रायपुरः केंद्र सरकार ने अपात्र किसानों से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (kisan samman nidhi) वापस लेने की कवायद शुरू कर दी है. इसके तहत केंद्र की ओर से राज्य सरकारों को पत्र लिखा गया है. लेकिन इस प्रक्रिया ने केंद्र की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं. विपक्ष सहित किसान संगठनों ने भी इसका विरोध किया है. केंद्र के इस निर्णय का जहां छत्तीसगढ़ के किसान संगठन विरोध कर रहे हैं वहीं प्रदेश कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जताई है. हालांकि छत्तीसगढ़ के भाजपाई केंद्र सरकार के इस निर्णय को सही ठहरा रहे हैं. इस बीच अब उन किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जिन्हें सम्मान निधि वापस करने का केंद्र सरकार द्वारा फरमान सुनाया जाएगा. बहरहाल केंद्र सरकार का यह निर्णय सही है या गलत यह अभी कहना बेहद मुश्किल होगा. अब देखने वाली बात है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार के इस निर्णय को लेकर किसान संगठन सहित कांग्रेस क्या कदम उठाती है.
प्रधानमंत्री 'किसान सम्मान निधि' वापस लेने की कवायद शुरू 6 हजार रुपये प्रतिवर्ष खातों में किए जाते हैं स्थानांतरित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत प्रदेश के लाखों किसानों को उनके खातों में राशि हस्तांतरित की गई है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लाभार्थी किसान परिवारों को हर साल 6 हजार रुपये दिये जाते हैं. यह पैसे हर साल चार-चार महीनों के अंतराल में तीन किस्तों में दिये जाते हैं. यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती है.
आठवीं किस्त के रूप में 26 लाख किसानों को 520 करोड़ का भुगतान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मई 2021 में किसान सम्मान निधि की आठवीं किस्त जारी की गई. इसके तहत छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए 520 करोड़ रुपये जारी किये गये. इसका लाभ छत्तीसगढ़ के 26 लाख 206 किसानों को मिला.
राशि वापस ली तो 'सम्मान निधि' की जगह यह होगी 'अपमान निधि'छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि यदि किसानों से प्रधानमंत्री सम्मान निधि वापस ली जाती है, तो यह योजना सम्मान निधि की जगह अपमान निधि योजना बन जाएगी. जो किसान सम्मान निधि के लिए अपात्र थे, उनकी पड़ताल राशि देने के पहले ही कर लेनी थी. सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आगे अपात्र किसानों को दोबारा सम्मान निधि न मिले.
किसानों से सम्मान निधि वापस लेने का निर्णय है अनुचित कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सरकार के इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना केंद्र सरकार की योजना है, लेकिन सरकार द्वारा हर बार अलग-अलग दस्तावेजों की मांग की जाती है. छत्तीसगढ़ में 31 लाख किसानों ने पंजीयन कराया था, लेकिन केंद्र ने कभी भी पूरे किसानों को एक साथ किसान सम्मान निधि नहीं दी. अब जिन किसानों को सम्मान निधि मिल गई है, उनसे वापस लेने की बात कह रहे हैं. ऐसे में किसानों से राशि वापस लेने का बिल्कुल अनुचित है.
राज्य सरकार द्वारा आनन-फानन में दिये गलत आंकड़े की वजह से बनी स्थिति
इधर, भाजपा ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को सही ठहराया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि किसान सम्मान निधि को लेकर राज्य सरकार द्वारा पहले देरी की गई. बाद में आनन-फानन में जो गलत आंकड़े भेजे गये, उसी के कारण आज प्रदेश में यह स्थिति बनी है.