ETV Bharat / state

आजादी का अमृत महोत्सव: 112 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम से खास बातचीत

author img

By

Published : Aug 9, 2022, 7:19 PM IST

आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर ईटीवी भारत ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम से खास बातचीत (Exclusive Interview with Swami Lekhram freedom fighter of Chhattisgarh) की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?

Swami Lekhram freedom fighter
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम

रायपुर:आजादी के 75वीं वर्षगांठ के मौके पर पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. क्रांति दिवस के मौके पर रायपुर के निजी भवन में स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवार का सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के पास से ऐसे स्वतंत्रता सेनानी पहुंचे हैं, जिन्होंने ना सिर्फ देश को आजादी दिलाने में भागीदारी दी है बल्कि उनके माता-पिता, दादाजी सभी ने देश को आजादी दिलाने में बलिदान दिया (Exclusive Interview with Swami Lekhram freedom fighter of Chhattisgarh) है.

आज स्वामी लेखराम की उम्र 112 वर्ष है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि "वह अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. सिर्फ फल खाकर वह हट्टे-कट्टे हैं."आजादी से पहले के हालात को जानते हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम की जुबानी...

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम

अंग्रेजों की प्रताड़ना से पिता की मौत हुई: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने ईटीवी भारत को बताया कि " मेरा जन्म 1910 के करीब उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित 3 नदियों के संगम स्थल स्थित आश्रम के एक छोटे से गौशाला में हुआ है. जन्म के 1 महीना पहले ही मेरे पिताजी की मौत हो गई थी. दरअसल, मेरे पिताजी एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे कि अंग्रेज किस तरह भारतीयों को प्रताड़ित कर रहे हैं. जिसके बाद नूरपुर थाने से अंग्रेजों ने मेरे पिताजी को गिरफ्तार किया. जेल में ही अंग्रेजों ने मेरे पिताजी को प्रताड़ना दी. यही वजह रही कि जेल में ही मेरे पिताजी ने दम तोड़ दिया."

दादाजी भी थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "मेरे माता-पिता भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. आजादी के पहले अंग्रेजों ने हमारे कई रिश्तेदारों को तोप से उड़ा दिया था. हमारे पूर्वज के पास बहुत सारी जमीन थी. मुगलों के जमाने से हमारे पास काफी जमीन थी. कोई भी व्यक्ति हमारे घर आता था तो हमारे पूर्वज उन्हें खाली हाथ नहीं भेजते थे."

जलियांवाला बाग में मेरे दादाजी को अंग्रेजों ने मारी थी गोली: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "जब जलियांवाला बाग कांड हुआ, तब मैं 9 वर्ष का था. मेरे दादाजी को मैंने 9 वर्षों तक देखा है. 1919 में जलियांवाला बाग कांड में मेरे दादाजी को अंग्रेजों की गोली लगी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. मुझे जितना पता है मैं उतना बताता हूं, जनरल डायर ने जलियांवाला बाग के चारों तरफ फौज लगा दी थी. उस समय जलियांवाला बाग में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे. कुछ लोग गोली से बचने के लिए कुएं में कूद गए, तो कुछ बाग के दीवार की ओर भागना चाहते थे, जिन्हें गोली मार दी गई. जनरल डायर ने एक को भी नहीं छोड़ा."

यह भी पढ़ें: freedom fighters of chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा की दास्तान

अंग्रेजों ने भारत का धन अपने देश भेज दिया: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "जब देश आजाद हुआ, तब देश में कुछ नहीं था. अंग्रेज भारत के संपत्ति को चुरा-चुरा कर अपने देश ले गए थे. जैसे ही देश में अंग्रेजों को पता चला कि 15 अगस्त को देश आजाद होगा, अंग्रेजों ने भारत का खजाना चुरा कर अपने देश में भरना शुरू कर दिया. अगर उस समय या उसके बाद सभी अच्छे आदमी होते तो जो स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था, जिस भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कल्पना की थी वह भारत आज नजर आता. आज जो अलग-अलग पार्टियां हैं, उन्होंने देश का नाश कर दिया है. आज वह पार्टीयां नहीं होती तो देश बहुत आगे होता."

अधिवेशन के दौरान गांधी, नेहरू, शास्त्रीजी से हुई मुलाकात: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "जब अलग-अलग अधिवेशन होते थे, उस दौरान मेरी महात्मा गांधी, नेहरू जी, राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री से कई बार मुलाकात हुई है. अंग्रेजों के समय में भारतीयों पर बहुत ज्यादा क्रूरता बरती गई. उस समय भारतीयों को बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जाता था. सिर्फ अंग्रेज नहीं बल्कि अंग्रेज के जो पिट्ठू थे वह भी भारतीयों को बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया करते थे. आज का भारत भी ज्यादा बदला नहीं है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो आज मौजूद हैं. आज के भारत में उनको जितना सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है."

