रायपुर: झीरम नक्सली हमले को 25 मई को 8 साल हो जाएंगे. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल, सहित कई बड़े नेता मारे गए थे. इस वारदात के बाद से ही लगातार मामले की जांच को लेकर मांग की जाती रही है. 8 साल बीतने के बावजूद अब तक इस घटना के पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका है. आज भी पीड़ित शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इस मामले की जांच के लिए कोई पहल नहीं की गई है. मामले की जांच NIA के द्वारा की जा रही है. साथ ही राज्य सरकार ने भी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. 8 साल बाद भी अब तक इन जांच एजेंसियों की जांच पूरी नहीं हो सकी है. इन एजेंसियों ने इतनी भी जहमत नहीं उठाई कि वह उन प्रत्यक्षदर्शियों से बात करें जो घटना के समय वहां मौजूद थे.
ऐसे ही एक प्रत्यक्षदर्शी हैं, कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश सचिव डॉ. शिवनारायण द्विवेदी. द्विवेदी भी झीरम नक्सली हमले के दौरान उस काफिले में मौजूद थे और उनकी आंखों के सामने एक-एक कर नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा सहित कई नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था. लेकिन जांच एजेंसियों ने आज तक इनसे पूछताछ नहीं की. अब खुद डॉक्टर शिवनारायण द्विवेदी ने NIA को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि मैं झीरम नक्सली हमले का प्रत्यक्षदर्शी हूं और मेरा बयान लेने की कृपा करें.
झीरम कांड के प्रत्यक्षदर्शी ने गृहमंत्री अमित शाह को लिखा पत्र
NIA से बयान लेने की मांग करते हुए लिखा पत्र
द्विवेदी ने पत्र में लिखा है कि 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में हुई कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में नक्सली हमले में वे भी शामिल थे. हमले में वे भी गोली लगने के कारण घायल हुए थे. उस वक्त वे छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चिकित्सा प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. 2013 से NIA द्वारा जांच की जा रही है. आज 8 साल होने को है लेकिन अभी तक मेरा बयान नहीं लिया गया है. अब देखने वाली बात है कि द्विवेदी के इस पत्र का NIA की ओर से क्या जवाब आता है ? क्या NIA उन्हें बयान के लिए बुलाती है या फिर यह पत्र भी जांच की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा.