएगा. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि किसानों पर थोपे जा रहे इस जुर्माने पर रोक लगाई जाए. किसान सभा ने किसानों के प्रति सरकार के इस रूख के खिलाफ किसान समुदाय को लामबंद करने का फैसला लिया है.