रायपुर:आजादी के 75वीं वर्षगांठ के मौके पर पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. क्रांति दिवस के मौके पर रायपुर के निजी भवन में स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवार का सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के पास से ऐसे स्वतंत्रता सेनानी पहुंचे हैं, जिन्होंने ना सिर्फ देश को आजादी दिलाने में भागीदारी दी है बल्कि उनके माता-पिता, दादाजी सभी ने देश को आजादी दिलाने में बलिदान दिया (Exclusive Interview with Swami Lekhram freedom fighter of Chhattisgarh) है.

आज स्वामी लेखराम की उम्र 112 वर्ष है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि "वह अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. सिर्फ फल खाकर वह हट्टे-कट्टे हैं."आजादी से पहले के हालात को जानते हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम की जुबानी...

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम

अंग्रेजों की प्रताड़ना से पिता की मौत हुई: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने ईटीवी भारत को बताया कि " मेरा जन्म 1910 के करीब उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित 3 नदियों के संगम स्थल स्थित आश्रम के एक छोटे से गौशाला में हुआ है. जन्म के 1 महीना पहले ही मेरे पिताजी की मौत हो गई थी. दरअसल, मेरे पिताजी एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे कि अंग्रेज किस तरह भारतीयों को प्रताड़ित कर रहे हैं. जिसके बाद नूरपुर थाने से अंग्रेजों ने मेरे पिताजी को गिरफ्तार किया. जेल में ही अंग्रेजों ने मेरे पिताजी को प्रताड़ना दी. यही वजह रही कि जेल में ही मेरे पिताजी ने दम तोड़ दिया."

दादाजी भी थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "मेरे माता-पिता भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. आजादी के पहले अंग्रेजों ने हमारे कई रिश्तेदारों को तोप से उड़ा दिया था. हमारे पूर्वज के पास बहुत सारी जमीन थी. मुगलों के जमाने से हमारे पास काफी जमीन थी. कोई भी व्यक्ति हमारे घर आता था तो हमारे पूर्वज उन्हें खाली हाथ नहीं भेजते थे."

जलियांवाला बाग में मेरे दादाजी को अंग्रेजों ने मारी थी गोली: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "जब जलियांवाला बाग कांड हुआ, तब मैं 9 वर्ष का था. मेरे दादाजी को मैंने 9 वर्षों तक देखा है. 1919 में जलियांवाला बाग कांड में मेरे दादाजी को अंग्रेजों की गोली लगी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. मुझे जितना पता है मैं उतना बताता हूं, जनरल डायर ने जलियांवाला बाग के चारों तरफ फौज लगा दी थी. उस समय जलियांवाला बाग में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे. कुछ लोग गोली से बचने के लिए कुएं में कूद गए, तो कुछ बाग के दीवार की ओर भागना चाहते थे, जिन्हें गोली मार दी गई. जनरल डायर ने एक को भी नहीं छोड़ा."

यह भी पढ़ें: freedom fighters of chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा की दास्तान

अंग्रेजों ने भारत का धन अपने देश भेज दिया: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "जब देश आजाद हुआ, तब देश में कुछ नहीं था. अंग्रेज भारत के संपत्ति को चुरा-चुरा कर अपने देश ले गए थे. जैसे ही देश में अंग्रेजों को पता चला कि 15 अगस्त को देश आजाद होगा, अंग्रेजों ने भारत का खजाना चुरा कर अपने देश में भरना शुरू कर दिया. अगर उस समय या उसके बाद सभी अच्छे आदमी होते तो जो स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था, जिस भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कल्पना की थी वह भारत आज नजर आता. आज जो अलग-अलग पार्टियां हैं, उन्होंने देश का नाश कर दिया है. आज वह पार्टीयां नहीं होती तो देश बहुत आगे होता."

अधिवेशन के दौरान गांधी, नेहरू, शास्त्रीजी से हुई मुलाकात: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराम ने बताया, "जब अलग-अलग अधिवेशन होते थे, उस दौरान मेरी महात्मा गांधी, नेहरू जी, राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री से कई बार मुलाकात हुई है. अंग्रेजों के समय में भारतीयों पर बहुत ज्यादा क्रूरता बरती गई. उस समय भारतीयों को बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जाता था. सिर्फ अंग्रेज नहीं बल्कि अंग्रेज के जो पिट्ठू थे वह भी भारतीयों को बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया करते थे. आज का भारत भी ज्यादा बदला नहीं है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो आज मौजूद हैं. आज के भारत में उनको जितना सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है."

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.